|
गत 8 फरवरी को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवत ने गाजियाबाद और उसके बाद मेरठ में स्वयंसेवकांे के बडे़ समागमों को सम्बोधित किया। दोनों स्थानांे पर मिलाकर लगभग बीस हजार स्वयंसेवक उपस्थित थे। ये स्वयंसेवक मेरठ, बागपत, गाजियाबाद, गौतमबुद्धनगर तथा हापुड़ जिलों से पूर्ण गणवेश में आए थे।
गाजियाबाद
स्वयंसेवकों को सम्बोधित करते हुए श्री भागवत ने कहा कि हिन्दुत्व ही एकमात्र विचार है जो त्रस्त मानवता को बचा सकता है। केवल हिन्दुत्व में विविधता का सम्मान है। पश्चिम में तो भिन्नता मिटाकर एक मजहब, एक भाषा के आधार पर राष्ट्र बनाने की कोशिशें हुई हैं। पर हिन्दुत्व के कारण भारत में ऐसा नहीं हुआ। भिन्नता में एकता का सूत्र एकमात्र हिन्दू विचार का वैशिष्ट्य है। अत: अच्छा, पक्का, सच्चा हिन्दू भारत ही नहीं, विश्व की आवश्यकता है। संघ ऐसे ही हिन्दुआंे का निर्माण करता है।
उन्होंने कहा कि संघ को संघ में आए बिना नहीं समझा जा सकता। बाहर रहकर संघ समझने की चेष्टा वैसी ही है जैसी कुछ नेत्रहीनों द्वारा हाथी को टटोल कर जानने का यत्न। संघ के गणवेशधारी स्वयंसेवकों और उनके संचलन आदि को देखकर इसे अर्धसैनिक संगठन समझना भूल है। यह एक अनौपचारिक और पारिवारिक संगठन है।
मेरठ
मेरठ में स्वंयसेवकों को संबोधित करते हुए सरसंघचालक ने कहा कि संघ निर्माता डॉ़ हेडगेवार ने बेहद गरीब व साधनहीन होते हुए भी समाज में परिवर्तन लाने तथा देशहित में काम करने वाली नित्यसिद्ध शक्ति खड़ी करने के लिए प्रयत्नों की पराकाष्ठा की। जातपात ,ऊंचनीच को भुलाकर, सब प्रकार के भेदांे को दूर कर एक नई समाजरचना भारत में प्रतिष्ठित करने का उनका प्रयास सफलता की ओर अग्रसर है। संगठित हिन्दू ही इस राष्ट्र को महान बना सकते हैं। हिन्दू जगे तो विश्व भी जगेगा।
इन कार्यक्रमों के बाद पश्चिम उत्तर प्रदेश क्षेत्र के तीन प्रांतों (उत्तराखंड, मेरठ तथा ब्रज) की कार्यकारिणियों के साथ हुई बैठक में सरसंघचालक ने कहा कि संघ की कार्यपद्धति समय की कसौटी पर खरी उतरी है। इसके कारण उत्तम कार्यकर्ता निर्माण हुए हैं। इसलिए इसे बदलने की जरूरत नहीं।
मुरादाबाद में समागम
गत दिनों मुरादाबाद में भी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मुरादाबाद विभाग के स्वयंसेवकों का समागम हुआ। इसमें रामपुर जिले के 240 स्थानों से 1840, मुरादाबाद जिले के 130 स्थानों से 1520, मुरादाबाद महानगर के 8 स्थानों से 2420 और सम्भल जिले के 317 स्थानों से 3840 स्वयंसेवकों ने भाग लिया। इस अवसर पर मुख्य वक्ता श्री विजय ने स्वयंसेवकों का आह्वान किया कि वे पहले समाज को जगाएं, फिर संस्कारित करें और अन्त में उसे संगठित करें। उन्होंने यह भी कहा कि आज समाज के लोग संघ के अच्छे कायोंर् को देखकर संघ से जुड़ने के लिए आगे आ रहे हैं। अच्छा वातावरण बनने लगा है। अनुकूलता में ज्यादा सावधानी की आवश्यकता है। ल्ल अजय मित्तल
टिप्पणियाँ