|
.गत दिनों सिडकुल सितारगंज,उत्तराखंड में महाराणा प्रताप के वंशजों की कार्यस्थली पर बारह राणा स्मारक समिति द्वारा एक कार्यक्रम आयोजित किया गया था, जिसमें मुख्य वक्ता के रूप में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवत उपस्थिति थे। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि महाराणा प्रताप ने घास की रोटियां खाकर देश के सम्मान की रक्षा की। लेकिन वे कभी भी कठिन से कठिन परिस्थितियों के सामने झुके नहीं बल्कि इस आंधी रूपी संकट में अपना सीना तान कर खड़े रहे और सभी परिस्थितियों का डटकर मुकाबला करते रहे। महाराणा प्रताप एक सच्चे देशभक्त थे और उनका मुगलों के खिलाफ संघर्ष देश की रक्षा का प्रतीक बना। अपना सम्पूर्ण जीवन देश के लिए समर्पण कर उन्होंने हिन्दू समाज के सामने एक उदाहरण प्रस्तुत किया। आज समाज के सभी लोगों को राणा प्रताप के जीवन को पढ़ना चाहिए और फिर उनके जीवन पर चिंतन करना चाहिए। इस अवसर पर श्री भागवत ने महाराणा प्रताप की साढ़े अट्ठारह कुन्तल की प्रतिमा का अनावरण किया। कार्यक्रम में वनवासी कल्याण आश्रम के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री जगदेव राव, पूर्व पुलिस महानिदेशक ज्योति स्वरूप पाण्डेय, सेवानिवृत्त ले. जनरल एम.सी.भण्डारी व राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य श्री इन्द्रेश कुमार, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष प्रकाश पंत सहित अनेक गणमान्य जन उपस्थित रहे। ल्ल प्रतिनिधि
'हिन्दुओं को टेढ़ी नजर से देखा तो मिलेगा सटीक जवाब'
विश्व हिन्दू परिषद, झारखंड के तत्वावधान में स्वर्णजंयती उपलक्ष्य में गत 26 फरवरी को विराट हिन्दू सम्मलेन का आयोजन किया गया। स्वर्णजयंती वर्ष को भव्य बनाते हुए रांची के विधानसभा मैदान में रांची सहित रामगढ़ और खूंटी जिले से लगभग दस हजार से अधिक हिन्दू कार्यकर्ता उपस्थित थे। कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में विश्व हिन्दू परिषद के अंतर्राष्ट्रीय कार्याध्यक्ष डॉ.़प्रवीण भाई तोगडि़या एवं विशिष्ट वक्ता के रूप में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह श्री दत्तात्रेय होसबाले की गरिमामय उपस्थिति रही। दोनों अतिथियों ने गो पूजन कर सम्मेलन का उद्घाटन किया।
विराट हिन्दू सम्मेलन को संबोधित करते हुए रा.स्व.संघ के सह सरकार्यवाह श्री दत्तात्रेय होसबाले ने कहा कि विश्व हिन्दू परिषद ने इस स्वर्णिम कालखंड में हिन्दू समाज और हिन्दू राष्ट्र के लिए व्यापक कार्य किया है। 'न हिन्दू पतितो भवेत्' के मूल मन्त्र को लेकर मम दीक्षा, हिन्दू रक्षा के सपनों को साकार करने में यह संगठन सतत् कार्य कर रहा है और इसी का फल आज इस मैदान में हिन्दुओं की विराट उपस्थिति से प्रतीत भी हो रहा है। उन्होंने हिन्दुआंे के स्वर्णिम मानबिन्दुओं का स्मरण कराते हुए कहा कि अब हिन्दू समाज जाग उठा है और अब जो इसे टेढ़ी नजर से देखेगा, जो हमारे संस्कार और संस्कृति पर कुठाराघात करेगा, उसे हिन्दू समाज सही और सटीक जवाब देगा। हम सेवा के लिए सिद्ध हैं तो संघर्ष के लिए भी उतने ही सिद्ध हैं । ़हिन्दू तो कण-कण में भगवान को मानता है। श्री होसबाले ने हिन्दुओं का आह्वान करते हुए कहा कि आज से हम प्रण लें कि हमें नदियांे की स्वच्छता, अपने मान बिन्दुआंे की सुरक्षा, अपनी संस्कृति का स्वाभिमान और अपने घरों और बच्चांे में हिन्दू संस्कार की शिक्षा ही देनी है। कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित विश्व हिन्दू परिषद के अंतर्राष्ट्रीय कार्याध्यक्ष डॉ.प्रवीण भाई तोगडि़या ने विराट जनसमूह में जोश भरते हुए हिन्दुओं के स्वाभिमानी इतिहास की चर्चा की। उन्होंने कहा कि जहां-जहां भारत की पवित्र भूमि से हिन्दू घटा है वह भाग अपनी पुण्यभूमि से कटा है। दो हजार वर्ष का ईसाइयत और 1400 वर्ष का इस्लाम दोनों ने कन्वर्जन का सहारा लेकर भारत भूमि को क्षत-विक्षत किया है। भारत के कई क्षेत्रों में जैसे-कश्मीर घाटी हो या केरल, असम हो या बंगाल और पूर्वोत्तर के राज्यों में हिन्दुओं की स्थिति दयनीय है। उन्होंने कहा कि भारत में ईसाइयत और इस्लाम के आने से पूर्व यह धन-धान्य से परिपूर्ण था इसीलिए इसे सोने की चिडि़या कहा जाता था। किन्तु आततायियों चाहे वह इस्लाम के हों या फिर ईसाई, सभी ने यहां के संसाधनों को लूटा और अपने देशों को ले गए। इन लोगों ने हमारी सहनशीलता को कमजोरी माना और हमारे हिन्दू भाइयों का कन्वर्जन किया और इनका यह कार्य आज भी बदस्तूर जारी है। डॉ. तोगडि़या ने स्वर्णिम वर्ष के अवसर पर हिन्दुओं से आह्वान किया कि अब कहीं हिन्दू घटे नहीं, कहीं हिन्दू बंटे नहीं, कहीं हिन्दू सिमटे नहीं, घरवापसी हो, बंगलादेशी मुसलमानों को कहीं भी इस भूमि पर स्थान तक न मिले, ऐसा हम सबको मिलकर करना है।
़इस अवसर पर स्वर्णजयंती समारोह के अध्यक्ष श्री सूर्यभान सिंह, कार्यक्रम संयोजक श्री राजकिशोर , विश्व हिन्दू परिषद के उपाध्यक्ष श्री जगनाथ साही, क्षेत्र संघचालक श्री सिद्धिनाथ सिंह सहित अनेक कार्यकर्ता उपस्थित थे। ल्ल प्रतिनिधि
टिप्पणियाँ