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फिल्म अभिनेता सलमान खान का असावधानी से गाड़ी चलाकर सड़क किनारे सोते एक व्यक्ति की जान लेने का मामला, जयललिता का आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने का मामला और सत्यम कंप्यूटर घोटाला मामले में आरोपियों को आखिरकार न्यायालय से राहत मिल गई। न्यायालय में बचाव पक्ष ने ऐसी-ऐसी दलीलें दीं कि अदालत ने उन्हें जमानत का हकदार मान ही लिया। दलीलें ठीक थीं या नहीं, लोगों के मन में सवाल यह नहीं है, सवाल यह भी नहीं है कि रसूखदारों को जमानत कैसे मिल गई। मुद्दा बस इतना है, और पहले से ही सब की जुबान पर भी था, कि ठसक वालों को कैद नहीं होगी। कैसे न कैसे वे जमानत पर छूटे रहेंगे और उनके 'अपराध' बेसजा ही रहते जाएंगे।
सलमान खान को सत्र न्यायालय ने सश्रम पांच वर्ष की सजा सुनाई थी, पर उच्च न्यायालय द्वारा उनकी याचिका स्वीकार करते हुए निचली अदालत के फैसले पर रोक लगाकर जमानत दे दी गई। जयललिता को सजा और करोड़ों रुपए का जुर्माना लगाया गया था जिन्हें कर्नाटक उच्च न्यायालय ने इसलिए दोष मुक्त कर दिया क्योंकि बेहिसाब संपत्ति कम से कम 10 फीसद होनी चाहिए, जबकि अज्ञात स्रोतों से जयललिता की आठ फीसद ही संपत्ति का पता चल सका। वहीं सत्यम घोटाले में सभी 10 आरोपियों की सजा निलंबित कर उनकी जमानत स्वीकार होना भी हैरान कर गया। इन तीनों मामलों पर इनके 'अभिजात्य'आरोपियों के चलते देश भर की निगाहें थीं। कहना न होगा कि उन्हें जिसका भय था, वही सामने आया। क्या आम आदमी और बड़े आदमी के लिए अलग-अलग कानून हैं? बड़ा सवाल है!
आमतौर पर निचली अदालत के फैसले को चुनौती देने के लिए आम लोग ठोस पैरवी करने वाले वकील व कानूनी जानकारी के अभाव में ही जेल की सलाखों के पीछे पहंुच जाते हैं। लेकिन इस मामले में नामी वकील की पैरवी से जेल जाने वाले सलमान को आगामी 15 जून तक की मोहलत मिल गई। इसी तरह जयललिता के मामले में जहां उनके राजनीतिक सफर पर ग्रहण लगा माना जा रहा था, वहीं अब राजनीतिक गलियारों में फिर से उनके मुख्यमंत्री बनने की नई कहानी शुरू होने जा रही है। इसी तरह सत्यम घोटाले में जेल मंे बंद सभी दस आरोपियों को जमानत दे दी गई। इन पर 7 हजार करोड़ रुपए के घोटाले का आरोप था जिसे कॉर्पोरेट जगत में बड़ा घोटाला माना जा रहा था।
जेल की बजाय मिली जमानत
वर्ष 2002 में गाड़ी से जान लेने के मामले में मुंबई उच्च न्यायालय ने निचली अदालत के फैसले पर रोक लगाते हुए दोष सिद्धि के विरुद्ध अपील स्वीकार करते हुए फिल्म अभिनेता सलमान खान को जमानत दे दी। सलमान ने उच्च न्यायालय के आदेश के बाद सत्र न्यायालय में 30 हजार रुपए का मुचलका भरा, सभी औपचारिकताएं पूरी कर घर लौट गए और उन्हें जेल नहीं जाना पड़ा। उच्च न्यायालय ने सुनवाई के दौरान कहा 'जब एक अपील स्वीकार कर ली जाती है और सजा सात वर्ष से कम होती है तो यह निलंबित मानी जाती है।' सलमान खान को गत 6 मई को सत्र न्यायालय द्वारा 13 वर्ष पुराने मामले में सत्र न्यायाधीश डब्ल्यू. देशपांडे ने पांच वर्ष सश्रम कारावास की सजा सुनाई गई थी। उसी दिन उन्हें कुछ ही घंटे बाद उच्च न्यायालय से दो दिन की अंतरिम जमानत मिल गई थी। आठ मई को सलमान की अपील को स्वीकारते हुए उन्हें जमानत दे दी गई। इस मामले की अगली सुनवाई आगामी अब 15 जून को होगी।
आमिर खान भी आरोप मुक्त
गुजरात उच्च न्यायालय ने फिल्म अभिनेता आमिर खान को लगान फिल्म की शूटिंग के दौरान चिंकारा के शिकार मामले में आरोप से मुक्त कर दिया। न्यायाधीश वी. एम. सहाय ने कहा कि राज्य सरकार के पास चिंकारा की हत्या का कोई पुख्ता सुबूत नहीं है। साथ ही कहा गया कि शिकार की बात केवल फिल्म के दृश्य से साबित नहीं होती है। गौरतलब है कि वर्ष 2000 में 'लगान' फिल्म की शूटिंग के दौरान आमिर खान को प्रतिबंधित चिंकारा का शिकार करते हुए दिखाया गया था। वन विभाग ने वर्ष 2008 में आमिर के विरुद्ध चिंकारा की हत्या का मामला दर्ज कराया था।
अहम तथ्य
न्यायाधीश अभय थिप्से ने ने कहा कि कई ऐसे विषय हैं जिन पर विचार किया जाना चाहिए
सलमान पर लगाई गैर इरादतन हत्या की धारा शामिल किए जाने पर दी गई चुनौती पर कहा कि इसकी समीक्षा हो सकती है
उच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि आरोपी कोई ऐसा व्यक्ति नहीं जिसके भागने की गुंजाइश हो
15 जून को यदि उच्च न्यायालय जमानत रद्द कर देता है तो सलमान को जाना पड़ सकता है जेल
बचाव पक्ष की दलील
दुर्घटना वाले दिन गाड़ी में चार लोग सवार थे, लेकिन पुलिस ने तीन लोगों को ही महत्व दिया
सलमान के चालक अशोक सिंह का बयान दर्ज न करना
गाड़ी में सवार कमाल खान को गवाह न बनाना
लोकसभा में उठा मामला
एक सांसद एम. आई. शानवास ने कहा कि 'सेलेब्रिटी' को सजा के चंद घंटे के अंदर ही जमानत मिल गई, जबकि देश की जेलों में 2.73 लाख विचाराधीन कैदी हैं। सरकार को सर्वोच्च न्यायालय के दिशा-निर्देशों को लागू करना चाहिए।
यदि आप विशिष्ट व्यक्ति हैं, ख्याति वाले हैं , विशेषाधिकार रखते हैं या अमीर हैं तो आप बेहतर कानूनी मदद पाकर जेल जाने से बच सकते हैं।
-किरण बेदी, पूर्व भारतीय पुलिस सेवा की अधिकारी
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