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साल भर बाद दिल्ली में पुन: हो रहे विधानसभा चुनाव ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया कि दिल्ली में इस बार किसकी सरकार बनेगी? पूरे देश और राजनीतिक विश्लेषकों की नजर दिल्ली के चुनाव पर लगी हुई है। सवाल यह है कि किया दिल्ली में भाजपा पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाएगी? या आम आदमी पार्टी फिर से कोई नया राजनीतिक खेल दिखाएगी? क्या कांग्रेस दिल्ली में अपनी साख बचा पाएगी? आखिर किस दल में कितना है दम यह तो चुनाव परिणाम बताएगा पर दिल्ली को लेकर जो अलग-अलग एजेंसियों और मीडिया संस्थानों द्वारा जो चुनावी सर्वे हो रहे हैं उनमें सीटों और पूर्ण बहुमत को लेकर राय भले बंटी हुई हो लेकिन अधिकांश सर्वे इस बात का संकेत जरूर कर रहे हंै कि भाजपा फिर से आम पार्टी से आगे है। वहीं कांग्रेस मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने में लगी है। सर्वे की माने तो पूर्व आईपीएस अधिकारी रहीं किरण बेदी के भाजपा में शामिल होने और पूर्व केंद्रीय मंत्री व कांग्रेस नेता अजय माकन को दिल्ली विधानसभा चुनाव की कमान सौंपे जाने के बाद से भाजपा और कांग्रेस की स्थिति में और सुधार हुआ है। हालंाकि आम आदमी पार्टी भी पूरा जोर लगा रही है।
अगर सी-वोटर के सर्वे को आधार माना जाए तो किरण बेदी के भाजपा में शामिल होने से पार्टी को फायदा हुआ है। जनवरी 2015 के पहले और दूसरे सप्ताह में भाजपा को बहुमत हासिल होता नहीं दिख रहा था, लेकिन बेदी के आने से फर्क पड़ा। इस सर्वे में दिल्ली के 2520 लोगों की पसंद के अनुसार भाजपा को 37 सीटें मिलने की उम्मीद है तो आम आदमी पार्टी को 26 सीटें मिल सकती हैं। यानी भाजपा से 11 सीटें कम। आम आदमी पार्टी को जनवरी के पहले सप्ताह में 29 सीटें मिलती दिख रही थीं। लेकिन सीटों से अधिक भाजपा को किरण बेदी के आने से महिलाओं में फायदा होता नजर आ रहा हैं। पसंद के सवाल पर 56 फीसद महिलाएं किरण बेदी को 33 फीसद महिलाएं केजरीवाल को और सात फीसद ने कांग्रेस के अजय माकन को बेहतर माना है। पुरुषों में 46 फीसद ने बेदी को तो 44 फीसद ने केजरीवाल को बेहतर माना। महिलाओं के बीच जब केजरीवाल और बेदी का मुकाबला हुआ तो 61 फीसद महिलाएं बेदी के साथ खड़ी नजर आईं। फिलहाल कांग्रेस को भी सात सीटें मिलती नजर आ रही हैं।
लेकिन यदि एबीपी न्यूज और नील्सन के चुनावी सर्वे को माना जाए तो भाजपा और आम आदमी पार्टी के बीच कांटे का मुकाबला है। हालांकि नील्सन के सर्वे में भी भाजपा सबसे बड़ी पार्टी उभरकर सामने आ रही है। सर्वे के अनुसार भाजपा को 34, आम आदमी पार्टी को 28 और कांग्रेस को 8 सीटें मिल सकती हैं। बात मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार की की जाए तो केजरीवाल को भाजपा की किरण बेदी से चुनौती मिल रही है। केजरीवाल मुख्यमंत्री के रूप में जहां 47 फीसद लोगों की पंसद है वहीं किरण बेदी 44 फीसद लोगों की। अजय माकन को 7 फीसद लोग पसंद कर रहे हैं। वहीं टुडे समूह के सर्वे में भाजपा बहुमत को छूती दिखाई पड़ रही है। सर्वे के अनुसार भाजपा को 34 से 40 सीटें मिल सकती हैं वहीं आआपा को 25 से 31 सीटें और कांग्रेस को 3 से 5 सीटें मिल रही हैं।
जी न्यूज ने तालीम रिसर्च फाउंडेशन के माध्यम से दिल्ली की राजनीतिक नब्ज को टटोला तो भाजपा को बहुमत मिलता दिख रहा है। तालीम के मुताबिक भाजपा को 37, आआपा को 29 और कांग्रेस को 4 सीटें मिल सकती हैं। वहीं मीडिया एसोसिएशन फॉर सोशल सर्विस ने बीते दिसंबर के आखिरी सप्ताह में सर्वे किया था, उसमें भाजपा को 44, आआपा को 22 और कांग्रेस को 4 सीटें मिलती दिख रही थीं। इस सर्वे के मुताबिक तीनों ही दलों को पांच सीटों तक नफा- नुकसान हो सकता है, यानी सीटें घट-बढ़ सकती हैं। इन चुनावी सर्वेक्षणों के बारे में भाजपा के राष्ट्रीय सचिव श्रीकांत शर्मा कहते हैं कि, सभी सर्वे इस बात का संकेत कर रहे हैं कि भाजपा आगे हैं। इसमें कहीं कोई संदेह नहीं है। भाजपा पूर्ण बहुमत के साथ दिल्ली में सरकार बनाएगी। वहीं दूसरी ओर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरविंद सिंद लवली कहते हैं कि चुनाव सर्वेक्षण कई बार गलत साबित हुए हैं इस बार कांग्रेस दिल्ली में अच्छा प्रदर्शन करेगी। लेकिन आम आदमी पार्टी के नेता जो चुनाव सर्वे करने में माहिर माने जाते हैं उनका कहना कि आम आदमी पार्टी को पिछली बार से अधिक सीटें मिलेंगी और पार्टी की अपने दम पर सरकार बनेगी। जाहिर है राजनीतिक दलों के अपने भी दावे और आंतरिक सर्वे होते हैं। चुनाव तक हर दल अपनी जीत का ही दावा करता है, लेकिन असल में तो चुनाव सर्वे हवा का रुख जरूर बता देते हैं। सर्वेक्षण से यह साफ है कि दिल्ली में भाजपा और आआपा के बीच मुकाबला है। फिलहाल सभी सर्वे यह मान रहे हैं कि आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के मुकाबले भाजपा आगे है। किरण बेदी के आने से भी भाजपा को फायदा हुआ है पर यह फायदा कितना है यह चुनाव परिणाम के बाद ही पता चलेगा। -मनोज वर्मा
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