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नई दिल्ली स्थित राष्ट्रीय सिख संगत के मुख्यालय 'संगत भवन' में पिछले दिनों बैसाखी का पर्व बडे़ हर्ष और उल्लास के साथ मनाया गया। इस अवसर पर राष्ट्रीय सिख संगत के राष्ट्रीय अध्यक्ष सरदार गुरचरन सिंह गिल ने कहा कि बैसाखी के दिन श्री गुरु गोबिन्द सिंह जी ने आनन्दपुर साहिब (पंजाब) में खालसा पंथ की स्थापना कर इतिहास रचा था। उस इतिहास के बारे में सूफी कवि बुल्लेशाह ने निम्न पंक्तियों की रचना की थी-
ना कहूं अबकी ना कहूं तबकी
होते न गोबिन्द सिंह तो सुन्नत होती सबकी।
राष्ट्रीय सिख संगत के संरक्षक सरदार चिरंजीव सिंह ने कहा कि दसवें गुरु गोबिन्द सिंह जी असाधारण पुरुष थे। राष्ट्रीय सिख संगत के राष्ट्रीय महामंत्री (संगठन) श्री अविनाश जायसवाल ने कहा कि गुरु गोबिन्द सिंह जी ने अपने दादा गुरु हरगोबिन्द जी के सिद्धान्तों का अनुसरण किया। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, दिल्ली प्रान्त के संघचालक श्री कुलभूषण आहूजा ने कहा कि जब मुगलों द्वारा हिन्दुओं पर अत्याचार किया जा रहा था, उन्हें जबरन मुसलमान बनाया जा रहा था, तो गुरुओं ने अपनी कुर्बानी देकर हिन्दुओं की और हिन्दुस्थान की रक्षा की।
इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, दिल्ली प्रान्त के सह संघचालक श्री आलोक कुमार सहित अनेक गणमान्यजन उपस्थित थे।
ल्ल प्रतिनिधि
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