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मुजफ्फर हुसैन
पाठक यदि भूले न हों तो भारत सरकार में जब मोरारजी देेसाई के मंत्रिमंडल में अटल बिहारी वाजपेयी विदेश मंत्री बनाए गए थे उस समय नागरिकों को सरलता से पासपोर्ट मिल सके इस सुविधा का सरलीकरण सर्वप्रथम अटल बिहारी वाजपेयी की ही दूरदृष्टि के कारण हुआ था। उस समय तक स्थिति यह थी कि पासपोर्ट प्राप्त करने के लिए सामान्य जनता को प्रदेशों की राजधानियों में जाकर यह कठिन कार्य अंजाम देना पड़ता था। जब इसकी व्यवस्था हर जिले में हो गई तो लोगों को आसानी से विदेश यात्रा का लाभ मिला। एक नजर दौड़ाएं तो इसका सबसे अधिक लाभ भारत के मुसलमानों को हुआ। एक तो हज यात्रा करने वालों की संख्या धड़ल्ले से बढ़ गई और दूसरी बात यह हुई कि अशिक्षित मुसलमानों के लिए अरबस्थान के दरवाजे खुल गए। इससे सामान्य मुसलमान को अरब देशों में जाकर काम करने की सुविधाएं मिल गईं। अब अरबस्थान की यात्रा करने वालों में शिक्षित होने के कारण मुसलमानों को उच्च दर्जे का काम करने की सुविधाएं मिल गईं। अशिक्षित होने के कारण मुसलमानों को उच्च दर्जे का काम नहीं मिलता था इसलिए निचले स्तर का कोई भी काम करके वे दो पैसे कमाने लगे। अब अरब स्थान की यात्रा करने वालों में शिक्षित मुसलमानों की भी तादाद बढ़ रही है लेकिन आज भी चौथे दर्जे का नागरिक वहां छोटा बड़ा काम करके अपने जीवन स्तर को सुधारने का प्रयास करता है। विदेश जाने वालों में सम्पूर्ण भारत के लोग धड़ल्ले से जाकर अपना कामकाज करने लगे। इसका परिणाम यह आया कि भारतीयों के जीवन स्तर में सुधार हुआ। पिछले दिनों अमरीका में खोराबगड़े प्रकरण काफी चर्चित हुआ। जिससे यह बात स्पष्ट हो जाती है कि भारत सरकार और स्वयं पढ़ा-लिखा नागरिक भी अपने हितों के लिए संघर्ष करता है। लेकिन अरब देशों पर एक दृष्टि दौड़ाएं तो आज भी तीसरे-चौथे दर्जे का भारतीय नागरिक अरब देशों में जाकर मेहनत मशक्कत से अपनी रोटी प्राप्त करना चाहता है। उसका जीवन स्तर सुधरे इसलिए वह न केवल हर प्रकार का काम करने के लिए तैयार हो जाता है बल्कि समय आने पर कानूनी संघर्ष भी करता है। अमरीका और यूरोप की सरकारें तो लोगों की बातों को सुनती हैं लेकिन अरब देशों की सरकारें आज भी टस से मस नहीं होती हैं। आज अरब के किसी भी मुसलमान से पूछिए तो वह हाय तौबा करने लगता है। भारत सरकार को अपनी शिकायतें भी भेजता है लेकिन उंगली तो उन नेताओं और संगठनों की तरफ उठती है जो रात-दिन इस्लामी भाईचारे की बात करते हुए नहीं थकते हैं। उन मौलानाओं और राजनीतिज्ञों से पूछा जाए जो मस्जिद के सदस्य और राजनेता मंच पर बैठकर भारत सरकार और यहां के सामाजिक संगठनों के विरुद्ध अनर्गल प्रचार करते और चौराहों पर भारतीय नेताओं के विरुद्ध विष उगलने में कोई कसर शेष नहीं रखते। हज यात्रा के साथ जाने वाला मुसलमान नेताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं का प्रतिनिधिमंडल क्या करता है? भारत में तो ये अपने विरोधियों के विरुद्ध टीका टिप्पणी करना और लगातार विष उगलते रहना अपना जन्मसिद्ध अधिकार समझते हैं, लेकिन इस्लामी देशों में भारतीय मुसलमानों के साथ होने वाले अन्याय पर उनकी जबान क्यों नहीं खुलती, मुस्लिम बंधुत्व और इस्लामी भाईचारे की बात वहां क्यों नहीं उठती? भारत के मुसलमान और मुस्लिम समर्थक राजनीतिक दल भी अपना यह दायित्व क्यों नहीं निभाते?
जिस कुवैत की प्रशंसा करते हुए मुसलमान बंधु थकते नहीं हैं वह भारतीय नागरिकों पर न केवल सार्वजनिक रूप से अत्याचार करता हैं। निजी शिकायतें तो बहुत दूर भारत सरकार को भेजी गई शिकायतों पर विचार करें तो रोंगटे खड़े हो जाते हैं। वे किस प्रकार की बर्बरता से पेश आते हैं उसके दिल हिला देने वाले अनेक उदाहरण आपके कानों पर सुनाई पड़े होंगे। कुवैत के मालिक अपने कर्मचारियों से किस तरह का व्यवहार करते होंगे इसकी कल्पना करना भी कठिन है। यहां उनको प्रताडि़त करने और शारीरिक अत्याचारों से दु:खी करने की घटनाओं का विवरण प्रस्तुत नहीं किया जा रहा है क्योंकि हर शिकायत उनकी हैवानियत की सूचक होती है। हम तो केवल उसके यहां आंकड़े ही प्रस्तुत कर देश की जनता को यह बतलाने का प्रयास कर रहे हैं कि जहां को सलामती और समानता के मजहब की संज्ञा दी जाती है वहां वे अपने ही मजहब के लोगों के साथ किस प्रकार पेश आते हैं। उनकी संख्या सैकड़ों में नहीं बल्कि हजारों और लाखों में है। दु:ख की बात तो यह है कि भारत के किसी मुस्लिम संगठन अथवा मुसलमानों का दम भरने वाली राजनीतिक पार्टियों ने संसद से लेकर सड़क तक कभी एक शब्द का उच्चारण भी नहीं किया। मुस्लिम संगठनों को इन देशों से इतना धन मिलता है कि वे भला इस तथ्य को क्योंकर उजागर करें! कुछ राजनीतिज्ञ और मौलाना तो एक अदद हज यात्रा पर ही बिक जाते हैं।क्या आप विश्वास करेंगे कि हमारी सरकार और इन सामाजिक संगठनों को वहां गए लोगों के अन्याय के विरुद्ध स्वयं भुक्तभोगियों से प्रतिदिन सैकड़ों शिकायतें मिलती हैं? पिछले दिनों भारतीय दूतावासों को केवल पिछले चार वर्षों में सऊदी अरब में 12, 4951 शिकायतें मिली हैं। इसके पश्चात कुवैत में 12110 कतर में 9876 अकरान में 1877, अरब अमीरात में 6,212, बहरीन में 3577, जार्डन में 26, यमन में 23 और ईरान से 162 भारतीय नागरिकों की शिकायतें मिली हैं। यह संख्या तो केवल सरकारी आंकड़ों की है, लेकिन जो लोग जो शिकायतें नहीं करते उनकी संख्या दुगुनी हो तो आश्चर्य की बात नहीं। इन भारतीयों के केवल पासपोर्ट ही जब्त नहीं कर लिए जाते हैं बल्कि उन्हें किस प्रकार से दंडित किया जाता है उसकी कहानी रोंगटे खड़े कर देने वाली है। वेतन न मिलना और जिनको मिलता है उन्हें समय पर न दिए जाने की शिकायत तो आम है ही। लेकिन उन्हें शारीरिक और मानसिक रूप से किस प्रकार दंडित किया जाता है उनकी रोमांचकारी कथा सुनते-सुनते आंखों से आंसू टपक पड़ते हैं। नौकरी पर रखते समय उन्हें सभी प्रकार की सुविधाएं दिए जाने का वादा किया जाता है। लेकिन दवाएं मिलना तो बहुत दूर उन्हें दो समय की पेट भर रोटी भी नहीं दी जाती है। जो भारतीय अवैध रूप से नौकरी करते हैं उन्हें दंडित किया जाता है। उन्हें तो घर से बाहर निकले और सूरज का उजाला देखे महीनों बीत जाते है। उन्हें दंडित करने के लिए कौन से अमानवीय हथकंडे अपनाए जाते हैं उनका वर्णन करते हुए भी आदमी के रोंगटे खड़े हो जाते हैं। उन पर होेने वाले अत्याचारों की कहानियां तो समय-समय पर प्रकाशित होती ही रहती हैं। भारत सरकार को प्राप्त होने वाली शिकायतों का ही कच्चा चिट्ठा प्रस्तुत करना हमारा उद्देश्य है। इन देशों से प्राप्त भारतीयों की शिकायतों के आंकड़े यहां प्रस्तुत कर रहे हैं। भारत के जिस किसी भी मजदूर अथवा कर्मचारी ने शिकायत कर दी उसे उक्त देश अपना वीजा नहीं देते हैं।
भारतीय केवल इन्हीं देशों में जाकर काम करते हों ऐसी बात नहीं है। वास्तविकता तो यह है कि भारतीय अपनी रोटी रोजी के लिए विश्व के समस्त देशों में फैले हुए हैं। इन देशों की संख्या 122 के लगभग है। विदेशों में जाकर काम करने वाले भारतीयों की संख्या बहुत बड़ी है। हमने उन्हीं देशों की जानकारी दी है जहां से भारत सरकार को शिकायतें प्राप्त हुई हैं। भारत सरकार निश्चित ही इन देशों की सरकारों से पूछताछ करती होगी लेकिन उसके परिणाम क्या आते हैं इसकी जानकारी भारत सरकार अपने दस्तावेजों में कहीं भी नहीं दर्शाती है।
मुसलमान देश 2011 2012 2013 2014
सऊदी अरब 3,665 4292 2367 2220
कुवैत 3,854 3,593 2887 774
कतर 386 3,385 325 उपलब्ध नहीं
अम्मान 2889 2361 1781 1145
अरब अमीरात 2184 1758 1781 1346
बहरीन 1158 865 828 856
जॉर्डन 1 1 11 13
यमन 10 – 17 6
ईरान 22 34 57 49
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