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चीन ने भारत के परमाणु आपूर्ति समूह (एनएसजी) की सदस्यता के दावे का सशर्त समर्थन करते हुए कहा कि इस मुद्दे पर समझदारी और सतर्कता बरतने की जरूरत है। चीन का यह बयान अमरीकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के 48 देशों वाली इस परमाणु शक्ति संपन्न वैश्विक संस्था में भारत को शामिल करने का समर्थन करने के बाद आया है।
चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनइंग ने एक प्रेस वार्ता में कहा कि हम मानते हैं कि इस तरह के फैसले आम सहमति से लिए जाने चाहिए। हमने संबंधित मुद्दों पर भारत की प्रतिबद्धता देखी है। हम इस समूह में भारत का समर्थन करते हैं और आशा करते हैं कि भारत समूह में शामिल होने के लिए इसके आगे की जरूरतों को पूरा करे। उल्लेखनीय है कि भारत व अमरीका ने गत 25 जनवरी को वैश्विक परमाणु अप्रसार व निर्यात नियंत्रक व्यवस्था को मजबूत करने के प्रयास के तहत भारत को चरणबद्ध ढंग से एनएसजी, मिसाइल तकनीक नियंत्रण व्यवस्था (एमटीसीआर), वाजेनार करार व आस्ट्रेलियाई समूह में प्रवेश के लिए काम करना जारी रखने की प्रतिबद्धता जताई थी। यह बात अमरीकी राष्ट्रपति बराक ओबामा व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नई दिल्ली में बातचीत के बाद संयुक्त बयान में कही थी।
परमाणु करार से पाक परेशान
भारत – अमरीका के बीच हुए परमाणु करार के मूर्त रूप लेने पर पाकिस्तान ने गंभीर चिंता व्यक्त की है। पाकिस्तान का कहना है कि इस समझौते से क्षेत्रीय स्थिरता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। गत 27 जनवरी को पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार सरताज अजीज ने कहा कि राजनीतिक और आर्थिक फायदे के लिए भारत-अमरीका परमाणु करार के क्रियान्वयन से दक्षिण एशिया की स्थिरता पर हानिकारक प्रभाव पड़ेगा। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता और परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह का सदस्य बनाए जाने के सुझाव का भी पाकिस्तान ने विरोध किया है। उल्लेखनीय है कि भारत और अमरीका के बीच छह वर्ष पहले हुए असैन्य परमाणु करार के क्रियान्वयन की दिशा में सफलता अमरीका के राष्ट्रपति बराक ओबामा के भारत दौरे के दौरान मिली। अजीज के अनुसार पाकिस्तान, अमरीका के साथ अपने रिश्तों को महत्व देता है और दक्षिण एशिया में रणनीतिक स्थिरता और संतुलन के लिए रचनात्मक भूमिका अदा करने की उम्मीद करता है। -प्रस्तुति : आदित्य भारद्वाज
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