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पथ पर चलना है अगर तो मुस्कुराकर चल मुसाफिर वह मुसाफिर क्या जिसे कुछ शूल ही पथ से थका दें?
मानव जीवन की यात्रा बड़ी ही कठिन है। यह कठिन यात्रा सकुशल अपने लक्ष्य तक कैसे पहुंचे इसके लिए जीवन में हम सभी कुछ महान और 'साधारण से असाधारण' बनने वाले विभूतियों के जीवन का अनुसरण करते हैं। कैसे कभी-कभी कुछ कविताओं की दो पंक्तियां या कुछ पुरुषार्थी व्यक्तियों के जीवन चरित हमारे लिए प्रेरणा बन जाते हैं और उनके पग चिन्हों पर चलकर या कथनों का अनुसरण करके हमारा संपूर्ण जीवन ही बदल जाता है। इस प्रक्रिया से समाज का हर व्यक्ति गुजरता है। समाज के जो लोग अपने जीवन में सफल होना चाहते हैं वे पुरुषार्थी व्यक्तियों के जीवन चरित को जानने और उन्होंने कैसे कठिन से कठिन परिस्थितियों में जीवन जीया और अपने लक्ष्य को प्राप्त किया को जानने के लिए लालायित रहते हैं। ऐसे सभी लोग वे चाहे भारत के हों या अन्य देशों के आज पुरुषार्थियों के लिए एक मिसाल हैं। इन लोगों ने अपने जीवन में ज्ञान कौशल से कुछ ऐसी चीजें भेंट कीं जो आज मानव सभ्यता के लिए अतिउपयोगी हैं।
लेखक दिनकर कुमार की पुस्तक '101 हस्तियां जिन्होंने दुनिया बदल दी' में 101 ऐसी ही चुनी हुई प्रतिभाओं और पुरुषार्थियों की जीवनियों को शामिल किया गया है,जिन्होंने अलग-अलग क्षेत्रों-दर्शन, मनोविज्ञान, राजनीति और आविष्कार के क्षेत्रों में दुनिया के समझ अद्भुत उदाहरण ही प्रस्तुत नहीं किया बल्कि मानव जीवन को कैसे लक्ष्य तक पहुंचाया जाए इसके लिए भी प्रेरित किया।
बिल गेट्स को आज देश-दुनिया में कौन नहीं जानता। माइक्रोसॉफ्ट कंपनी बनाकर उन्होंने दुनिया को नई राह दिखाई। लेखक ने 'बिल गेट्स' के जीवन के विषय में लिखा कि बचपन से ही उनकी लगन कम्प्यूटर और तकनीक के क्षेत्रों में ज्यादा थी और इसी के कारण पढ़ाई के दौरान ही उन्होंने कंप्यूटर प्रोग्राम बनाकर 4,200 डॉलर कमा लिए। एक बार उन्होंने अपने अध्यापक को किसी बात से तंग आकर कहा था कि वह 30 वर्ष की उम्र में करोड़पति बनकर दिखाएंगे और यही हुआ। उच्च शिक्षा ग्रहण करने के बाद 31 वर्ष में वे अरबपति बन गए। सोलह वर्ष तक वह अरबपतियों की सूची में नंबर एक पर रहे। वह अपनी कामयाबी के सूत्र बताते हुए कहते हैं 'रास्ते स्वयं बनाइये, उसूलों पर डटे रहें, हमेशा आगे की सोचें, दुनिया बदलें या घर बैठें, सही लोगों का साथ लें, समस्याओं को टुकड़ों में हल करें, नाकामी को भी न भूलें,'। कंप्यूटर और समाजसेवा के क्षेत्र में इनके उल्लेखनीय योगदान के लिए उन्हें दुनिया के कई प्रसिद्ध पुरस्कार मिले। आज इनका 'बिल एंड मेलिंडा फाउंडेशन' दुनियाभर के जरूरतमंदों की मदद में हाथ बंटाता है।
कुछ लोग अपनी मजबूरियों और उम्र का सहारा लेकर कहते हैं कि अभी मुझसे यह नहीं हो सकता। लेकिन शायद ऐसा नहीं है। कुछ करने का आप में जज्बा है तो न तो उम्र इसके आडे़ आती है और न ही किसी भी प्रकार की मजबूरियां। जिस उम्र में ही यह प्रतिभा जाग जाती है उस उम्र में ही लक्ष्य बनने लगते हैं और दुनिया आप के समक्ष नतमस्तक होने लगती है। नादिया कोमानेची ऐसे लोगों के लिए प्रेरणा स्वरूप हैं। नादिया कोमानेची महान जिमनास्ट रही हैं। वे ओलंपिक में 'ऑल राउंड' खिताब जीतने वाली पहली रोमानियाई जिमनास्ट बनीं। उनके नाम सबसे कम उम्र में (14 वर्ष) में ऑलराउंड चैंपियंन बनने का भी रिकॉर्ड दर्ज है। 13 वर्ष की छोटी सी उम्र मंे ही उन्होंने अनेक अन्तरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग लिया और आस-पास के देशों में धाक जमाकर लगभग सभी स्वर्ण पदकों को अपने देश के नाम कर लिया। नादिया के जीवन का एक सीधा सा संकल्प है 'आसान जीवन के लिए प्रार्थना मत करो, एक मजबूत व्यक्ति होने के लिए प्रार्थना करो।' कुल मिलाकर पुस्तक में आज के युवा वर्ग के लिए अनेक प्रेरणास्पद जीवनियां हैं, जिनको जानकर वे अपना मन-मस्तिष्क परिवर्तित कर सकते हैं। साथ ही पुस्तक का आलोचनात्मक पहलू यह है कि इसमें पश्चिमी देशों के असाधारण व्यक्तियों को अधिक स्थान दिया गया है,जो पाठकों को खलता है। ल्लअश्वनी मिश्र
पुस्तक का नाम – 101 हस्तियां जिन्होंने दुनिया बदल दी
लेखक – दिनकर कुमार
प्रकाशक – प्रभात प्रकाशन
मूल्य – 150/रु.
पृष्ठ – 215
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