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4 मई को जब पूरा देश अहिंसा के प्रवर्तक भगवान बुद्ध का जन्मोत्सव मना रहा था। उसी समय पश्चिम बंगाल के नदिया जिले के कालीगंज में एक वीभत्स घटना घटी जिसमें पांच हिन्दुओं की जानें चली गईं। इस घटना से हिन्दुओं के 50 से अधिक परिवार प्रभावित हुए। 100 से अधिक लोग बुरी तरह से घायल हो गए जिसमें 8 पुलिसकर्मी भी शामिल हैं।
इस घटना के बाद भारी संख्या में पुलिस बल तैनात करने पर भी हालात पर काबू नहीं पाया जा सका। इसके बावजूद अनियंत्रित मजहबी उन्मादियों की भीड़ नारेबाजी करती रही। हैरानी की बात यह रही कि किसी भी प्रमुख समाचार पत्र में इस घटना को प्रकाशित नहीं किया गया, मात्र एक या दो छोटे समाचार पत्रों में इस घटना का मामूली सा जिक्र किया गया। हर वर्ष की तरह इस बार भी जब कालीगंज स्थित जुरानपुर गांववासियों ने भगवान शिव पर आधारित कार्यक्रम का आयोजन शुरू किया तो चोटीपुर और नाओदाह गांव के मुसलमानों ने उन्हें धमकी देना शुरू कर दिया, लेकिन हिन्दू उनकी धमकी के आगे डरे नहीं और उन्होंने परंपरा को जारी रखते हुए अपना कार्यक्रम जारी रखा।
उत्सव मनाते लोग जैसे ही चोटीपुर मस्जिद के निकट पहंुचे तो मुसलमानों ने उसे साम्प्रदायिक रूप देते हुए हथियार लेकर और बमबारी कर उन पर हमला बोल दिया। इस पर जब ग्रामीणों ने बातचीत करने की कोशिश की तो तृणमूल कांगे्रस के विधायक नसीरुद्दीन अहमद के समर्थकों ने उन पर गोलियां चलानी शुरू कर दी, हिन्दुओं के घरों में लूटपाट की गई और महिलाआंे के साथ छेड़छाड़ की गई। इस मामले में किसी भी आरोपी को गिरफ्तार नहीं किया गया। पुलिस ने पीडि़तों की ओर से शिकायत मिलने से इंकार किया है। आखिर में अदालत के आदेश पर मामला दर्ज किया गया। यही नहीं नाओदाह से 75 किलोमीटर दूर नवद्वीप घाट पर अगले दिन जबरदस्ती परिजनों को बिना सूचना दिए शवों का अंतिम संस्कार कर दिया गया।
इसके अलावा एक अन्य घटनाक्रम में हंसखली पुलिस स्टेशन के अंतर्गत उलाशी गांव में बंगलादेशी घुसपैठिये आलम मंडल, जो कि गाय और नोटों की तस्करी के लिए जाना जाता है, ने तृणमूल कांग्रेस के नेताओं की शह पर हिन्दुओं के घरों में लूटपाट की। इस घटना के अगले ही दिन कोलकाता उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश भगवती प्रसाद बनर्जी ने कहा कि हम सभी इस समय ज्वालामुखी पर बैठे हुए हैं। इस पूरे घटनाक्रम में पुलिस का रवैया उदासीन बना रहा और राजनेताओं और साम्प्रदायिक हिंसा करने वाले आकाओं के इशारे पर पुलिस अपराधियों की पुलिस मदद करती रही।
ममता के राज में फलफूल रहे मुसलमान
तृणमूल कांग्रेस की ममता सरकार के पश्चिम बंगाल में सत्ता में आने के बाद से जैसे मुसलमानों को पूरी तरह से हिन्दुओं को निशाना बनाने की छूट मिल गई है। इस सेकुलर सरकार के रवैये के कारण हिन्दुओं को चुन-चुन कर निशाना बनाया जा रहा है। नदिया जिला बंगलादेश की सीमा से सटा हुआ है और पश्चिम बंगाल में मुसलमानों की आबादी करीब 30 फीसद है। बंगलादेश की सीमा से सटे नदिया जिले में बंगलादेशी घुसपैठिये बड़ी आसानी से पहुंचते हैं जिससे पूरे हिन्दुओं पर हमलों में तेजी आई है। वे नादिया से लेकर उत्तरी बंगाल तक अपना वर्चस्व फैलाना चाहते हैं। इस समय कालीगंज, जुरानपुर और नाओदाह के अलावा हंसखली और मल्लिकपुर भी इसमें शामिल हो गए हैं। पिछले दिनों मिदनापुर जिले के पिंगला और कृष्णानगर में हुए विस्फोट पर भी मुख्यमंत्री का बिना खुफिया जांच के यह बयान देना कि विस्फोट पटाखों की फैक्ट्री में हुआ है न कि बम बनाने की फैक्ट्री में, उनकी संवेदनहीनता को बयां करता है। इस विस्फोट के बाद 12 लोगों के शव पेड़ों पर अटके मिले थे। ममता बनर्जी ने मृतकों के परिवार को दो-दो लाख रुपए और घायलों को 50-50 हजार रुपये देने की घोषणा की, लेकिन उन्हें नदिया जिले के प्रभावित क्षेत्रों को देखने की फुर्सत तक नहीं मिली। ल्ल
कब-कब हिन्दुओं को बनाया गया निशाना
10 मई, 2015- 7 वर्षीय हिन्दू बच्ची का मुस्लिम रिक्शा चालक ने किया शारीरिक शोषण
4 मई, 2015- हिन्दू श्रद्धालुओं की मुसलमानों द्वारा हत्या कर दी गई, कई घायल और महिलाओं का किया गया शारीरिक शोषण
3 मई, 2015- बेलूर मठ में हुआ विस्फोट
28 मई, 2014- रोमाना गांव में तीन मुसलमानों ने 11 वर्षीय हिन्दू बच्ची से की छेड़छाड़
27 मई, 2014- नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने की खुशी में मनाए जा रहे जश्न में मुसलमानों ने 26 हिन्दुओं को किया गोली मारकर घायल
20 मई, 2014- नवविवाहिता के साथ बहरुद्दीन और सैफुल ने की छेड़छाड़
01 जनवरी, 2014- हजरत मोहम्मद के जन्मदिन पर जबरन हिन्दुओं के गांवो से निकाला गया जुलूस, 100 से अधिक हिन्दुओं के घरों को बनाया गया निशाना और 4 मंदिर तोड़े। हिन्दू महिलाओं के साथ की गई छेड़छाड़। -असीम कुमार मित्र
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