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प्रयाग जिले के न्यायालय परिसर में गत 11 मार्च को पुलिस उप निरीक्षक शैलेन्द्र सिंह एवं अधिवक्ता नवी अहमद और उनके साथियों के बीच हुए विवाद में उप निरीक्षक द्वारा चलाई गई गोली से नवी अहमद की मौत के बाद फैली हिंसा एवं अराजकता ने पूरे शहर को अपनी चपेट में ने लिया। वकीलों की भीड़ हत्यारोपी उप निरीक्षक को पकड़ने के लिये वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के कार्यालय में घुस गई, उनके मिलने पर कार्यालय में तोड़फोड़ कर वहां कार्य कर रहे दो दर्जन से अधिक पुलिस वालों, जिसमें महिला पुलिस भी शामिल थी, की बेरहमी से पिटाई की गई।
न्यायालय परिसर के बाहर दुकानों में तोड़फोड़ की गई, जो भी सामने मिला उसे पीटा गया और वाहन आग के हवाले कर दिए गए। हिंसा और अराजकता रोकने के लिये पुलिस को लाठी और गोली चलानी पड़ी जिसमें दर्जनों वकीलों को भी चोटें आयीं। वकीलों की भीड़ द्वारा ईर्ंट, पत्थर के साथ-साथ गोली भी चलाई गई, जो एक पुलिसकर्मी के गले में जा लगी जो जिंदगी और मौत से जूझ रहा है। दूसरी ओर पुलिस की बर्बरता का शिकार वे तमाम वरिष्ठ अधिवक्ता भी हुए जिनका इस घटना से कोई सरोकार तक नहीं था और वह मामले का हल कानून के दायरे में करने की कोशिश कर रहे थे। इसके बाद 'बार कौंसिल ऑफ इंडिया' की ओर से गत 16 मार्च को देशव्यापी हड़ताल की गई। वकीलों का आंदोलन अभी भी चल रहा है। इस घटना का मूल कारण मृतक वकील नवी अहमद का अपने पड़ोसी से चल रहा पुराना विवाद है। जिनसे नवी की बार-बार हार हो रही थी। नवी अहमद की बहन की शादी उनके मौसेरे भाई राशिद सिद्दीकी के साथ तय हुई थी, लेकिन किसी बात को लेकर वह रिश्ता नहीं हो सका। इस कारण रिश्ते में आई खटास धीरे-धीरे एक बड़े जमीनी विवाद में बदल गई। नवीनतम घटनाओं पर गौर करें तो गत वर्ष 1 जुलाई को राशिद सिद्दीकी द्वारा थाना कर्नलगंज में मृतक अधिवक्ता नवी अहमद व उनके पांच-छह अन्य सहयोगी अधिवक्ताओं के विरुद्ध मुकद्मा दर्ज किया गया था, जो अभी विचाराधीन है।
इस घटना के लगभग साढ़े तीन महीने बाद 19 अक्तूबर, 14 को कीड़गंज थाने में राशिद सिद्दीकी व उनके तीन अज्ञात साथियांे के विरुद्ध नवी अहमद द्वारा मुकद्मा दर्ज कराया गया था। इसी मुकद्मे की विवेचना उप निरीक्षक शैलेन्द्र सिंह कर रहे थे। जिसमें उनके द्वारा गत 15 जनवरी को अंतिम रपट लगाकर विवेचना समाप्त कर दी गई। इसकी पुष्टि अधिवक्ता के पिता द्वारा कर्नलगंज थाने में पुत्र की हत्या के बाद दर्ज कराई गई प्राथमिकी में है।
यही कारण था कि जब गत 11 मार्च को शैलेन्द्र सिंह एक अन्य मामले में पैरवी करने जिला न्यायालय गए तो नवी अहमद अपनेे अन्य साथियों के साथ उनसे विवाद करने लगे। विवाद जब आगे बढ़ने लगा तो शैलेन्द्र ने वहां से निकलना चाहा, लेकिन अधिवक्ता व उनके साथियों ने उप निरीक्षक की पिटाई शुरू कर दी, शैलेन्द्र बार-बार उनसे मारपीट न करने का आग्रह करते रहे। लेकिन नवी और उनके साथी उप निरीक्षक को पीटते हुए उनकी सर्विस रिवाल्वर छीनने लगे। अंतत: वही हुआ जिसकी कल्पना किसी ने न की थी, शैलेन्द्र द्वारा चलाई गई
गोली सीधे नवी अहमद को लगी और उनकी मौत हो गई। ल्ल हरि मंगल
विधवा से बलात्कार पर मौन क्यों ?
पश्चिम बंगाल में एक तरफ रानाघाट में वृद्धा नन के साथ हुए बलात्कार की घटना पूरे देश-विदेश में सुर्खियों में है। इस घटना को एक पंथ विशेष से जोड़कर देखा जा रहा है। मीडिया में खबरें आ रही हैं कि वहां रहने वाले 600 से अधिक परिवार इस घटना के बाद से दहशत में हैं, लेकिन बसीरहाट में एक विधवा के साथ हुई बलात्कार की घटना पर किसी ने विशेष ध्यान नहीं दिया है। यहां एक मुसलमान ने विधवा के साथ बलात्कार किया, महिला के पति की दो वर्ष पूर्व मृत्यु हो चुकी है।
हैरानी की बात यह है कि इस वारदात के बाद कोई संगठन महिला के प्रति सहानुभूति तक दिखाने के लिए आगे नहीं आया। घटना के बाद से 55 वर्षीय महिला काफी घबराई हुई हैं। कोलकाता से करीब 70 किलोमीटर दूर बसीरहाट में पीडि़ता अपने घर पर अकेली रहती हैं। घटना वाले दिन वह अपने घर में सो रही थीं, तभी महबूब नामक शख्स उनके घर में जबरन घुस गया। महिला नींद से जागी तो उन्होंने आरोपी को अपने निकट पाया जिसने उनके साथ बलात्कार किया। महिला ने विरोध कर उसे पकड़ने की कोशिश की तो आरोपी ने उनका गला दबाकर जान से मारने की धमकी दी और फरार हो गया।
मामले की जानकारी मिलने के बाद पुलिस पीडि़ता को उपचार के लिए अस्पताल ले गई। पुलिस ने इस संबंध में मामला दर्ज कर महबूब को उसके एक रिश्तेदार के घर से गिरफ्तार कर लिया। उधर नन के साथ हुए सामूहिक दुष्कर्म के मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने रपट तलब की है। आयोग ने दो सप्ताह के भीतर राज्य सरकार को रपट सौंपने को कहा है।
ल्ल प्रतिनिधि
आरोपी हुआ बरी
ओडिशा के कंधमाल जिले में नन से हुए बलात्कार के मामले में आरोपी अनंगा प्रधान को न्यायालय ने साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया। तीन अन्य आरोपियों के विरुद्ध अभी मामला चल रहा है। जानकारी के मुताबिक 19 सितम्बर, 2008 को कंधमाल के एक आंगनवाड़ी केन्द्र में रहने वाली नन के घर 20-25 लोग घुस गए थे और पांच लोगों ने महिला के साथ बलात्कार किया था।
पुलिस द्वारा न्यायालय में दायर आरोपपत्र में एक नाबालिग सहित पांच लोगों को आरोपी बनाया गया था। यह मामला फुलबानी न्यायालय में चलाया गया था, लेकिन पीडि़ता की अर्जी पर ओडिशा उच्च न्यायालय के आदेश पर इस मामले को गंजम जिले के ब्रह्मपुर सत्र न्यायालय में स्थानांतरित कर दिया गया था।
ल्ल पंचानन अग्रवाल
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