भारतीय ज्ञान-विज्ञान की थाती से हटती धूल
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भारतीय ज्ञान-विज्ञान की थाती से हटती धूल

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Feb 9, 2015, 12:00 am IST
in Archive
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दिंनाक: 09 Feb 2015 12:18:22

अंक संदर्भ: : 18 जनवरी, 2015
आवरण कथा 'प्राचीन भारतीय विज्ञान पर चुप्पी टूटी सौ साल बाद' से प्रतीत होता है कि सदियों की जो थाती कहानियों में सिमटी थी उसे अब जीवन्त रूप में प्रस्तुत कर भारतीय इतिहास की उपलब्धि को सम्पूर्ण विश्व में पहुंचाने का एक प्रयास हुआ है। भारत के विषय में यह कहना उचित होगा कि यह देश अन्य देशों की तुलना में हर एक प्रकार से सुसम्पन्न था। शिक्षा अनुसंधान की धाक पूरे विश्व में थी और इस बात का लोहा सभी देश मानते थे। लेकिन आज जिस रूप में भारत को होना चाहिए वह नहीं है। वर्तमान सरकार द्वारा इस दिशा में किया जा रहा सकारात्मक प्रयास उजाले की ओर संकेत करता है।
—विनोद कुमार तिवारी
शिवगढ़,जिला-रायबरेली(उ.प्र.)
देशद्रोहियों पर कसे नकेल
इसे देश का दुर्भाग्य ही कहेंगे कि इस देश में जिसे जो मन आता है वह बोलकर लाखों हिन्दुओं की भावना आहत कर चलता बनता है। मंदिर,देवी-देवताओं और देश के खिलाफ मुसलमान आग उगलते हैं और राज्य सरकारें ऐसे शान्त रहती हैं जैसे कुछ हुआ ही न हो। सवाल है कि क्या राज्य सरकारों का यह दायित्व नहीं है कि वे संविधान की मर्यादा का ध्यान रखते हुए सर्वधर्मसमभाव की जो परंपरा है उसको बचाने का कार्य करें? क्या उनका दायित्व नहीं है,जो कानून का उल्लंघन करते हैं उनको कड़ी सजा दिलाएं? लेकिन दु:ख तब होता है जब इसके उलट होता है। मुसलमान इस देश में कुछ भी बोलकर चला जाता है, लेकिन अगर हिन्दू कुछ भी बोल दे तो वह साम्प्रदायिक हो जाता है, आखिर क्यों?
—दिलीप मिश्र, दौलतगंज,लश्कर(म.प्र.)
ङ्म हाल में आईं कुछ हिन्दू विरोधी फिल्में जिनमें हिन्दू देवी-देवताओं,सनातन संस्कृति, पारंपरिक मूल्यों व प्रतीकों का जमकर मजाक उड़ाया गया। हिन्दुओं के मन में इन फिल्मों के माध्यम से सनातन संस्कृति के प्रति विकृति लाने का पूर्ण प्रयास किया गया है। लेकिन मेरा हिन्दू समाज से एक ही आग्रह है कि अगर आप वास्तव में चाहते हैं कि हिन्दू व्यवस्था का कोई मजाक न उड़ाए और भारतीय संस्कृति,देवी-देवताओं पर कोई तंज न कसे इसके लिए स्वयं में बदलाव लाना होगा। क्योंकि हम लोग ही ऐसे लोगों को बढ़ावा देते हैं और जैसे ही उन लोगों की फिल्में आती हैं सबसे पहले जाते हैं और उनकी फिल्म की आमदनी बढ़ाते हैं। यही आमदनी भारतीय संस्कृति को खंडित करने में प्रयोग की जाती है। तो सवाल है कि इसमें सबसे ज्यादा दोष किसका है? हमें शपथ लेनी होगी जो भी चीज भारतीयता के विरोध में होगी हम उसका विरोध करेंगे। तब जाकर ही इन सेकुलरों के हौसले पस्त होंगे।
—विजय कृष्ण प्रकाश
हाजीपुर,जिला-वैशाली(बिहार)
ङ्म इस्लाम ने सदैव अपनी ताकत और तलवार के दम पर शासन किया। इन्होंने कभी भी किसी कानून को नहीं माना और जो भी मन में आया वह किया। मुगलकाल में मंदिरों को तोड़ना, हिन्दुओं का कन्वर्जन करना और न करने पर उनकी हत्या करना इनके काले कारनामों में से एक थे। लेकिन कुछ उलेमा मुसलमान कौम को ऐसे पाक-साफ बताते हैं जैसे ये निरपराध हों। आज देश के सभी हिन्दुओं को चाहिए कि वह मुगनकालीन इतिहास को पढ़ें और अपने बच्चों को भी पढ़ाएं ताकि जिन लोगों को इनके विषय में गलतफहमी है वह दूर हो सके और वे सच से परिचित हो सकें।
—सोम त्रिपाठी,दतिया(म.प्र.)
आशा के दीप!
प्रवासी भारतीयों ने जिस प्रकार पूरे विश्व में अपने-अपने क्षेत्र में भारत का नाम रोशन किया है वह अपने आप में महत्वपूर्ण है। आज के समय में युवा पीढ़ी के लिए ये सभी लोग प्रेरणा स्रोत हैं। ये वे लोग हैं, जिन्होंने अपने पुरुषार्थ के दम पर विश्व में अपना नाम और देश का मान बढ़ाया है। प्रवासी भारतीयों से मेरी एक आशा है कि वे भारत में विकलांगजनों के कल्याण के लिए एक बड़े स्तर पर अभियान चलाकर उनके लिए आशा की किरण बनें।
—मनोज जे. पटेल
चानस्मा,जिला-पाटन(गुजरात)
ङ्म प्रवासी भारतीय दिवस पर विभिन्न क्षेत्रों में अपनी प्रतिभा का लोहा मनावा चुके भारतवंशियों पर पाञ्चजन्य का विशेष आयोजन सराहनीय है। ऊंचाइयों पर पहुंचे इन भारतवंशियों से जहां उनके जीवन से सीख एवं प्रेरणा मिलती है, वहीं भारत में रह रहे लोगों के लिए यह गौरव की बात है। आज हमारे देश के हजारों-हजार प्रवासी भारतीय विदेश में रहकर अपने पुरुषार्थ के दम पर देश का नाम रोशन कर रहे हैं। वे रात-दिन इसलिए प्रयास कर रहे हैं कि हिन्दुस्थान के लोगों को समुचित रूप से सभी संसाधन उपलब्ध करा सकें जो जीवन के लिए अहम हैं। मेरी ओर से ऐसे सभी प्रवासी लोगों को ह्दय से धन्यवाद। महत्वपूर्ण बात यह है कि इनका तन तो विदेश में रहता है लेकिन मन भारत के लोगों के पास रहता है।
—अनिल तोमर,हापुड़(उ.प्र.)
निष्पक्ष पत्रकारिता का उदाहरण
आज बाजार में पत्र-पत्रिकाओं की भरमार है। इनमेंें से अधिकतर पत्र जनता को जागरूक करने के बजाए कुछ और ही करते हैं और जो पत्रकारिता का प्रमुख ध्येय है उसको एक किनारे रख देते हैं। लोभ-लालच के करीब और निष्पक्षता से वे कोसों दूर हैं। अधिकतर पत्र अपने लोभ व लालच के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार रहते हैं। ऐसे समय में पाञ्चजन्य देश में राष्ट्र जागरण का काम कर रहा है और ऐसी अलख जगाने का काम कर रहा है जो पत्रकारिता क्षेत्र में आज कोई नहीं कर पा रहा है।
—देशबंधु
संतोष पार्क, उत्तम नगर(नई दिल्ली)
आयुष में सर्वोच्च हम
आज कुछ देश भारत को चिकित्सा के विषय में शिक्षा दे रहे हैं,लेकिन उन्हें पता होना चाहिए कि भारत चिकित्सा के क्षेत्र में स्वयं सर्वोच्च स्थान पर रहा है।
—बलराज सकलानी, जिला-मंडी (हि.प्र.)
अवसरवादियों से सावधान!
केन्द्र सरकार को अवसरवादियों से सावधान होने की जरूरत है। क्योंकि इनका न तो कोई ईमान धर्म हेाता है और न ही कोई विचारधारा। ये लोग पाला बदलने में देर नहीं लगाते।
—एस.कुमार
बी. 24,मीनाक्षीपुरम्,मेरठ (उ.प्र.)
फैलता ईसाइयत का जाल
आज देश के कोने-कोने में ईसाई मिशनरियों का जाल फैलता जा रहा है। मिशनरी वंचित तबके को निशाना बनाकर उनका अधिकाधिक कन्वर्जन करा रही हैं और काफी हद तक वे वनवासी क्षेत्रों में इस कार्य में सफल भी हुए हैं। वनवासी क्षेत्रों में ये शिक्षा संस्थाओं की आड़ में पहले बच्चों को शिक्षा देने की बात करते हैं लेकिन धीरे-धीरे वे बालमन में हिन्दुओं के खिलाफ और भारतीयता के खिलाफ जहर घोलने लगते हैं, जिसका परिणाम होता है कि जब इन बच्चों का पूरा 'बे्रनवाश' हो जाता है तब वे ईसाइयत में 'कन्वर्ट' हो जाते हैं। आज प्रत्येक हिन्दू को जागरूक होना होगा कि हमारे आस-पास तो कोई इस प्रकार की संस्था नहीं चल रही है, जिसमें इस प्रकार का कार्य हो रहा हो। यह जागरूकता आज के समय जरूरी है।
—छैल बिहारी,एस-3 छत्ता(उ .प्र.)
कड़े कानून किसके लिए!
वैसे सदन चलाने का दायित्व सदन के अध्यक्ष पर ही होता है और इसके लिए पर्याप्त नियम,संसाधन व अधिकार उसे संविधान से प्रदत्त हैं। उदं्दड सांसदों से कैसे निपटना है इसके लिए भी सदन के अध्यक्ष को पर्याप्त अधिकार प्राप्त हैं। सरकार का कर्त्तव्य है कि वह विधेयक पारित करवाए और जो भी सांसद इस कार्य में सहयोग नहीं करता है वह जनता के प्रति जवाबदेह है। सदन में जो भी निरर्थक हंगामा करते हैं, उन सांसदों को जनता के समक्ष प्रस्तुत करना चाहिए और देश को बोध कराना चाहिए कि जिन लोगों को क्षेत्र व देश के विकास के लिए भेजा गया है वे ऐसे कार्य कर रहे हैं, जिससे देश के विकास में बाधा उत्पन्न हो रही है। तभी इन उदं्दड सांसदों पर नकेल कसेगी और वे ऐसे कार्य करने से डरेंगे।
—प्रभाकर कृष्णराव चिकटे
प्रगति विहार,झांसी (उ.प्र.)
सपा की करतूत
समाजवादी सरकार जनता के पैसों को कैसे आग लगाती है,सैफई महोत्सव में देखा जा सकता था। एक तरफ उत्तर प्रदेश में बेरोजगारी की मार इस कदर है कि अधिकतर नौजवान पढ़ने के बाद भी बेकार बैठे हुए हैं। किसान, विद्यार्थी, व्यवसायी सभी सपा की नीतियों से परेशान हैं। लेकिन सपा के नेताओं को यह कुछ दिखाई ही नहीं देता। अखिलेश-मुलायम से सवाल है कि क्या यही समाजवाद है? उन्हें जनता के खून-पसीने की कमाई को लुटाने का अधिकार किसने दिया? उत्तर प्रदेश की जनता को समझना होगा कि जो प्रदेश का विकास करे और उसकी समृद्धि के लिए सोचे उसे ही प्रदेश की कमान सौंपनी है, न कि इन लुटेरों को।
—देवेन्द्र सिंह कुशवाहा
जवाहर मार्ग, जिला-उज्जैन (म.प्र.)
गीता गंगोदकम् पीत्वा…
इसे देश का दुर्भाग्य ही कहेंगे कि यहां जिस भी वस्तु से मानव का कल्याण होने वाला होता है उसे धर्म और जाति के बंधन में जकड़ दिया जाता है। श्रीमद्भगवदगीता जो सम्पूर्ण मानवता के लिए पथ प्रदर्शक का कार्य करती है, उसे भी यहां धर्म के बंधन में जकड़कर उस अमृतरूपी कलश को विष समझा जाता है। ऐसा करने से कुछ तथाकथित सेकुलर लोग समझते हैं कि हमने अच्छा किया पर यह उनकी भूल है। वे यह नहीं जानते कि वे ऐसा करके स्वयं का ही जीवन नष्ट कर रहे हैं। आज यह तथ्य किसी से छुपा नहीं रह गया है कि गीता किसी व्यक्ति और पंथ विशेष का संदेश नहीं देती,बल्कि वह सम्पूर्ण मानवता के मोक्ष का मार्ग प्रशस्त करती है।
-प्रद्युम्न जडि़या
रेलवे कॉलोनी,उज्जैन (म.प्र.)
आतंक की कार्यशाला
पाकिस्तान का उदय ही गलत सोच और इस्लामी मत की कट्टर और संकुचित अवधारणा पर आधारित था। तो पेशावर में जो कुछ भी हुआ उस पर शोक करना व्यर्थ है। क्योंकि पाक में बैठे कठमुल्लाओं से अपेक्षा भी क्या की जा सकती है, जिनके मत-दर्शन,सिद्धांत की बुनियाद ही परस्पर विरोधी विचारों पर आधारित है? आज इसी हठधर्मिता के कारण वह आतंक की फैक्ट्री बन गया है।
-कजोड़ राम नागर
बी-120,दक्षिणपुरी (नई दिल्ली)

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