अन्नदाता में वोट बैक देखती कांंग्रेस
July 19, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • ऑपरेशन सिंदूर
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • जनजातीय नायक
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • ऑपरेशन सिंदूर
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • जनजातीय नायक
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

अन्नदाता में वोट बैक देखती कांंग्रेस

by
May 16, 2015, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

दिंनाक: 16 May 2015 14:33:02

विवेक बंसल
पिछले कुछ समय से देश में भूमि अधिग्रहण और किसानों की आत्महत्या पर उठा बवाल थमने का नाम नहीं ले रहा है। तथाकथित राजनीतिक दल जो किसानों के हितैषी होने का दावा कर रही हंै, इस विधेयक में अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाएं तलाश रहे हंै। तथाकथित इसलिए है कि उनके पिछले 10 साल के शासनकाल में किसानांे का जो हाल-बेहाल हुआ, उस पर तो वे स्वयं आत्ममंथन करने को भी तैयार नहीं हैं। किसान आत्महत्या देश के लिए चिंता का विषय है। लेकिन ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि कुछ पार्टियों के नेता अन्नदाताओं को वोट बैंक का हिस्सा बनाने पर तुले हैं। जो कांग्रेस पार्टी किसानांे की हितैषी होने का दम भर रही है, उसके 10 साल के शासनकाल में अकेले महाराष्ट्र में 36848 किसानों ने आत्महत्या की। क्या वह इनकी नैतिक जिम्मेदारी लेने को तैयार है?
अगर उनकी नीतियां बहुत अच्छी थीं तो इतने किसानांे ने आत्महत्याएं क्यों की? पार्टी के 'युवराज' आज जिस तरह से प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर रहे हैं, वे अगर अपनी सरकार के समय ऐसा कर लेते तो आज नयी सरकार को इस समस्या का दंश न झेलना पड़ता। क्या उन्हें मालूम है जब गोदामों की कमी के कारण लाखों टन अनाज बारिश में भीग कर खराब हो गया और उनकी कांग्रेसी सरकार ने उस अनाज को 60 पैसे प्रति किलोग्राम के हिसाब से शराब कंपनियों को बेच दिया? तब इनको अपनी जिम्मेदारी का एहसास क्यों नहीं हुआ? क्या कारण था कि पिछली केन्द्र सरकार ने 2010 में 7,266 करोड़ रु. का बुंदेलखंड सूखा राहत पैकेज दिया था और उसके बाद भी बुंदेलखंड के गांवों में किसानों की आत्महत्या का सिलसिला खत्म नहीं हुआ था क्यों? क्योंकि किसानांे की परवाह कांग्रेस ने कभी की ही नहीं। गरीबो के लिए कल्याणकारी योजनाओं के नाम पर सिर्फ घोटाले हुए और आज भी कांग्रेस किसानों को राजनीति में अपनी वापसी का जरिया बना रही है। कृषिप्रधान देश में अन्नदाता आत्महत्या करने को मजबूर है। मगर राजनीतिज्ञों को इससे क्या? उन्हें तो किसानों का रहनुमा बनने की होड़ करने से ही फुर्सत नहीं है।
तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी योजना लेकर आये कि जरूरत के समय में किसान अपना अनाज घर बैठे ऑनलाइन बेच सकता है और उसके अनाज को सुरक्षित रखने के लिए गोदाम बनाये जायेंगे, लेकिन संप्रग सरकार ने इस योजना को जुए का बाजार बना दिया। ऑनलाइन व्यापार तो चलता रहा लेकिन व्यापार करने वाला किसान नहीं था। व्यापार करने वाले बड़े-बड़े उद्योगपति और दलाल थे जो हजारों टन अनाज केवल आंकड़ांे में ऑनलाइन बेचते रहे, जिसका खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ा। इसका ताजा उदाहरण है, ग्वार के दाम 40,000 रुपए क्विंटल चले गये और सरकार को वायदा बाजार में ग्वार की कालाबाजारी पर रोक लगानी पड़ी।
वर्तमान सरकार ने जिस प्रकार से ठोस निर्णय लिए हैं उससे एक आस जगी है। अब अगर किसानांे की फसल को 50 प्रतिशत की वजह 33 प्रतिशत भी सूखे, ओलावृष्टि या अन्य प्राकृतिक आपदा से नुकसान होता है तो भी उसे मुहावजा मिलेगा। सरकार ने 'सोशल हेल्थ कार्ड' योजना शुरू की, जिससे यह पता लगाया जा सकेगा कि किसान की जमीन में किस फसल की ज्यादा उपज होगी।
इससे किसानो को फायदा मिलेगा। महाराष्ट्र की भाजपा सरकार ने किसानांे के सारे ऋण खुद चुकाने का फैसला करके किसानों की सारी समस्या को हल कर दिया है। फडनवीस सरकार ने दिसंबर में 7,000 करोड़ रु. के राहत पैकेज और 34,500 करोड़ रु. के दीर्घकालिक सूखा राहत पैकेज की घोषणा की। इसके अलावा उन्होंने केंद्र सरकार से भी 4,677 करोड़ रु. की तत्काल सहायता मांगी। केंद्र सरकार ने तो यहां तक घोषणा कर दी कि अगर किसान का अनाज सड़ गया है तो भी उसको तय किये गये मूल्य पर खरीदा जायेगा। हरियाणा की भाजपा सरकार ने भी किसानांे के हित में बड़ा निर्णय लेते हुए यह फैसला किया है कि अगर किसान का भले 100 रुपए का भी नुकसान हो लेकिन उसे 500 रुपए की न्यूनतम मुआवजा राशि दी जाएगी, लेकिन दुर्भाग्यवश प्रचार माध्यम इसे यह बताकर पेश कर रहे हैं कि हरियाणा सरकार ने किसानांे को मुआवजे के रूप में केवल 500 रुपए दिए हंै। बेमौसम बारिश और सूखा, यह किसी के बस में तो नहीं।
लेकिन पिछली सरकारों द्वारा अगर कोई ठोस योजना तैयार की जाती तो संकट के समय में ऐसी परिस्थितियों से निपटा जा सकता था। किसान आत्महत्या क्यों कर रहे हंै इसका पता लगाना आवश्यक है। देश में हर किसान आत्महत्या की अलग-अलग कहानी है।

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

ज्ञान सभा 2025 : विकसित भारत हेतु शिक्षा पर राष्ट्रीय सम्मेलन, केरल के कालड़ी में होगा आयोजन

सीबी गंज थाना

बरेली: खेत को बना दिया कब्रिस्तान, जुम्मा शाह ने बिना अनुमति दफनाया नाती का शव, जमीन के मालिक ने की थाने में शिकायत

प्रतीकात्मक चित्र

छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ में सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में छह नक्सली ढेर

पन्हाला दुर्ग

‘छत्रपति’ की दुर्ग धरोहर : सशक्त स्वराज्य के छ सशक्त शिल्पकार

जहां कोई न पहुंचे, वहां पहुंचेगा ‘INS निस्तार’ : जहाज नहीं, समंदर में चलती-फिरती रेस्क्यू यूनिवर्सिटी

जमानत मिलते ही करने लगा तस्करी : अमृतसर में पाकिस्तानी हथियार तस्करी मॉड्यूल का पर्दाफाश

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

ज्ञान सभा 2025 : विकसित भारत हेतु शिक्षा पर राष्ट्रीय सम्मेलन, केरल के कालड़ी में होगा आयोजन

सीबी गंज थाना

बरेली: खेत को बना दिया कब्रिस्तान, जुम्मा शाह ने बिना अनुमति दफनाया नाती का शव, जमीन के मालिक ने की थाने में शिकायत

प्रतीकात्मक चित्र

छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ में सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में छह नक्सली ढेर

पन्हाला दुर्ग

‘छत्रपति’ की दुर्ग धरोहर : सशक्त स्वराज्य के छ सशक्त शिल्पकार

जहां कोई न पहुंचे, वहां पहुंचेगा ‘INS निस्तार’ : जहाज नहीं, समंदर में चलती-फिरती रेस्क्यू यूनिवर्सिटी

जमानत मिलते ही करने लगा तस्करी : अमृतसर में पाकिस्तानी हथियार तस्करी मॉड्यूल का पर्दाफाश

Pahalgam terror attack

घुसपैठियों पर जारी रहेगी कार्रवाई, बंगाल में गरजे PM मोदी, बोले- TMC सरकार में अस्पताल तक महिलाओं के लिए सुरक्षित नहीं

अमृतसर में BSF ने पकड़े 6 पाकिस्तानी ड्रोन, 2.34 किलो हेरोइन बरामद

भारतीय वैज्ञानिकों की सफलता : पश्चिमी घाट में लाइकेन की नई प्रजाति ‘Allographa effusosoredica’ की खोज

डोनाल्ड ट्रंप, राष्ट्रपति, अमेरिका

डोनाल्ड ट्रंप को नसों की बीमारी, अमेरिकी राष्ट्रपति के पैरों में आने लगी सूजन

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • जीवनशैली
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies