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खेलो दिल सेदुनिया जीतो फिर से

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Feb 16, 2015, 12:00 am IST
in Archive
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दिंनाक: 16 Feb 2015 12:58:10

अभी से यह दावा करना कि भारत विश्व कप खिताब की रक्षा करने में सफल रहेगा, थोड़ी जल्दबाजी होगी। हां, इतना दावा जरूर किया जा सकता है कि भारत खिताब के प्रबल दावेदारों में शामिल है। भारतीय टीम में युवा और अनुभवी खिलाडि़यों का सुंदर मिश्रण है। ऐसे में, भारतीयों का एक ही है कहना, दिल से खेलो, पहनो जीत का गहना।

प्रवीण सिन्हा

आईसीसी क्रिकेट विश्व कप की धमाकेदार शुरुआत हो चुकी है। दुनिया के धुरंधर बल्लेबाज और गेंदबाज आमने-सामने हैं। आस्ट्रेलिया की भीषण गर्मी भले ही खिलाडि़यों की हालत पस्त करती दिखे, लेकिन क्रिकेट का महासंग्राम न तो थमेगा और न ही टीमों का उत्साह कम होगा। खिलाडि़यों के बल्ले आग उगलते दिखाई देंगे। हर टीम, हर खिलाड़ी सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने के लिए बेताब दिखाई दे रहा है।
मेजबान आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड सहित दक्षिण अफ्रीका, इंग्लैंड और पाकिस्तान विश्व कप के शिखर तक पहुंचने के इरादे से अपना अभियान शुरू करेंगे तो भारतीय क्रिकेट टीम अपने खिताब बचाने के पक्के इरादे के साथ अपनी दावेदारी पेश करेगी। अलग-अलग टीमों की अपनी खासियत है और कोई भी टीम विश्व कप के अभियान को हल्के में लेने की चूक नहीं करेगी। इसलिए इतना तय है कि बल्ले और गेंद के बीच रोमांचक संघर्ष देखने को मिलेगा। जहां तक भारतीय टीम की स्थिति और दावेदारी की बात है तो अभी से यह दावा करना कि भारत विश्व कप खिताब की रक्षा करने में सफल रहेगा, थोड़ी जल्दबाजी होगी। हां, इतना दावा जरूर किया जा सकता है कि भारत खिताब के प्रबल दावेदारों में शामिल है। भारतीय टीम में युवा और अनुभवी खिलाडि़यों का सुंदर मिश्रण है, जबकि विपक्षी टीमों के लिए अबूझ पहेली बनकर सामने आने वाले विश्व के सबसे चतुर कप्तान महेंद्र सिंह धोनी हैं। कैप्टन कूल धोनी महत्वपूर्ण मौकों पर अपने फैसलों से सभी को अचंभित कर देते हैं। अपनी कुशल कप्तानी और दबाव में न बिखरने की खासियत की बदौलत धोनी भारत को दो-दो बार (टी-20 और 2011 आईसीसी वनडे विश्व कप) विश्व विजेता बना चुके हैं। धोनी की टीम में इस बार सचिन तेंदुलकर, वीरेंद्र सहवाग, युवराज सिंह, गौतम गंभीर और जहीर खान जैसे धुरंधर शामिल नहीं हैं, लेकिन उनके पास युवा प्रतिभाशाली और जोश से भरे खिलाडि़यों की कमी नहीं है। इसलिए इस बार भी ऐन वक्त पर अगर वह कोई हैरतंगेज फैसला कर लें तो आश्चर्य नहीं होगा।
वर्तमान परिस्थितियों के लिहाज से आस्ट्रेलिया इस बार खिताब का सबसे तगड़ा दावेदार है। उसके पास अनुभवी बल्लेबाज और गेंदबाज से लेकर शीर्षस्थ ऑलराउंडर्स की एक लंबी फौज है, लेकिन आस्ट्रेलिया को कोई अगर बराबरी की टक्कर देता है तो वह है भारतीय टीम। इसके अलावा पिछले तीन महीनों से भारतीय टीम आस्ट्रेलियाई धरती पर क्रिकेट खेल रही है, जिससे भारतीय खिलाडि़यों को वहां की परिस्थितियों के अनुरूप खुद को ढालने का भरपूर मौका मिला है। भारत की हमेशा से बल्लेबाजी मजबूत पक्ष रही है। टीम में शामिल रोहित शर्मा, अजिंक्य रहाणे, विराट कोहली और सुरेश रैना कुल मिलाकर संतोषजनक प्रदर्शन कर रहे हैं जिससे उम्मीद की किरणें जगी हैं। हां, तेज गेंदबाजी के लिहाज से देखें तो भारतीय टीम थोड़ी कमतर जरूर नजर आ रही है, लेकिन उनकी भरपाई के लिए कप्तान धोनी के पास रविचंद्रन अश्विन, रवींद्र जडेजा और अक्षर पटेल जैसे सशक्त फिरकी हरफनमौला मौजूद हैं। धोनी अपने युवा खिलाडि़यों के बल पर खिताब जीतना बखूबी जानते हैं। टी-20 विश्व कप के अलावा 2013 चैंपियंस ट्रॉफी अपने युवा खिलाडि़यों के बल पर जीतकर वे इस बात को साबित कर चुके हैं। इसलिए इस बार भी धोनी के धुरंधर कुछ कमाल कर गए तो आश्चर्य नहीं होगा।
भारतीय टीम की दावेदारी का जहां तक सवाल है तो इस बार भी पूरा दारोमदार फिर युवा बल्लेबाजों पर रहेगा। पिछले एक-दो वषोंर् से हमारे गेंदबाज जी खोलकर रन लुटा रहे हैं और लक्ष्य को हासिल करने का जिम्मा अंतत: बल्लेबाजों पर ही आता रहा है। इस दौरान भारतीय टीम की सफलता की दर आस्ट्रेलिया के बाद सबसे अच्छी रही है। संयोग देखिये कि यही दोनों टीमें आईसीसी वनडे की वरीयता में भी क्रमश: नंबर एक और दो पर हैं। खैर, यहां पर भारतीय गेंदबाजों को दोषी ठहराने की जगह हम गौर करें तो पाएंगे कि वनडे क्रिकेट में हमेशा से बल्लेबाजों का जलवा रहा है। अब भी कहानी कमोबेश वही है। अगर भारतीय गेंदबाज अनुशासनहीन गेंदबाजी पर रन उड़ाते हैं तो हमारे बल्लेबाज शीर्षस्थ विपक्षी गेंदबाजों की बखिया उधेड़ने में कब कसर छोड़ते हैं। हालांकि आस्ट्रेलिया व न्यूजीलैंड के परंपरागत तेज और उछाल लेते विकेट और दोनों छोर से नई गेंदें तेज गेंदबाजों को मदद पहुंचाएंगी, जबकि स्पिनरों को थोड़ी सतर्कता बरतनी पड़ेगी। लेकिन क्षेत्ररक्षकों पर अंकुश के नए नियम से बल्लेबाजों को काफी मदद मिलेगी और तेज गेंदबाजों की बखिया उधेड़ने में क्रिस गेल, विराट कोहली, एबी डिविलियर्स, रोहित शर्मा और स्टीवन स्मिथ जैसे खिलाड़ी बाज नहीं आते हैं। ज्यादा दिन नहीं बीेते हैं जब रोहित शर्मा ने अकेले 264 रनों की ऐतिहासिक पारी खेलते हुए भारत को जीत दिलाई थी। एक समय था जब 264 का स्कोर किसी टीम के लिए सुरक्षित माना जाता था, लेकिन अब एक खिलाड़ी वनडे क्रिकेट में दो दोहरे शतक बनाने का विश्व रिकॉर्ड बना रहा हो फिर गेंदबाजों की क्या दुर्गति होती है, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। इसी तरह आस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका जैसी टीमें साबित कर चुकी हैं कि अब 45 रन तक के आंकड़े भी छू लिए जाते हैं। इसलिए भारतीय गेंदबाजों की थोड़ी कमी को ढकने के लिए बल्लेबाजों की एक ऐसी कतार है जिस पर हम-आप और कप्तान धोनी सभी भरोसा कर सकते हैं।
बहरहाल, विश्व कप की रक्षा में जो भारतीय टीम अभियान में जुटी है उनसे काफी उम्मीदें जगती हैं। ओपनिंग में शिखर धवन का बल्ला नहीं चल रहा है जो चिंता का सबब है। लेकिन शिखर में वह क्षमता है कि एक बड़ी पारी खेलते ही वह अपनी लय हासिल करने में सफल हो जाएंगे। शिखर के साथ रोहित शर्मा जबरदस्त ओपनर के तौर पर मौजूद होंगे। रोहित पारी की शुरुआत में थोड़े धीमे जरूर हैं, लेकिन 30-35 रन बनाकर अगर वह क्रीज पर मौजूद हैं तो अक्सर बड़ी पारी खेलने में सफल रहते हैं। इसके बाद विराट कोहली और अजिंक्य रहाणे जैसे तकनीकी तौर पर दो सबसे मजबूत बल्लेबाज हैं, जिनमें किसी भी टीम और किसी भी परिस्थिति में रन बनाने की क्षमता है। इनके बाद सुरेश रैना और कप्तान धोनी तेज गेंदबाजों को खेलने में माहिर हैं और किसी भी आक्रमण को छिन्न-भिन्न करने की क्षमता रखते हैं।
कुल मिलाकर भारतीय टीम की ताकत मजबूत नजर आ रही है। टूर्नामेंट का फार्मेट इस बार थोड़ा बदला गया है जिससे क्वार्टर फाइनल तक का सफर तय करने में भारतीय टीम को दिक्कत नहीं आनी चाहिए। भारत के ग्रुप में दक्षिण अफ्रीका, पाकिस्तान और वेस्टइंडीज सहित यूएई, आयरलैंड और जिम्बाब्वे शामिल हैं। चूंकि लीग दौर के बाद चार शीर्ष टीमें क्वार्टर फाइनल (नाकआउट) में प्रवेश करेंगी, इसलिए भारत के लिए चिंता की बात नहीं है। लीग दौर में दक्षिण अफ्रीका से भारत को कड़ी टक्कर मिलेगी, लेकिन पाकिस्तान और वेस्टइंडीज के खिलाफ ज्यादा परेशानी नहीं दिख रही है। इसके बाद नाकआउट दौर में असली मुकाबले शुरू होंगे, जिनमें भारत को आस्ट्रेलिया, श्रीलंका और न्यूजीलैंड से जबरदस्त टक्कर मिल सकती है। भारत विश्व कप मुकाबलों में अब तक पाकिस्तान से कभी नहीं हारा है। अगर पहले मैच में भारत अपने चिर प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान को हराकर आगाज करता है तो पूरा विश्वास है कि अंजाम अच्छा ही होगा।

फिरकी का चलेगा जादू !
एक दिवसीय क्रिकेट में गेंद और बल्ले के बीच होने वाले महासंग्राम में आमतौर पर बल्लेबाजों का दबदबा रहता है। इस बार भी कहानी अलग नहीं होगी। लेकिन ए.बी. डिविलियर्स, क्रिस गेल, शाहिद अफरीदी, कोरे एंडरसन, ग्लेन मैक्सवेल, डेविड वार्नर और महेंद्र सिंह धोनी के आग उगलते बल्ले पर काबू पाने के लिए तमाम गेंदबाज भी अपनी रणनीति बनाने में जुटे हुए हैं। चाहे तेज गेंदबाज हो या स्पिनर, हर खिलाड़ी विश्व कप के दौरान अपने तरकश से वह तीर निकालना चाहेगा जो आक्रामक बल्लेबाजों पर अंकुश लगा सके।
हालांकि आस्ट्रेलिया व न्यूजीलैंड के परंपरागत तेज और उछाल लेते विकेट, दोनों छोर से नई गेंदें, क्षेत्ररक्षकों पर लगने वाले अंकुश और बल्लेबाजों के खतरनाक लप्पेबाजी के अंदाज के आगे स्पिनरों की सफलता पर लोगों में संदेह पैदा हो सकता है। लेकिन इस बार विश्व कप में ऐसा ही होगा, इसका दावा भी नहीं किया जा सकता है। कुछ ऐसे स्पिनर भी मौजूद हैं जो अपनी टीम की जीत में अहम भूमिका निभा सकते हैं। उनमें से कुछ मैच विजेता भी साबित हों तो कोई हैरत नहीं होगी। आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में क्रिकेट सत्र की समाप्ति का समय है। ऐसे में वहां के विकेट पहले की तरह जीवंत नहीं होंगे। गर्मी के दौरान पिच जल्दी सूखेगी जिससे उसमें दरार पड़ने की संभावनाएं बढ़ेंगी। कुछ ऐसे भी विकेट हैं जिन पर गेंद बखूबी घूमेगी। इस तरह की स्थिति आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में पिछली बार 1992 में हुए विश्व कप के दौरान भी देखने को मिली थी। उस विश्व कप में पाकिस्तान अगर विश्व विजेता बना था तो उसके लेग स्पिनर मुश्ताक अहमद (16 विकेट) की अहम भूमिका थी। 1992 विश्व कप में पाकिस्तान की ओर से केवल वसीम अकरम ही मुश्ताक से ज्यादा विकेट हासिल कर पाए थे।
मुश्ताक ही नहीं, आस्ट्रेलियाई धरती पर शेन वार्न और मुथैया मुरलीधरन जैसे फिरकी के जादूगर भी अपना जलवा दिखा चुके हैं। इसलिए, इस बार भी विश्व कप में अगर कुछ स्टार स्पिनर अपनी न भूलने वाली यादें छोड़ जाएं तो हैरत की बात नहीं होगी। आस्ट्रेलिया-न्यूजीलैंड में रविचंद्रन अश्विन जैसे स्पिनर कितने सफल हो पाएंगे, इस बारे में दावे नहीं किए जा सकते। लेकिन कलाई के सहारे गेंदांे को घुमाने वाले फिरकी गेंदबाज बल्लेबाजों के लिए परेशानी का सबब बन सकते हैं। भारत के पास रवींद्र जडेजा और अक्षर पटेल जैसे युवा प्रतिभाशाली स्पिनर हैं तो पाकिस्तान, श्रीलंका, वेस्टइंडीज, इंग्लैंड, आस्ट्रेलिया और बंगलादेश के पास भी ऐसे स्पिनर हैं, जिसे उनका कप्तान तुरुप के इक्के के रूप में इस्तेमाल कर सकता है।
जहां तक भारत का सवाल है तो आर. अश्विन, रवींद्र जडेजा और अक्षर पटेल आलराउंडर के तौर पर विश्व कप में शिरकत करेंगे। इनमें कमोबेश एक खासियत है कि इनकी गेंदों पर रन बनाना बहुत आसान नहीं होगा।
प्रवीण सिन्हा
आईसीसी क्रिकेट विश्व कप की धमाकेदार शुरुआत हो चुकी है। दुनिया के धुरंधर बल्लेबाज और गेंदबाज आमने-सामने हैं। आस्ट्रेलिया की भीषण गर्मी भले ही खिलाडि़यों की हालत पस्त करती दिखे, लेकिन क्रिकेट का महासंग्राम न तो थमेगा और न ही टीमों का उत्साह कम होगा। खिलाडि़यों के बल्ले आग उगलते दिखाई देंगे। हर टीम, हर खिलाड़ी सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने के लिए बेताब दिखाई दे रहा है।
मेजबान आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड सहित दक्षिण अफ्रीका, इंग्लैंड और पाकिस्तान विश्व कप के शिखर तक पहुंचने के इरादे से अपना अभियान शुरू करेंगे तो भारतीय क्रिकेट टीम अपने खिताब बचाने के पक्के इरादे के साथ अपनी दावेदारी पेश करेगी। अलग-अलग टीमों की अपनी खासियत है और कोई भी टीम विश्व कप के अभियान को हल्के में लेने की चूक नहीं करेगी। इसलिए इतना तय है कि बल्ले और गेंद के बीच रोमांचक संघर्ष देखने को मिलेगा। जहां तक भारतीय टीम की स्थिति और दावेदारी की बात है तो अभी से यह दावा करना कि भारत विश्व कप खिताब की रक्षा करने में सफल रहेगा, थोड़ी जल्दबाजी होगी। हां, इतना दावा जरूर किया जा सकता है कि भारत खिताब के प्रबल दावेदारों में शामिल है। भारतीय टीम में युवा और अनुभवी खिलाडि़यों का सुंदर मिश्रण है, जबकि विपक्षी टीमों के लिए अबूझ पहेली बनकर सामने आने वाले विश्व के सबसे चतुर कप्तान महेंद्र सिंह धोनी हैं। कैप्टन कूल धोनी महत्वपूर्ण मौकों पर अपने फैसलों से सभी को अचंभित कर देते हैं। अपनी कुशल कप्तानी और दबाव में न बिखरने की खासियत की बदौलत धोनी भारत को दो-दो बार (टी-20 और 2011 आईसीसी वनडे विश्व कप) विश्व विजेता बना चुके हैं। धोनी की टीम में इस बार सचिन तेंदुलकर, वीरेंद्र सहवाग, युवराज सिंह, गौतम गंभीर और जहीर खान जैसे धुरंधर शामिल नहीं हैं, लेकिन उनके पास युवा प्रतिभाशाली और जोश से भरे खिलाडि़यों की कमी नहीं है। इसलिए इस बार भी ऐन वक्त पर अगर वह कोई हैरतंगेज फैसला कर लें तो आश्चर्य नहीं होगा।

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