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अंक संदर्भ : 1 फरवरी, 2015
आवरण कथा 'किसमें कितना है दम' से प्रतीत होता है कि जो भी दल चुनाव जीतकर आएगा उसके आगे प्रदेश का विकास एक प्रमुख मुद्दा होने वाला है। आम आदमी पार्टी और भाजपा दोेनों दिल्ली के विकास के लिए प्रतिबद्ध हैं। लेकिन यह बात तभी सच साबित होगी जब दिल्ली का विकास जमीन पर दिखाई देगा। क्योंकि अधिकतर दल चुनाव के समय अपने घोषणा पत्र में जनता को लुभाने के लिए क्या-क्या घोषणा नहीं कर देते, लेकिन जब उनको पूरा करने की बात आती है तो वे अक्सर अपनी बात से पीछे हट जाते हैं।
—गोपाल कृष्ण पण्ड्या
नागदा,जिला-उज्जैन (म.प्र.)
जल दोहन पर लगे लगाम!
आज देश में कृषि उत्पादन बढ़ाने के लिए तरह-तरह के प्रयोग किए जा रहे हैं, लेकिन इन सबके बीच जिस का अंधाधुंध प्रयोग कर धरती का सीना छलनी किया जा रहा है उसपर किसी का भी ध्यान नहीं जा रहा है। लेकिन यही समस्या भविष्य में परेशानी का सबब बनने वाली है। आज आम तौर पर हम देखते हैं कि किसान खेतों में फसल को सींचने के लिए पानी का बेतहाशा अपव्यय करते हैं। यह गलत है। इस दिशा में कृषि विशेषज्ञों को सोचने की आवश्यकता है तथा राज्य व केन्द्र सरकार को चाहिए कि वह पानी के होते दुरुपयोग को तत्काल रोके और कोई ऐसी पद्धति विकसित करे, जिससे पानी का दुरुपयोग बंद हो।
—महेन्द्रकुमार शुभम कॉलोनी,जिला-नृसिंहपुर (म.प्र.)
सहेजने की आवश्यकता
विश्व के अनेक देशों में हिन्दुत्व व सनातन व्यवस्था की झलक मंदिरों के रूप में देखी जा सकती है। पाकिस्तान, बंगलादेश, अफगानिस्तान,श्रीलंका, कंबोडिया,वियतनाम आदि देशों में हिन्दुत्व की पहचान अभी भी मंदिरों के रूप में विराजमान है। केन्द्र सरकार को चाहिए कि जिन देशों में हिन्दू मंदिरों के अभिलेख बचे हुए हैं, उनको संजोने के प्रयास करे। क्योंकि यही वह चीजें हैं जिनके द्वारा पता चलता है कि हिन्दू व्यवस्था कहां-कहां व कितनी प्राचीन है।
—कृष्ण नारायण पाण्डेय
राजाजीपुरम्,लखनऊ (उ.प्र.)
एकजुटता ही ताकत
आज कुछ तथाकथित लोग कन्वर्जन के मुद्दे पर हो हल्ला मचाए हुए हैं। जिसको जहां भी मौका मिलता है वहां वह हिन्दुओं एवं हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों का मजाक उड़़ाते चलता बनता है। हिन्दू धर्म सहिष्णु है शायद इसीलिए जिसको जब भी कोई मौका मिले हिन्दू धर्म का अपमान कर देता है। आज देश के अनेक स्थानों पर हिन्दुओं को प्रताडि़त किया जा रहा है और उनका तिरस्कार किया जा रहा है। इसलिए सभी हिन्दुओं को जागना होगा और प्रयास करना होगा कि सभी संगठित होकर देश और हिन्दू विरोधी ताकतों का लोकतांत्रिक तरीकों से विरोध करें।
—कजोड़ राम नागर
दक्षिणपुरी (नई दिल्ली)
उद्यमियों का पराक्रम
आज भारतवंशी अपने परिश्रम व मेहनत के बल पर विदेश में भी अग्रणी भूमिका में हैं। अपने कार्य के प्रति समर्पण व लगन भारतीय संस्कृति के कारण उनके अंदर स्वत: स्फूर्त है। विश्व के अनेक देशों में भारतवंशियों ने अपनी मेधा का लोहा मनवाया है। उद्योग जगत से लेकर चिकित्सा, अभियांत्रिकी के क्षेत्र में इन्होंने अपनी धाक मनवायी है। यह सभी रहते तो विदेश में हैं,लेकिन इनका ह्दय सदैव भारत में रहता है। इन उद्यमियों का पराक्रम मन को रोमांचित करता है और युवाओं को प्रेरणा देता है।
—रमेश कुमार मिश्र
कांदीपुर,अंबेडकरनगर (उ.प्र.)
यह बहिष्कार क्यों?
कहने को तो विश्व पुस्तक मेले का आयोजन चल रहा है, लेकिन दु:ख इस बात का है कि संस्कृत पुस्तक प्रकाशकों ने इसके बहिष्कार की घोषणा की है। यह सब इसलिए क्योंकि जिस स्थान पर पुस्तकों को प्रदर्शित करना था, उस जगह का किराया आयोजकों की ओर से अधिक रखा गया था, जबकि संस्कृत प्रकाशकों का तर्क है कि आध्यात्मिक पुस्तकों की इतनी अधिक बिक्री नहीं होती है जिससे यह किराया आसानी के साथ दिया जा सके।
—राम शास्त्री
गली नं.-6,राधेपुरी (नई दिल्ली)
समान कानून हो!
आज जब एक तरफ देश में जनसंख्या सवा अरब के आंकड़े को पार कर चुकी है। ऐसे में इस बड़ी जनसंख्या के लिए जीवन की मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराना सरकार के लिए एक बहुत बड़ी चुनौती है। दूसरी ओर देश के उल्टे कानून हैं, जो हिन्दू के लिए अलग हैं तो मुसलमानों के लिए अलग हैं। इस प्रकार मत और पंथ के आधार पर कानून का दोहरा रवैया कितना सही है, यह सवाल आज 85 करोड़ हिन्दुओं के मन में बराबर खटक रहा है। इसलिए केन्द्र सरकार इस प्रकार के कानून को बदलकर सभी के लिए समान कानून लाए क्योंकि संविधान एक है और यहां के रहने वाले लोग भी समान हैं।
—अतुल नादान,
विकासपुरी (दिल्ली)
आतंकियों के पैरोकार
यही एक ऐसा देश है, जहां देश के अंदर ही कुछ देशद्रोही रहते हैं, यहां का ही खाते हैं और देश के खिलाफ बोलते हैं। 26 जनवरी को वीरता पुरस्कार दिए जाने के अवसर के बाद कर्नल एम.एन.राय के बलिदान की गाथा देश की आंखों में आंसू ला गयी। लेकिन दूसरी ओर आतंकियों के पैरोकार सैयद अलीशाह गिलानी कर्नल को धोखे से मारने वाले आतंकियों की परौकारी कर रहे हैं और उन्हें शहीद बताते हैं। कैसा देश है ये, जहां आतंकियों के पक्षकारों को कुछ भी बोलने की छूट है ? सवाल उठता है कि क्या देश में सभी के लिए एक ही कानून है? और अगर है तो फिर इन देशद्रोहियों पर कार्रवाई क्यों नहीं होती?
—डॉ. सुभाष चन्द्र शर्मा
मुजफ्फरनगर (उ.प्र.)
इनसे ही तो हम हैं!
हिन्दू दर्शन में कला, साहित्य, संगीत, विज्ञान और अनेक ललित कलाएं लोकमंगली अभिधारणा को चरितार्थ करती हैं। हमारे देश की सांस्कृतिक चेतना को देश के तीर्थ स्थल सदैव समृद्ध करते रहे हैं। मठ-मंदिर व आश्रम देश की आधारशिला को आज भी संभाले हुए हैं, जिन्हें आज बचाए रखने की महती आवश्यकता है। यही वह आंगन है जहां वेद, उपनिषद, दर्शन, तर्कशास्त्र, ज्ञान-विज्ञान एवं लोकमंगल परम्पराएं सिंचित होकर पल्लवित और पुष्पित होती हैं। इसलिए सभी को चाहिए कि इन परम्पराओं को पुन: जीवित करने के लिए प्रयास करें।
—डॉ. रामशंकर भारती
पं.दीनदयाल नगर, झांसी (उ.प्र.)
ङ्म विश्व के लगभग सभी मतों में कुरीतियां एवं आडम्बर समान रूप में हैं। लेकिन कुछ हिन्दू विरोधी हिन्दुओं की सहिष्णुता का लाभ उठाकर अनावश्यक रूप से इसे अपमानित करने का षड्यंत्र रचते हैं। आखिर इन सेकुलरों को हिन्दू धर्म में ही कुरीतियां क्यों दिखाई देती हैं?
—शिवम तिवारी, गुड़गांव(हरियाणा)
नए कानूनों की जरूरत
आज हम देखते हैं कि ऐसे दर्जनों कानून ऐसे हैं, जिन्हें आज बदलने की अति आवश्यकता है। अक्सर होता क्या है कि इनके कारण आम नागरिकों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है। उनके चक्कर में परेशान होता रहता है। इसलिए बहुत जरूरी है कि जो कानून देश व समाज हित में नहीं हैं उनको तत्काल समाप्त किया जाए और उनके स्थान पर नए काननू बनाए जाएं, जो देश व समाज के लिए सही हों। प्रधानमंत्री अपने भाषणों में कई बार इस बात के विषय में उल्लेख भी कर चुके हैं।
—महेश वंसल
सी/57,केशवपुरम् (दिल्ली)
इनका सीजन चल निकला
कहते हैं कि किसी का दु:ख-दर्द किसी को प्रसन्नता दिलाता है और तिजोरियां भरता है। ठीक आज वैसा ही हो रहा है। मीडिया ने समाज में आज स्वाईन फ्ल्यू के नाम पर ऐसी दहशत मचा रखी है और यह दहशत झोलाझाप डॉक्टरों और डिग्रीधारकों के लिए वरदान साबित हो रही है। हर कोई डॉक्टर मरीजों को इस रोग का खौफ दिखाकर अंधाधुध दवाईयां खिलाए जा रहा है। द:ुख तब होता है जब यही डॉक्टर कहते हैं कि तीन साल पहले डेंगू से खूब कमाया था अब स्वाईन फ्ल्यू से कमाएंगे।
—शाजिया खान
खैर नगर,मेरठ(उ.प्र.)
गोवंश का संरक्षण जरूरी
आज जिस प्रकार से गोवंश को समाप्त करने का षड्यंत्र रचा रहा है वह देश के लिए खतरे की घंटी है। कुछ पूर्व के वर्षों में देखें तो एक सोची-समझी रणनीति के तहत देशी गायों के नाम पर विदेशी गायों को यहां लाया गया और देशी गायों का यह कहकर वध किया गया कि वह दूध कम देती हैं। लेकिन सवाल है कि जिन गायों को दूध के नाम पर लाया गया क्या उनका दूध देशी गायों के मुकाबले उतना ही उत्तम है? केन्द्र सरकार को गोवंश के सरक्षण और उसकी समृद्धि के लिए तत्काल कड़े कदम उठाने की जरूरत है। — मुुलखराज विरमानी,गुलमोहर पार्क (नई दिल्ली)
तलवार दुधारी
चली सुनामी इस तरह, बाकी बचा न कोय
भला करें श्रीरामजी, अब आगे क्या होय ?
अब आगे क्या होय, कभी ऐसा ना देखा
क्यों जीते क्यों हारे, सब कमार्ें का लेखा।
कह 'प्रशांत' अब आयी असली जिम्मेदारी
मत भूलो लेकिन ये है तलवार दुधारी॥
—प्रशांत
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