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सूरत में डॉ़ आंबेडकर वनवासी कल्याण ट्रस्ट द्वारा एक कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस अवसर पर विद्वानों ने 'सामाजिक समरसता के उद्घोषक, प्रखर राष्ट्रभक्त डॉ़ बाबासाहेब आंबेडकर : एक प्रेरणादायक जीवन' विषय पर विचार रखे। मुख्य वक्ता थे सामाजिक समरसता मंच, महाराष्ट्र के संस्थापक सदस्य प्रो़ रमेश महाजन तथा अध्यक्षता की सूरत के संयुक्त पुलिस आयुक्त श्री सी़ आऱ परमार ने। प्रो़ रमेश महाजन ने कहा कि यदि ड़ॉ. आंबेडकर को मात्र भारत रत्न, संविधान के निर्माता, समता के आराधक, वंचितों के उद्धारक जैसे शब्दों तक सीमित रखेंगे तो यह उनके साथ अन्याय होगा। हिन्दू धर्म के विषय में डॉ. आंबेडकर कहते थे कि समता का साम्राज्य स्थापित करने हेतु हिन्दू धर्म से बड़ा आधार मिलना मुश्किल है। हिन्दुत्व की रक्षा के लिए हजारांे वंचितों ने अपने बलिदान दिए हैं। इसलिए उनके साथ भेदभाव नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि आंबेडकर जी कहा करते थे कि धर्म की जरूरत सबसे ज्यादा गरीबांे को है। धर्म मनुष्य को आशावादी बनाता है। गरीब जीता है तो बस आशाओं के सहारे। यदि आशाएं नष्ट हो जाएं तो जिन्दगी कैसी होगी, इसकी कल्पना की जा सकती है। वनवासियों के बारे में वे कहते थे कि उन्हें अपनाने के लिए उनसे मिल-जुलकर रहने की आवश्यकता है। अगर ऐसा नहीं होगा और वे लोग अहिन्दुओं के चक्कर में पड़ जाएंगे तो हिन्दुत्व का ही नुकसान होगा। इस अवसर पर बड़ी संख्या में आम लोग उपस्थित थे। ल्ल
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