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अंक संदर्भ : 22 फरवरी, 2015
आवरण कथा 'आकांक्षाओं की उड़ान' दिल्ली विधान सभा चुनाव में आम आदमी पार्टी की जीत कई चीजें स्पष्ट करती है। उसकी यह जीत किसी कांटे के ताज से कम नहीं है। जनता ने बिजली, पानी और तमाम मुफ्त की योजनाओं के झांसे में केजरीवाल को सिर-आंखों पर बैठाकर प्रचण्ड बहुमत दिया। किसी ने भी इन नतीजों की कल्पना नहीं की थी। लेकिन अब जनता को उनसे वे सभी उम्मीदें हैं, जो उन्होंने चुनाव के समय की थीं। आम आदमी पार्टी को चाहिए कि वह सभी वायदें जल्द से जल्द पूरे करें, क्योंकि अब उनका कोई भी बहाना जनता सुनने वाली नहीं है।
—सूर्यप्रताप सिंह सोनगरा
कांडरवासा (म.प्र.)
ङ्म अपने को पाक-साफ कहने वाली आआपा ने चुनाव मेंवे सभी हथकंडे अपनाए जो इस तरह के दल करते हैं। विदेशी चंदे पर दूसरे दलों को घेरने वाले केजरीवाल ने विधान सभा चुनाव में जमकर विदेशी चंदा लिया। आम आदमी पार्टी ने दिल्ली की जनता से रेवडि़यों के मोल वादे किए। जो मन में आया, सत्ता पाने के लिए बोलते गए। लेकिन जनता ने उन सभी वादों को गंभीरता से लिया और उन्हें दिल्ली की सत्ता पर बिठा दिया। लेकिन यहां सवाल इस बात का है कि वे इन सभी वायदों को पूरा कैसे करेंगे? इतना पैसा कहां से आएगा? खैर, कुछ भी हो आने वाला समय इन सभी बातों का उत्तर दे देगा, क्योंकि केजरीवाल ने दिल्ली की जनता से जितने भी लोकलुभावन वादे किए हैं वे उन्हें पूरे करने हैं और अगर वे ऐसा नहीं करते हैं तो जनता ने उन्हें जिस प्रकार सिर-आंखों पर बिठाया है, वैसे ही वह उतार भी देगी।
—राममोहन चंद्रवंशी
टिमरनी,जिला-हरदा (म.प्र.)
ङ्म दिल्ली विधान सभा चुनाव में राजनीतिक पंडितों के सभी आंकडे़ ध्वस्त हो गए। जनशक्ति ने सभी को झुकने पर मजबूर कर दिया। सभी दलों ने इस भारी बहुमत का सम्मान किया। क्योंकि यही असली लोकतंत्र है। लेकिन आआपा समाज में बदलाव की बात करती है और कहती है कि पूरी व्यवस्था भ्रष्ट हो गई है। आआपा से सवाल है कि उसने चुनाव में जनता से तमाम वादे करके उसको न केवल बरगलाया अपितु वे सभी हथकंडे अपनाये जो अन्य अवसरवादी दल करते हैं, क्या ये उसने सही किया? लालच और मुफ्तखोरी से समाज में कैसे बदलाव संभव है? इस प्रकार के वातावरण से मेहनतकश लोगों की भावना डगमगायेगी और वे भी धीरे-धीरे मुफ्तखोरी की ओर बढ़ते जाएंगे। अब दिल्ली के सिंहासन पर केजरीवाल विराजमान हैं और जनता उनकी ओर टक-टकी लगाये देख रही है कि कब वे अपने वादे पूरे करेंगे?
—हरिहर सिंह चौहान
जंबरीबाग, इंदौर (म.प्र.)
ङ्म भारतीय जनता पार्टी को दिल्ली में हुई हार पर चिंतन करना चाहिए। क्योंकि दिल्ली के इस चुनाव से देश को स्वस्थ संदेश नहीं गया। विरोधियों को इस जीत से केजरीवाल के रूप में एक हौसला मिल गया है। इस चुनाव में सभी ने देखा कि कैसे देशभर के वामपंथी, सेकुलर और हिन्दू विरोधी एकजुट होकर भारतीय जनता पार्टी को हराने के लिए बिलों से बाहर निकल आए और उनकी इस मौकापरस्ती ने अपना कार्य भी कर दिया।
-हरेन्द्र प्रसाद साहा
नयाटोला, कटिहार (बिहार)
ङ्म देश व दिल्ली की जनता अरविंद केजरीवाल के चाल-चरित्र और चेहरे से भलीभांति परिचित है। वे जो कहते हैं उसे अक्सर करते नहीं। लेकिन इस बार उन्होंने मुफ्त की रेवडि़यों का लालच देकर दिल्ली की जनता को अपने मायाजाल में फंसा लिया। लेकिन अब वे इन वायदों को पूरा कैसे करेंगे? क्योंकि दिल्ली पूर्ण राज्य नहीं है। ऐसे में अधिकतर संसाधन और अधिकार केन्द्र के अधीन हैं। दिल्ली का बजट सीमित है और वायदे असीमित किए गए हैं। ये सभी सवाल अहम हैं। वैसे इतने दिन के काम में एक चीज दिखाई देने लगी है कि उन्होंने अपनी प्रवृत्ति दोहराने की पृष्ठभूमि तैयार कर ली है। जैसे ही उन्हें लगेगा कि वे वादे पूरे नहीं कर पाएंगे, वह केन्द्र सरकार को इसका जिम्मेदार ठहराने में देर नहीं करेंगे।
—डॉ.खी.जवलगेकर,
सोलापुर (महाराष्ट्र)
ङ्म दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी की हार में जनता को दोषी नहीं ठहराया जा सकता। साथ ही भाजपा को भी इस हार से घबराना नहीं है, बल्कि कारणों को जानकर उन्हें सुलझाना है। कभी-कभी हार जगाने का काम करती है और दिल्ली की हार ने भाजपा को जगाने का काम किया है, कि अब आने वाले चुनावों में और तैयारी के साथ उतरना होगा।
—प्रो.परेश कुमार
(चण्डीगढ़)
बढ़ता कुचक्र!
रपट 'धोखा, निकाह और फिर दासी' ने सिद्ध किया कि कैसे इस्लाम और ईसाइयत हिन्दुओं को धोखा देने में लगे हुए हैं। देश के विभिन्न क्षेत्रों में इस प्रकार के कुचक्र आज आम तौर पर देखने को मिल जाएंगे। लेकिन दुर्भाग्य से उसके बाद भी हिन्दू समाज इन घटनाओं से कुछ नहीं सीखता। ईसाई मिशनरियां और मुल्ला-मौलवी षड्यंत्रपूर्ण तरीके से वनवासी क्षेत्रों में हिन्दू लड़कियों को अपने पाश में ले रहे हैं। उनकी जगह-जमीनंे हड़़प रहे हैं और शादी के नाम पर उनका कन्वर्जन कर रहे हैं। आज हिन्दू समाज को ईसाई मिशनरियां तोड़ने पर लगी हुई हैं। अगर इस प्रकार के कृत्यों पर जागरूक होकर लगाम न लगाई गई तो हालात बड़े ही दु:खद होंगे।
—कजोड़ राम नागर
दक्षिणपुरी (नई दिल्ली)
ङ्म मुसलमानों का हर गुनाह माफ और हिन्दू को बेवजह कड़ी सजा, यह ब्रिटिश कालीन नीति आज भी हूबहू देखी जा सकती है। अक्सर इस प्रकार की घटनाओं में हिन्दू ही प्रताडि़त होता है और प्रताडि़त करने वाले मुसलमान या ईसाई ही होते हैं। यह एक सचाई है और इसे झुठलाया नहीं जा सकता। वनवासी बहुल इलाकों में बंगलादेशी मुसलमानों का आना बदस्तूर जारी है। ये मुसलमान यहां आकर हिन्दुओं की संपत्तियों पर कब्जा करते हैं, अवैध काम करते हैं, अपराध करते हैं, देश विरोधी कार्यों को अंजाम देते हैं। इन सबके बाद भी अभी तक उनके आने पर पूर्ण पाबंदी नहीं लग सकी है। जब तक इन बंगलादेशी मुसलमानों का आना जारी रहेगा तब तक इस प्रकार की घटनाएं होती रहंेगी और हिन्दू जनमानस ऐसे ही प्रताडि़त होता रहेगा।
—सुहासिनी किरानी
गोवलीगुडा (तेलंगाना)
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