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सूर्य प्रकाश सेमवाल
दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में विश्व हिन्दू परिषद के स्वर्णजयन्ती उत्सव की श्रृंखला में पांचवां विराट हिन्दू सम्मेलन आयोजित किया गया। भारी वर्षा के बावजूद अनुमानत: 40 हजार से भी अधिक लोग इस सम्मेलन में उपस्थित हुए। जिसमें धर्मगुरुओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं और हिन्दू संगठनों से जुड़े नेताओं ने एकमत से यह संकल्प लिया कि हिन्दुओं की जनसंख्या किसी भी कीमत पर 80 प्रतिशत से कम नहीं होनी चाहिए, कन्वर्जन पर ठोस कानून एवं गोरक्षा के लिए विशेष प्रयत्न होना चाहिए। सम्मेलन के प्रारंभ में बाबा सत्यनारायण मौर्य ने भारतमाता की आरती, बाल भारती स्कूल की छात्राओं ने भारत माता की वंदना पर आधारित नृत्य और अग्रसेन पब्लिक स्कूल के छात्रों ने हनुमान चालीसा की नृत्यमय प्रस्तुति दी। गोमाता के संवर्धन एवं इसकी रक्षा के संकल्प के साथ विहिप के अन्तरराष्ट्रीय संगठन महामंत्री श्री दिनेश चन्द्र ने गोपूजन किया। परिषद के स्वर्णजयंती व कार्यक्रमों में देश के कई जिलों में हिन्दू सम्मेलन सहित 4 विराट हिन्दू सम्मेलन हो चुके हैं।
महंत नवलकिशोर दास ने कहा कि हिन्दू समाज हमेशा से परीक्षा देता आया है। उस समय देश में राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक मानबिन्दुओं पर कुठाराघात हो रहा है। हमें एकजुट होकर गांव-गांव नगर-नगर जाकर हिन्दू समाज को जागृत और पुनर्गठित करने का कार्य करना होगा।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह श्री सुरेश सोनी ने कहा कि स्वामी विवेकानंद ने विश्व के सभी मतपंथ के लोगों को कहा था कि मैं हिन्दू धर्म की ओर से आप सभी का स्वागत करता हूं। मैं उस देश से आया हूं जिसने किसी को सताया नहीं, बल्कि जिस किसी को कहीं शरण नहीं मिली उसको भारत में शरण मिली है। समूचे विश्व में शांति केवल हिन्दू धर्म के महान जीवन मूल्यों के आधार पर ही स्थापित होगी। हिन्दुओं के अलावा इस्लाम और ईसाइयत को मानने वाले जहां भी गए उन्होंने वहां शोषण किया और अपने उपनिवेश स्थापित किए। हिन्दू जीवनदृष्टि समाज जीवन की चिन्ता करने वाली जीवनदृष्टि है। आज हमें जातियों के अन्दर विद्यमान द्वेषभाव, भाषा और प्रांतवाद से बाहर निकलकर समाज में नैतिक और आध्यात्मिक मूल्यों पर जोर देने की आवश्यकता है। आज आर्थिक क्षेत्र में जो भ्रष्टाचार और सामाजिक जीवन के अन्दर विभिन्न प्रकार के जो दुराचार विद्यमान हो गए हैं वे हमारी विश्वगुरु की छवि को ग्रहण लगाने वाले हैं। हमें समरसता युक्त समाज निर्माण के साथ नवयुवकों को चरित्रवान बनाने का अभियान भी छेड़ना होगा।
श्री सुरेश सोनी ने सम्मेलन में बड़ी संख्या में उपस्थित लोगों का आह्वान किया कि देश के सामने जो भी चुनौतियां हैं उनके समाधान के लिए हिन्दुओं को ही आगे आना होगा।
तिब्बत के पूर्व निर्वासित प्रधानमंत्री सुप्रसिद्ध बौद्धगुरु सैमदोंग रिम्पोछे ने कहा कि भारत को सभी मतपंथ के लोगों के साथ समता के व्यवहार की शिक्षा किसी से लेने की जरूरत नहीं है। इस देश में हजारों वर्षों से समभाव और बन्धुत्व विद्यमान रहा है। आज देश को प्रगति और समृद्धि की ओर ले जाने के लिए यह आवश्यक है कि हम मजहबी संघषोंर् से बचते हुए देश की समस्याओं और दु:खों को दूर करने के सामूहिक प्रयत्न करें। बहुंसंख्यक और उदारवादी हिन्दू समाज से अलग इसकी कल्पना नहीं की जा सकती।
जैन मुनि तरुण सागर जी ने कहा कि दुनिया में तीन प्रकार की प्रवृत्ति के लोग होते हैं- जो केवल अपना भला चाहते हैं वे दुर्योधन की श्रेणी में, जो अपनों का भला चाहते हैं वे युधिष्ठिर और जो सबका भला चाहते हैं वे श्रीकृष्ण की श्रेणी में आते हैं। सबका भला चाहने वाला भगवान होता है, अपनों का भला चाहने वाला इंसान और केवल अपना भला चाहने वाला स्वार्थी होता है। हिन्दू संस्कृति दुनिया में सबसे बड़ी और महान संस्कृति हैं इसलिए कि इसने विश्व को 'सर्वे भवन्तु सुखिन:' का कल्याणकारी मंत्र दिया। हिन्दू संस्कृति को समझना हो तो एक बीमार और भूखी शेरनी का उदाहरण पर्याप्त है। जिसके शिशु उसके मुंह में अपना पैर दे देते हैं। संत एकनाथ के हाथ से जब कुत्ता रोटी लेकर भागता है तो वे उसके पीछे घी देने के लिए दौड़ते हैं। जबकि इसके विपरीत विदेशी संस्कृति 'खाओ-पीओ और मौज करो' की है, 'होटल' से शुरू होती है और 'हास्पिटल' में खत्म हो जाती है। यदि इस देश का 80 करोड़ हिन्दू एकजुट हो जाए तो दुनिया की कोई ताकत हमारी ओर बुरी नजर से नहीं देख पाएगी। जो समाज खण्ड में बंटता है वह समाप्त होता है, उसका कोई भविष्य नहीं होता। लवजिहाद जैसे खतरनाक कृत्यों की निन्दा होनी चाहिए। कल तक भारतीय समाज मंत्र और यंत्र के बल पर संचालित होता था। आज केवल षड्यंत्र चल रहे हैं जिसका प्रमाण लव जिहाद है। हिन्दू लड़कियों को मुसलमान बनाने का कुचक्र समय रहते रोक दिया जाना चाहिए अन्यथा यह भारत का काला भविष्य है। सरकार को वक्त रहते सचेत रहना चाहिए, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को स्वयं इस गंभीर प्रकरण पर ठोस कार्ययोजना बनानी चाहिए। हिन्दू धर्म बिना गाय के नहीं बच सकता। हमें गाय बचानी चाहिए। हम गाय को खिलाएं वह हमें खिलाएगी। गाय ही हमको बचाएगी। कन्वर्जन के खिलाफ ठोस कानून बनना चाहिए और यदि कोई घरवापसी चाहता है तो उसका दिल से स्वागत होना चाहिए। इस देश की विडम्बना यह है कि जब हजारों लाखों हिन्दुओं को ईसाई या मुसलमान बनाया गया तब किसी हिस्से से चूं तक की आवाज नहीं आयी और अब जब कुछ इधर-उधर भटके लोग घर वापस आ रहे हैं तो इतना हो-हल्ला मच रहा है। भारतीय संस्कृति के दो महानायक-राम ने जो किया वह हमें करना है और कृष्ण ने जो कहा वह हमें करना है तभी हिन्दू धर्म अपनी प्रतिष्ठा को पुन: विश्व मंच पर स्थापित कर सकेगा।
दिल्ली उच्च न्यायालय की वरिष्ठ अधिवक्ता श्रीमती मोनिका अरोड़ा ने कहा कि हिन्दू संस्कृति में नारी शक्ति का पर्याय है और इस देश में हजारों वर्षों से उसकी पूजा होती रही है। आज हरेक भाई को राम और हर घर को राममय बनाने की आवश्यकता है, तभी मां बहन को अपेक्षित सम्मान मिलेगा।
पूर्व केन्द्रीय मंत्री एवं सुप्रसिद्ध कानूनवेत्ता डॉ. सुब्रह्मण्यम स्वामी ने कहा कि ऐसे सम्मेलन हिन्दू धर्म और भारत के पुनरुत्थान के लिए आवश्यक हैं। जब तक हिन्दू बहुमत में रहेगा तभी तक लोकतंत्र और धर्मनिरपेक्षता बचे रहेंगे। इतिहास गवाह है कि जहां मुसलमान ज्यादा संख्या में हुआ वहां न लोकतंत्र बचा और न ही आस्था की स्वतंत्रता। पूरे विश्व की तरह ही भारत में केरल के मल्लापुरम और जम्मू-कश्मीर जैसी जगहों की स्थिति हमारे सामने है। दुनिया में जहां भी मुसलमान और ईसाई गए उन्होंने वहां कब्जा किया और वहां के मतपंथ बदल डाले। ईरान में मुसलमानों ने 15 वर्ष में, इराक में 17 वर्ष में और ईिजप्ट में 21 वर्ष में 100 प्रतिशत लोग मुसलमान बना डाले। यही स्थिति यूरोप की है। वहां भी ईसाइयों ने लगभग यही किया। भारत में 800 वर्ष मुसलमानों ने और 200 वर्ष ईसाइयों ने राज किया, लेकिन छत्रपति शिवाजी, महाराणा प्रताप, झांसी की रानी, रानी चेनम्मा आदि लड़ते रहे, झुके नहीं। हमें अपने ऐसे पूर्वजों के प्रति श्रद्धा रखनी चाहिए। जिस देश में 40 हजार मन्दिर तोड़े गए हों और आज हिन्दू समाज अयोध्या काशी और मथुरा के तीन मन्दिरों की मांग करता है तो इसमें बुरा क्या है? यह कहना कि मस्जिद को नहीं तोड़ा जा सकता भ्रामक तथ्य है। सऊदी अरब में सड़क और 'अपार्टमेंट' बनाने के लिए मस्जिदों को तोड़ा गया है। जहां कभी पैगम्बर मोहम्मद ने नमाज पढ़ी थी वहां आज शेख का महल बन गया है। विहिप के माध्यम से आज देश के हिन्दू समाज में जो जागृति आयी है वह सराहनीय है। हमारे सही इतिहास को सम्मुख रखकर हिन्दुओं की विराट भावना का भी सम्मान होना चाहिए। देश में हिन्दू मुसलमान सभी रहें लेकिन मूलधारा गंगा के रूप में हिन्दू को स्वीकारना ही होगा। वरिष्ठ कवि गजेन्द्र सोलंकी ने प्रभावपूर्ण कविता प्रस्तुत करते हुए कहा कि हमारे ऋषि-मुनियों ने 'वसुधैव कुटुम्बकम्' की जो दिव्य भावना दी थी, राम और कृष्ण ने जो मूल्य स्थापित किए ये समय के मस्तक पर हस्ताक्षर हैं।
विहिप के अन्तरराष्ट्रीय अध्यक्ष श्री राघव रेड्डी ने कहा कि प्रत्येक ईसाई अपनी आय का 10 प्रतिशत हिस्सा चर्च को दे रहा है। इसी प्रकार मुसलमानों को भी अपना मजहब फैलाने के लिए सब कुछ उपलब्ध हो रहा है। ईसाइयों को विदेशों से प्रतिवर्ष लगभग 40 हजार करोड़ कन्वर्जन के लिए 'फंडिग' प्राप्त होती है। इस प्रकार ईसाइयों के पास 'सोर्स' है, मुसलमानों के पास 'फोर्स' है। ऐसे में हिन्दुओं के लिए एक चीज बचती है 'एकता का कोर्स'। हमें अपने आन्तरिक भेदभाव मिटाते हुए बाहर एकजुटता का प्रदर्शन करना होगा।
विश्व जागृति मिशन से जुड़े आध्यात्मिक गुरु सुधांशु जी महाराज ने कहा कि हिन्दू समाज को एकता, संगठन सक्रियता और सजगता का मंत्र लेना होगा। लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ऋग्वेद के जिस अन्तिम मंत्र-संगच्छध्वं संवदध्वं…. का उद्घोष किया, उस पर सामूहिक चिन्तन करना होगा। यदि हिन्दू समाज का एक-एक बिन्दु मिल जाए तो वह नदी नहीं सागर बन जाएगा। आज हिन्दू समाज उदारता और सहिष्णुता के नाम पर अपनी पहचान को कमजोर कर रहा है। हिन्दू चर्च मस्जिद अथवा दरगाह पर हर जगह माथा टेकते हुए और हाथ जोड़ते हुए दिखाई पड़ता है, यह गलत आदत है। हमने अपने देवी-देवताओं को भुला दिया, उनकी पहचान मिटा दी-औरों के मुदोंर् व कब्रों को चर्चित बना रहे हैं। हिन्दू समाज को मन्दिरों की ओर जाना होगा। शिवसेना नेता स्व. बालासाहब ठाकरे ने हिन्दू समाज की शक्ति और पहचान को जीवंत बनाने के लिए 'महाआरती' का जो सूत्र दिया था वह आज प्रासंगिक है और उसे अपनाने की जरूरत है। 'सहस्रैसाकं अर्चत्' हजारों लोग सामूहिक और सामुदायिक प्रार्थना करेंगे तो शक्ति भी प्राप्त होगी और भगवान भी जल्दी सुनेंगे। दुनिया में बुराई इसलिए नहीं हैं कि बुराई करने वाले ज्यादा हैं बल्कि इसलिए हैं कि बर्दाश्त करने वाले ज्यादा हैं। जब सज्जन सक्रिय होते हैं तो दुर्जन निष्क्रिय स्वत: ही हो जाएंगे। विराट हिन्दू सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए बद्रिकाश्रम ज्योतिष्पीठ के शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती ने कहा कि स्वर्णजयन्ती अभियान में इन्द्रप्रस्थ के विराट हिन्दू सम्मेलन में प्रचण्ड वर्षा के बाद भारी संख्या में हिन्दू परिवार उपस्थित हुए हैं- यह हमारी शक्ति का परिचायक है। आज समाज को संतों और महात्माओं के साथ मिलकर-एकजुट होकर हिन्दू समाज की रक्षा का प्रण लेना चाहिए। आज हिन्दू समाज को जोर-शोर से हो रहे कन्वर्जन का तीव्र विरोध करने के लिए उठ खड़े होने की जरूरत है। कन्वर्जन बहुत बड़ा अपराध है, इसकी भर्त्सना होनी चाहिए तथा इसके खिलाफ ठोस कानून बनना चाहिए। यदि अपने समाज से इधर-उधर भटके हुए लोग घर वापस आना चाहें तो उनका स्वागत होना चाहिए। राम और कृष्ण पूर्ण अवतार हैं, साक्षात ब्रह्म हैं। समाज जब इनके चरित्र का अनुकरण करेगा तो स्वयं बलवान बनेगा।
विश्व हिन्दू परिषद के अन्तरराष्ट्रीय कार्याध्यक्ष डॉ. प्रवीण भाई तोगडि़या ने विराट हिन्दू सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए कहा कि इन्द्रप्रस्थ में आयोजित यह सम्मेलन अत्यधिक उत्साहित करता है लेकिन यह उत्सव नहीं है। हमारे लिए उत्सव तो तब होगा जब अयोध्या में भव्य राम मन्दिर का निर्माण होगा, कश्मीर से विस्थापित 4 लाख हिन्दू शरणार्थी पुन: अपने घर लौटेंगे। यदि हिन्दू का कन्वर्जन न किया गया होता तो दुनिया में पाकिस्तान और बंगलादेश अस्तित्व में न आते। 1000 वर्ष पूर्व जिस अफगानिस्तान में एक भी मुसलमान नहीं था, आज वहां एक भी हिन्दू नहीं है। भारत में यही स्थिति जम्मू-कश्मीर में 1990 के बाद हिन्दूओं की है। डॉ. तोगडि़या ने आगे कहा कि सुरक्षित हिन्दू, समृद्ध हिन्दू और सम्मानयुक्त हिन्दू यह हमारा नारा है। हिन्दुओं पर आज सर्वाधिक आक्रमण हो रहे हैं, उनकी सुरक्षा करना आवश्यक है। विश्व हिन्दू परिषद का लक्ष्य है कि देश में प्रत्येक व्यक्ति को भोजन और शिक्षा प्राप्त हो, प्रत्येक परिवार को रहने के लिए घर और प्रत्येक युवा को रोजगार उपलब्ध हो। परिषद् द्वारा संचालित हिन्दू हेल्प लाइन और इंडिया हेल्थ लाईन के माध्यम से लाखों लोग लाभान्वित हो रहे हैं। हम इन योजनाओं को गांव-गांव घर-घर तक पहुंचाएंगे।
इस विराट हिन्दू सम्मेलन में अन्य विशिष्ट व्यक्तियों के अतिरिक्त आर्य समाज से जुड़े हुए प्रतिष्ठित उद्योगपति महाशय धर्मपाल, स्वामी राघवानंद जी, विहिप के संरक्षक श्री विष्णु हरि डालमिया, केन्द्रीय उपाध्यक्ष श्री ओमप्रकाश सिंहल, संगठन महामंत्री श्री दिनेश चन्द्र, लोकसभा सदस्य श्री महेश गिरि, भाजपा दिल्ली प्रदेशाध्यक्ष श्री सतीश उपाध्याय, सर्वश्री अनिल कुमार गोयल, राकेश चंद रस्तोगी, कैलाशचंद, अशोक जी प्रभाकर, नामधारी समाज के सरदार हरपाल सिंह एवं श्री करुणा प्रकाश इत्यादि उपस्थित थे। मंच संचालन श्री गुरुदीन प्रसाद रुस्तगी एवं श्री रामकृष्ण श्रीवास्तव ने संयुक्त रूप से किया। ल्ल
विहिप को भारतवर्ष को विश्वगुरु बनाने के लिए समरसता युक्त समाज निर्माण के साथ नवयुवकों को चरित्रवान बनाने का अभियान भी छेड़ना होगा। ऐसा करके विहिप अपनी गौरवमय यात्रा को और अधिक साकार कर सकेगा।
—सुरेश सोनी, सहसरकार्यवाह, रा.स्व. संघ
सरकार को कन्वर्जन के विरुद्ध प्रभावी कानून बनाना चाहिए । अमरीका से आकर हमें सहिष्णुुता का उपदेश दिया जाता है जहां हिन्दुओं के मन्दिर की भी सुरक्षा नहीं हो पाती। पाकिस्तान में अल्पसंख्यक हिन्दू 10 प्रतिशत थे, आज 1 प्रतिशत रह गए हैं। बंगलादेश में जहां हिन्दू 30 प्रतिशत थे आज 8 प्रतिशत रह गए।
—डॉ. प्रवीण भाई तोगडि़या, अन्तरराष्ट्रीय कार्याध्यक्ष, विहिप
जब हिन्दू श्रीराम प्रभु का आदर्श अपने जीवन में उतारेगा और भगवान कृष्ण की शिक्षा ग्रहण करेगा, तभी यह समाज सशक्त बनेगा। आज हिन्दू समाज को जोर-शोर से हो रहे कन्वर्जन का तीव्र विरोध करने के लिए उठ खड़े होने की जरूरत है।
—शंकराचार्य वासुदेवानंद सरस्वती
यह कहना कि मस्जिद को नहीं तोड़ा जा सकता नहीं हटाया जा सकता भ्रामक तथ्य है। सऊदी अरब में सड़क और 'अपार्टमेंट' बनाने के लिए मस्जिदों को तोड़ा गया है। जहां कभी पैगम्बर मोहम्मद ने नमाज पढ़ी थी वहां आज शेख का महल बन गया है।
—डॉ. सुब्रह्मण्यम स्वामी, वरिष्ठ भाजपा नेता
हिन्दुओं को अपनी संस्कृति, परम्परा, भाषा, खान-पान और रहन-सहन पर गर्व महसूस करना चाहिए। परिवार में बच्चों को आधुनिक ज्ञान-विज्ञान और तकनीक की शिक्षा देनी जरूरी है लेकिन उनको संस्कार देने भी जरूरी हैं, तभी हिन्दू समाज मजबूत होगा। —विष्णुहरि डालमिया, संरक्षक विहिप
यदि इस देश का 80 करोड़ हिन्दू एकजुट हो जाए तो दुनिया की कोई ताकत हमारी ओर बुरी नजर से नहीं देख पाएगी। जो समाज खण्ड में बंटता है वह समाप्त होता है, उसका कोई भविष्य नहीं होता। लवजिहाद जैसे खतरनाक कृत्यों की निन्दा होनी चाहिए।
—जैन मुनि तरुण सागर जी
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