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नई दिल्ली स्थित सिरी फोर्ट सभागार में 14 अप्रैल को 'पाञ्चजन्य' और 'आर्गनाइजर' के डॉ़ आंबेडकर विशेषांकों का लोकार्पण हुआ। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह श्री भैयाजी जोशी ने इन विशेषांकों का लोकार्पण करने के बाद कहा कि भारत रत्न डॉ़ भीमराव आंबेडकर महामानव थे। उनका जीवन राष्ट्रहित की साधना में समर्पित रहा। उन जैसे उदाहरण अत्यंत दुर्लभ हैं। उन्होंने अपमान और तिरस्कार के बावजूद न विद्रोह किया और न समूह हित की बात की, सदैव देशहित की बात की। इसलिए बाबा साहेब के व्यक्तित्व और कृतित्व का समग्रतापूर्वक अध्ययन होना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि आज डॉ़ आंबेडकर के विचारों के अनुरूप चलने की बहुत आवश्यकता है। भैया जी ने अपने उद्बोधन में समकालीन संघ संस्थापक डॉ़ हेडगेवार और डॉ़ आंबेडकर की वैचारिक समानताओं की चर्चा करते हुए कहा कि जहां डॉ़ आंबेडकर ने स्वातंत्र्य, समता और बंधुत्व के आधार पर कार्य करने की प्रेरणा और व्यवहार की सही दिशा प्रदान की, वहीं संघ निर्माता ने एक ही शब्द 'हिन्दुत्व' को विषमता एवं भेदभाव का समाधान बताया। डॉ़ आंबेडकर भी यह मानते थे कि हिन्दू तत्व ज्ञान के प्रकाश में सम्पूर्ण हिन्दू समाज के बीच सुसंगत व्यवहार पुनस्स्थापित किया जा सकता है।
सरकार्यवाह ने कहा कि डॉ़ आंबेडकर ने स्वातंत्र्य, समता और बंधुत्व जैसे शब्द फ्रांसीसी क्रांति से नहीं, बल्कि तथागत भगवान बुद्ध के जीवन से लिए थे। डॉ़ आंबेडकर का मानना था कि समाज में समरसता कानून बनाने और बाह्य जीवन में परिवर्तन लाने से नहीं होगा। इसके लिए अंत:करण में परिवर्तन लाना होगा और यह कार्य समाज प्रबोधन व जागरण से ही हो सकता है। उनका स्पष्ट मत था कि यदि संविधान क्रियान्वित करने वाले प्रामाणिक नहीं रहे तो संविधान ही अर्थहीन हो जाएगा।
सरकार्यवाह ने कहा कि कुछ घटनाओं को देखने से समझ में आता है कि ईश्वरीय शक्तियां भी कार्य करती हैं, तभी दो महापुरुष (डॉ. हेडगेवार और डॉ. आंबेडकर) कम अंतराल में अवतरित हुए। दोनों ने समाज की बीमारियों को समझा तथा श्रेष्ठ, निदार्ेष समाज के निर्माण के लिए जुटे। संघ संस्थापक ड़ॉ. हेडगेवार (जन्म 1889) ने चिकित्सा की शिक्षा ग्रहण की, पर कभी 'स्टेथिस्कोप' नहीं पकड़ा और समाज के उपचार में लगे रहे। वहीं डॉ. आंबेडकर (जन्म 1891) ने चिकित्सा शास्त्र नहीं पढ़ा, पर उन्होंने भी समाज की चिकित्सा का कार्य किया। उन्होंने कहा कि बाबा साहेब ने 1924 में समाज निर्माण का कार्य शुरू किया और डॉ. हेडगेवार ने 1925 में संघ की स्थापना की, यह भी संयोग ही है। दोनों महापुरुषों ने अपना उद्देश्य एक ही रखा। समाज का उत्थान हो, गुणयुक्त समाज बने, समाज में शक्ति का जागरण हो और भारत पुन: क्षमताओं के साथ खड़ा हो।
उन्होंने कहा कि बाबा साहेब को देश के लोगों ने समझा ही नहीं। कुछ ने समझा तो केवल सीमित मात्रा में। देश ने डॉ. आंबेडकर को कितना समझा इसका अनुमान इस बात से लगा सकते हैं कि मदर टेरेसा को उनसे दस वर्ष पूर्व भारत रत्न से सम्मानित किया गया था। सवाल योग्यता को लेकर नहीं है, बल्कि व्यक्तित्व को समझने का है। समारोह के विशिष्ट अतिथि प्रसिद्ध अर्थशास्त्री व योजना आयोग के पूर्व सदस्य डॉ. नरेन्द्र जाधव ने कहा कि भारतीय समाज ने बाबा साहेब को आज तक ठीक से समझा ही नहीं है। उनका पूरा जीवन इस राष्ट्र को समर्पित था। बाबा साहेब जैसे महामानव को केवल दलित नेता के रूप में पहचाना जाना या स्थापित करना, उनके व्यक्तित्व का अपमान करना है। वह देशभक्त महान राष्ट्रीय नेता थे। अपनी शिक्षा पूर्ण करने के पश्चात् वे समाज के पुनर्निर्माण तथा सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक, राजनीतिक परिवर्तन में लगे रहे। उन्होंने कहा कि बहुत कम लोग जानते हैं कि डॉ. आंबेडकर लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से 'डॉक्टर ऑफ साइंस' की उपाधि प्राप्त अर्थशास्त्री थे। वे अर्थशास्त्री के साथ-साथ समाज विज्ञानी, शिक्षाविद्, पत्रकार, नीति निर्माता, प्रशासक और आदर्श सांसद थे। श्री जाधव ने कहा कि बाबा साहेब ने 1925 में केन्द्र-राज्य सम्बंधों पर पीएच.डी. की थी। राज्य पुनर्गठन आयोग ने 1955 में सिफारिश की थी कि 'एक भाषा, एक राज्य' के आधार पर राज्यों का गठन होना चाहिए। इसके कारण उत्तर भारत में अनेक बड़े राज्य और दक्षिण भारत में अनेक छोटे राज्य अस्तित्व में आए। इसका परिणाम भी सामने दिख रहा है। जबकि डॉ. आंबेडकर ने उसी समय 'एक राज्य, एक भाषा का सूत्र' दिया था। उनका यह सूत्र आज भी प्रासांगिक है। डॉ. आंबेडकर ने 1935 में रिजर्व बैंक ऑफ इण्डिया की स्थापना में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। देश में रोजगार कार्यालयों को प्रारंभ करने वाले भी डॉ. आंबेडकर थे। उन्होंने यह भी कहा कि आज नदी जोड़ो योजना की बड़ी चर्चा होती है, लेकिन डॉ. आंबेडकर ने उसी समय इसकी आवश्यकता पर जोर दिया था। श्री जाधव ने बताया कि इस समारोह में भाग लेने के लिए सहमति देने पर उनके कुछ मित्रों ने आपत्ति करते हुए पूछा कि उस मंच पर क्यों जा रहे हैं? इस पर उन्होंने कहा कि बाबा साहेब के व्यक्तित्व को सामने लाने का प्रयास उनके लिए राजनीतिक लाभ-हानि का माध्यम नहीं है, बल्कि अत्यानंद की बात है। इसलिए जो भी उनके व्यक्तित्व को सामने लाएगा उसके मंच पर वह जाएंगे। समारोह में अन्य विशिष्ट अतिथि केन्द्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री श्री थावर चंद गहलोत का संदेश पढ़कर सुनाया गया। वे मध्य प्रदेश में बाबा साहेब के जन्म स्थान महू में आयोजित एक अन्य कार्यक्रम में भाग लेने के कारण यहां नहीं आ सके।
इससे पूर्व आर्गनाइजर के संपादक श्री प्रफुल्ल केतकर ने स्थापना से लेकर वर्तमान तक आर्गनाइजर और पाञ्चजन्य की यात्रा की जानकारी दी, साथ ही बाधाओं का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय विचारों की तपस्वी धारा निरंतर बह रही है। श्री केतकर ने बाबा साहेब को एक महान पत्रकार बताते हुए कहा कि वे पूरी तरह देश को समर्पित थे। पाञ्चजन्य के संपादक श्री हितेश शंकर ने इन दोनों संग्रहणीय अंकों के निर्माण में विभिन्न लोगों से मिले सहयोग के संबंध में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि विशेषांक की तीन लाख प्रतियों की अग्रिम बुकिंग के साथ इतिहास रचा गया है। उन्होंने मीडिया के एक वर्ग द्वारा 'उनके आंबेडकर और इनके आंबेडकर' पर की जा रही चर्चा के बारे में कहा कि डॉ. आंबेडकर को खास सांचे में रखना ठीक नहीं है, वे तो सबके थे, यही नहीं पूरी मानव जाति के लिए थे। उन्होंने यह भी बताया कि दोनों विशेषांकों में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह डॉ. कृष्णगोपाल, अखिल भारतीय सह प्रचार प्रमुख श्री जे. नन्दकुमार, वरिष्ठ प्रचारक श्री भागय्या, श्री मधुभाई कुलकर्णी, अर्थशास्त्री श्री नरेन्द्र जाधव, वरिष्ठ स्तंभकार श्री रमेश पतंगे, डॉ. सुवर्णा रावल, डॉ. सुषमा यादव, डॉ. अशोक मोडक आदि विद्वानों के आलेख हैं। ये आलेख बाबासाहेब के विराट व्यक्तित्व के विविध पक्षों को सामने रखते हैं।
दोनों साप्ताहिकों के प्रकाशक भारत प्रकाशन दिल्ली लिमिटेड के प्रबंध निदेशक श्री विजय कुमार ने धन्यवाद ज्ञापित किया। समारोह में केन्द्रीय भूतल एवं परिवहन मंत्री श्री नितिन गडकरी, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. हर्षवर्धन, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख डॉ. मनमोहन वैद्य, सह प्रचार प्रमुख श्री जे. नन्दकुमार, वरिष्ठ प्रचारक श्री मधुभाई कुलकर्णी, भाजपा महासचिव श्री राममाधव, उत्तराखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्री श्री भगत सिंह कोश्यारी सहित अनेक गणमान्य लोग उपस्थित थे। समारोह का संचालन पाञ्चजन्य के सहयोगी सम्पादक श्री आलोक गोस्वामी ने किया। यह कार्यक्रम 'नेशनल दुनिया' और 'प्रताप यूनिवर्सिटी' के सहयोग से आयोजित हुआ था। ल्ल प्रतिनिधि
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