सामयिक:कन्वर्जन से बंटता है समाज
May 9, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

सामयिक:कन्वर्जन से बंटता है समाज

by
Feb 28, 2015, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

दिंनाक: 28 Feb 2015 13:24:26

.आऱ एल़ फ्रांसिस

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने मजहबी हिंसा और असहिष्णुता पर करारा हमला करते हुए कहा सभी पंथों का सम्मान और सहनशीलता भारत की परंपरा है। उनकी सरकार अल्पसंख्यक या बहुसंख्यक समुदाय के किसी भी पांथिक संगठन को दूसरों के खिलाफ खुले तौर पर या छिपे तौर पर नफरत भड़काने की इजाजत नहीं देगी और जो भी ऐसा करेगा उसके विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
प्रधानमंत्री पिछले दिनों नई दिल्ली में वेटिकन द्वारा दो भारतीय कैथोलिक ईसाइयों कूरियाकोज चवारा तथा मदर यूफ्रेशिया को सन्त घोषित किये जाने के उपलक्ष्य में हुए एक कार्यक्रम में बोल रहे थे। प्रधानमंत्री ने कहा कि देश में हर मत के लोगों को अपनी आस्था के अनुसार जीने का हक है। किसी भी स्थिति में उन्हें उनके अधिकारों से वंचित नही किया जा सकता। प्रधानमंत्री ने स्वामी विवेकानंद का जिक्र करते हुए कहा कि हिंदू समाज न केवल सार्वभौमिक सहिष्णुता में विश्वास करता है, बल्कि वह यह भी मानता है कि सभी मत ईश्वर को प्राप्त करने के मार्ग हैं। उन्होंने यह बात उस समय कही है, जब दिल्ली के कुछ चचोंर् में हुईं घटनाओं को लेकर अमरीका सहित दुनिया के कई देश भारतीय ईसाइयों की सुरक्षा को लेकर चिंता जता रहे थे, हालांकि इन घटनाओं के पीछे किसी कथित सुनियोजित साजिश की तह तक जाने की कोशिश जारी है। पुलिस विभाग का कहना है कि पिछले ढाई महीने में दिल्ली के पांच चचार्ें पर हमले की घटनाएं सामने आई हैं। हालांकि ऐसी घटनाएं मंदिरों, गुरुद्वारों और मस्जिदों में पिछले साल चचार्ें के मुकाबले बड़ी संख्या में हुई। किसी भी लोकतांत्रिक व्यवस्था में पांथिक-स्थानों पर इस तरह की घटनाएं, तोड़फोड़ या चोरी स्वीकार्य नहीं की जा सकती।
सभी पंथों का सम्मान और सहनशीलता भारत की परंपरा है। यहां का बहुसंख्यक समाज दूसरे पंथों का भी उतना ही सम्मान करता है जितना वह अपने धर्म का करता है। समस्या तभी होती है जब दूसरों की आस्था में अनावश्यक हस्तक्षेप किया जाए। सदियों से ही हमारी विशाल संस्कृति और विरासत रही है, जो ईश्वर के नाम पर फंसाद करने की अनुमति नहीं देती। प्रधानमंत्री का संदेश भारत की उसी महान विरासत की ओर इशारा करता है। कुछ दिनों पहले चचार्ें में हुई घटनाओं का जिस तरह अंतरराष्ट्रीयकरण किया गया, उससे दुनिया में ऐसा आभास जा रहा था मानो भारत में ईसाई सुरक्षित न रहे हांे।
भारत की इस पवित्र धरती पर ईसाई पंथ को आगे बढ़ने का वैसा ही अवसर व सुविधाएं प्राप्त हैं, जैसी किसी अन्य ईसाई देश में प्राप्त होती हैं। यहां के बहुसंख्यक समुदाय में ईसाई गुरुओं (ईसा) के प्रति वैसी ही श्रद्धा है, जैसी वह अपने देवताओं के प्रति रखते हैं। इसके बावजूद यह सच है कि पिछले कुछ दशकों से समाज के एक हिस्से में ईसाई मिशनरियों और चर्च के प्रति नाराजगी बढ़ी है। कर्नाटक, ओडिशा, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, दिल्ली, पंजाब, उतर प्रदेश जैसे राज्यों में इसमें तीखापन भी दिखाई दे रहा है। कारण खोजने के लिए हमें इसकी तह तक जाना होगा। चर्च द्वारा मत-प्रचार या सेवा कायोंर् की आड़ में गरीबों और वनवासी समुदाय का बड़े स्तर पर कन्वर्जन करवाने जैसी गतिविधियों पर घोर एतराज होना स्वाभाविक ही है।
ऐसा नही है कि केवल भारतीय जनता पार्टी या राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े लोग ही कन्वर्जन का विरोध कर रहे हैं, कुछ साल पहले पूर्व केन्द्रीय मंत्री जयराम रमेश ने दिल्ली में कैथोलिक संगठन 'कैरिटस इंडिया' के स्वर्ण जयंती समारोह के उद्घाटन में आर्चबिशपों, बिशपों सहित कैथोलिक ननों, पादरियों के सामने कहा था कि कैथोलिक चर्च द्वारा संचालित संगठन नक्सल प्रभावित इलाकों में विकास करने में मदद करे लेकिन 'लक्ष्मण रेखा' का सम्मान करे और कन्वर्जन की गतिविधियां न चलाये। हिमाचल प्रदेश में लगभग एक दशक पूर्व कांग्रेस सरकार ने कन्वर्जन पर प्रतिबंध लगा दिया था।
सर्वोच्च न्यायालय द्वारा आस्टे्रलियाई मिशनरी ग्राहम स्टेन्स की हत्या पर फैसला सुनाते हुए भी कहा गया था कि किसी व्यक्ति की आस्था और विश्वास में हस्तक्षेप करना और इसके लिए बल प्रयोग करना, उत्तेजना, लालच का प्रयोग करना, या किसी को यह झूठा विश्वास दिलाना की उनका मत दूसरे से अच्छा है और ऐसे तरीकों का इस्तेमाल करते हुए किसी व्यक्ति का कन्वर्जन करना किसी भी आधार पर न्यायसंगत नही कहा जा सकता। सर्वोच्च न्यायालय ने यह भी कहा था कि इस प्रकार के कन्वर्जन से हमारे समाज की उस संरचना पर चोट होती है, जिसकी रचना संविधान निर्माताओं ने की थी। विद्वान न्यायाधीशों ने कहा था, 'हम उम्मीद करते हंै कि महात्मा गांधी का जो स्वप्न था कि पंथ राष्ट्र के विकास में एक सकारात्मक भूमिका निभाएगा, वह पूरा होगा़..किसी की आस्था को जबरदस्ती बदलना या फिर यह दलील देना कि एक पंथ दूसरे से बेहतर है, उचित नहीं हैं।'
ईसाई मिशनरियों की पहचान सेवा कार्यों की रही है। भारत में किसी को भी चर्च के सेवा कायोंर् से अपत्ति नहीं है, अपत्ति है इसकी आड़ में दूसरे की आस्था में अनावश्यक हस्तक्षेप से। भारत का संविधान किसी भी पंथ का अनुसरण करने की आजादी देता है, उसमें निहित मतप्रचार को भी मान्यता देता है पर समाज सेवा की आड़ में दूसरों की आस्था पर हमले की अनुमति नहीं देता। सेवा कायोंर् और कन्वर्जन के बीच यही एक लक्ष्मण रेखा है, जिसके सम्मान की आशा हर भारतीय एक दूसरे से करता है।
वनवासी समूहों में चर्च का कार्य तेजी से फैल रहा है, जो वनवासी समाज ईसाइयत की ओर आकर्षित हो रहे हैं, धीरे-धीरे उनकी दूरी दूसरे वनवासी समाज से बढ़ रही है और आज हालात ऐसे हो गए हैं कि ईसाई वनवासी और गैर ईसाई वनवासियों के बीच के संबध समाप्त होते जा रहे हैं। ईसाई मिशनरियों पर कन्वर्जन के गंभीर आरोप लगते रहे हैं, मुस्लिम और सिख समुदाय भी उनकी कन्वर्जन की गतिविधियों के विरोध में स्वर उठाते रहे हंै। अधिकतर ईसाई कार्यकर्ता 'दलित ईसाइयों' के प्रति चर्च द्वारा अपनाए जा रहे नकारात्मक रवैये से निराश हैं।
ईसाई मिशनरियों पर विदेशी धन के बल पर भारतीय गरीब जनजातियों को ईसाई बनाने के आरोप भी लगते रहे हैं और इस सचाई को भी नहीं झुठलाया जा सकता कि झारखंड, महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा, पूवार्ेत्तर राज्यों में चर्च के अनुयायियों की संख्या लगातार बढ़ रही है। इसी के साथ विभिन्न राज्यों में मिशनरियों की गतिविधियों का विरोध भी बढ़ रहा है और कई स्थानों पर यह हिंसक रूप लेने लगा है। कन्वर्जन को लेकर इस क्षेत्र में कैथोलिक और प्रोटेस्टेंट मिशनरियों में भी भारी हिंसा हो रही है। स्थानीय कैथोलिक बिशप जोस मुकाला के अनुसार कोहिमा क्षेत्र में प्रोटेस्टेंट ईसाई कैथोलिक ईसाइयों को जोर-जबरदस्ती प्रोटेस्टेंट बनाने पर तुले हुए हंै, उनके घर एवं अन्य संपत्ति को जलाया या बर्बाद किया जा रहा है। वे कैथोलिक ईसाइयों की सुरक्षा के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ तक गुहार लगा चुके हैं।
भारत यात्रा पर आए अमरीकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने भारत की सहिष्णुता और संविधान की धारा 25 का जिक्र करके हलचल मचा दी थी। अमरीकी राष्ट्रपति ओबामा द्वारा धारा 25 का जिक्र करने के बाद अधिकतर ईसाई मिशनरी इसे कन्वर्जन का अंतरराष्ट्रीय प्रमाणपत्र मानने लगे हैं। लेकिन मेरा मानना है कि संविधान किसी भी पंथ का अनुसरण करने की आजादी देता है, उसमें निहित मतप्रचार को भी मान्यता देता है, भारत के संविधान की धारा 25(1) के अनुसार प्रत्येक व्यक्ति को मत प्रचार की अनुमति दी गई है, लेकिन मतप्रचार और कन्वर्जन के बीच एक लक्ष्मण रेखा भी है। यदि कन्वर्जन कराने का प्रमुख उदे्श्य लेकर घूमने वाले संसाधनों से लैस संगठित संगठनों को खुली छूट दी जाए तो राज्य को इसमें हस्तक्षेप करना चाहिए। इसी कारण कई राज्य सरकारों द्वारा कन्वर्जन विरोधी कानून बनाए गये हैं।
सबसे पहले स्वतंत्र भारत में ऐसा कानून मध्य प्रदेश और ओडिशा की कांग्रेसी सरकारों ने बनाया था। हैरानी की बात यह है कि कुछ वर्ष पहले हिमाचल प्रदेश की वीरभद्र सिंह सरकार ने कन्वर्जन पर कड़ा कानून बनाया था, जिसके विरोध में चर्च संगठनों द्वारा हिमाचल उच्च न्यायालय में वाद दायर किया गया है, जिस पर अभी तक कोई फैसला नही आया है। जहां भी अधिक संख्या में कन्वर्जन हुआ है, वहां सामाजिक तनाव में वृद्धि हुई है, जनजातियों में कन्वर्जन के बढ़ते मामलों के कारण कई राज्यों में शांत-ग्रामीण वातावरण दूषित हो रहा है। इन घटनाओं ने हिंदू उपदेशकों का ध्यान आकर्षित किया है।

ंकुछ तथ्य
ल्ल 2001 की जनगणना के अनुसार देश में लगभग 2.5 प्रतिशत ईसाई हैं, लेकिन 'वर्ल्ड क्रिश्चियन इंसाइक्लोपीडिया' भारत में 6.5 प्रतिशत ईसाई जनसंख्या को
दर्शाता है।
ल्ल 1991-2001 के दशक में ईसाइयों की आबादी में 23.13 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।
ल्ल हिमाचल प्रदेश में ईसाई मिशनरियों के कथित कन्वर्जन से तंग आकर पूर्ववर्ती वीरभद्र सरकार ने कन्वर्जन पर राज्य में कड़ा कानून बनाया।
ल्ल 1951 से 2001 तक की जनगणना में पूर्वोत्तर एवं वनवासी राज्यों में ईसाई जनसंख्या में एक बड़ा उछाल आया है। खासकर मेघालय, मणिपुर, मिजोरम व नागालैंड जैसे राज्यों में।

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाने वाला युवक हजरत अली गिरफ्तार 

“पहाड़ों में पलायन नहीं, अब संभावना है” : रिवर्स पलायन से उत्तराखंड की मिलेगी नई उड़ान, सीएम धामी ने किए बड़े ऐलान

योगी आदित्यनाथ, मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश

लखनऊ : बलरामपुर, श्रावस्ती, महराजगंज, बहराइच और लखीमपुर खीरी में अवैध मदरसों पर हुई कार्रवाई

पाकिस्तान अब अपने वजूद के लिए संघर्ष करता दिखाई देगा : योगी आदित्यनाथ

चंडीगढ़ को दहलाने की साजिश नाकाम : टाइम बम और RDX के साथ दो गिरफ्तार

कर्नल सोफिया कुरैशी

कर्नल सोफिया कुरैशी ने बताया क्यों चुनी सेना की राह?

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाने वाला युवक हजरत अली गिरफ्तार 

“पहाड़ों में पलायन नहीं, अब संभावना है” : रिवर्स पलायन से उत्तराखंड की मिलेगी नई उड़ान, सीएम धामी ने किए बड़े ऐलान

योगी आदित्यनाथ, मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश

लखनऊ : बलरामपुर, श्रावस्ती, महराजगंज, बहराइच और लखीमपुर खीरी में अवैध मदरसों पर हुई कार्रवाई

पाकिस्तान अब अपने वजूद के लिए संघर्ष करता दिखाई देगा : योगी आदित्यनाथ

चंडीगढ़ को दहलाने की साजिश नाकाम : टाइम बम और RDX के साथ दो गिरफ्तार

कर्नल सोफिया कुरैशी

कर्नल सोफिया कुरैशी ने बताया क्यों चुनी सेना की राह?

“ये युद्धकाल है!” : उत्तराखंड में चारधाम यात्रा से नेपाल सीमा तक अलर्ट, CM ने मॉकड्रिल और चौकसी बरतने के दिए निर्देश

Live: ऑपरेशन सिंदूर पर भारत की प्रेस कॉन्फ्रेंस, जानिये आज का डेवलपमेंट

पाकिस्तान की पंजाब में आतंकी साजिश नाकाम : हथियार, हेरोइन और ड्रग मनी के साथ दो गिरफ्तार

महाराणा प्रताप: हल्दीघाटी की विजयगाथा और भारत के स्वाभिमान का प्रतीक

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies