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अंक संदर्भ: 22 मार्च, 2015
आवरण कथा 'संघ निर्माता हेडगेवार' ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ रूपी जो बिरवा रोपा था आज वह वटवृक्ष का रूप ले चुका है। संघ अर्थात शक्ति-पुंज जहां राष्ट्रभक्ति के संस्कार दिए जाते हैं और इन्हीं संस्कारों के बल पर आज समाज शक्तिशाली बन रहा है। रा.स्व.संघ ने अनगिनत लोगों को भारत माता की सेवा में समर्पित कर दिया और यह कार्य सतत जारी है। हिन्दू समाज के लिए गर्व की बात है कि उसकी चिंता करने वाला एकमेव संगठन रा.स्व.संघ है, जिसके तले सभी अपने को संगठित महसूस करते हैं। हिन्दू समाज की पीड़ा और दुखों को दूर करने का दायित्व जिस दिन से संघ ने लिया है उस दिन से संघ के स्वयंसेवक इस कार्य को पूरी तन्मयता और भक्तिभाव से करते आ रहे हैं। यह हम सभी के लिए गौरव की बात है।
—कृष्ण बोहरा
जेल मैदान, सिरसा (हरियाणा)
ङ्म राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की विचारधारा वर्तमान समय में समग्र रूप से हिन्दुओं का मार्गदर्शन ही नहीं कर रही बल्कि संपूर्ण देश को एक दिशा दिखा रही है। डॉ. हेडगेवार ने देशहित व हिन्दुओं को संगठित करने के लिए रा.स्व.संघ की स्थापना की थी। आज भी संघ उसी पथ पर निरंतर बढ़ता जा रहा है। आपदा और विपदा के वक्त संघ के कार्यकर्ता राहत के लिए सबसे पहले पहुंच जाते हैं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ कभी भी जात-पात, मत पंथ का भेद नहीं मानता, न ही स्वयंसेवक किसी नागरिक को उस तुला पर तोलते हैं। उनके लिए सबसे पहले हिन्दुस्थान और उसके निवासी हैं।
—आशीष वर्णवाल
मुखर्जी नगर (नई दिल्ली)
ङ्म राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने समाज को भारतीयता का बोध कराया है। डॉ. हेडगेवार द्वारा संघ के रुप में खड़ा किया गया देश भक्ति से ओत-प्रोत संगठन विश्व का सबसे बड़ा संगठन है। यही एक ऐसा संगठन है जो समाज जीवन के समग्र क्षेत्रों में लोगों की सेवा में जुटा हुआ है।
—हरिहर सिंह चौहान
जंबरी बाग नसिया, इंदौर (मध्य प्रदेश)
इस्लाम की खुलती पोल
लेख 'कबीलाई सोच और बुर्के में बंद आजादी' ने इस्लाम की दकियानूसी सोच की कलई खोल दी है। यह वही मजहब है जो हर समय दूसरों की गलतियों को देखता है लेकिन अपनी कारगुजारियों पर मुंह सिल लेता है। इसकी आदत है कि अगर इस पर कोई तनिक भी उंगली उठा दे तो यह उन्माद मचाने को आतुर हो जाता है। आज पूरा विश्व मजहबी जिहादियों के आतंक से त्रस्त है। उन की कारगुजारियों को सभी देख रहे हैं और यह भी देख रहे हैं कि कैसे यह खून के प्यासे बनकर मानवता के दुश्मन बन बैठे हैं। संपूर्ण विश्व को हरे रंग में रंगने की चाहत ने इसको पागल बना दिया है। अपने को शान्ति का मजहब बताने वाले चुप क्यों हैं? वे बताऐ कि आईएसआईएस और बोकोहराम किस मजहब का झंड़ा उठाए हैं?
—भावेश मरोलिया 'योगेन्द्र'
साहुलपुर, चूरू (राज.)
मनोहक अंक
'सब जग होली' के नयनाभिराम अंक की प्रस्तुति नि:संदेह मनमोहक थी। समग्रता को समेटते हुए इस अंक में होली के महत्व व उससे जुड़े विभिन्न पहलुओं को बताया गया। वैसे होली का त्योहार बचपन की यादों को जीवित कर देता है। उस समय जब होली के रंग में रंगकर सभी मतभेदों को भुलाकर होली खेलते थे तो किसी भी बात की सुध नहीं रहती थी। आज भी उस समय की होली का स्मरण नहीं भूलता।
—ई. गोविन्द प्रसाद शुक्ल
इंदिरा नगर,लखनऊ (उ.प्र.)
सरकार पर निर्भर होना छोड़ें!
हम हर एक कार्य के लिए सरकार से आशा लगाते रहते हैं और अपेक्षा रखते हैं कि वह हमारे सभी कार्यों को पूरा करेगी। लेकिन जब वह कार्य पूरे नहीं होते तो हमें दुख होता है। लेकिन इसके तह में जाए तो पाते हैं कि इस सबका कारण हमारी अपेक्षाएं ही हैं और यही वास्तविक दुख है। हम जितनी ज्यादा अपेक्षाएं करते हैं उतना ज्यादा हम दुख के सागर में डूबते चले जाते हैं, क्योंकि अधिकतर अपेक्षाएं हमारी पूरी नहीं होतीं। इसलिए हम सभी को अपेक्षाओं को छोड़कर कर्म करना चाहिए क्योंकि जैसा हम कर्म करेंगे उसके अनुरूप हमें फल मिलता रहेगा।
—एस.आर वर्मा त्रिनगर (दिल्ली)
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