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महान क्रिकेटर सुनील गावस्कर सहित तमाम दिग्गज महेंद्र सिंह धोनी के टेस्ट क्रिकेट से अचानक संन्यास लेने के फैसले से आश्चर्यचकित हैं। भारत के महानतम कप्तान धोनी के संन्यास लेने के बाद गावस्कर की त्वरित प्रतिक्रिया थी – हालांकि यह अचानक लिया गया फैसला नहीं था, लेकिन मेलबर्न टेस्ट के ठीक बाद धोनी का संन्यास लेना हैरत में डाल गया। मैं यह मानकर चल रहा था कि धोनी इस सीरीज के अंतिम मैच यानी सिडनी टेस्ट के बाद कप्तानी से हट सकते हैं, लेकिन एक खिलाड़ी के तौर पर वह टेस्ट क्रिकेट से संन्यास ले लेंगे ऐसा नहीं सोचा था। कमोबेश कुछ इसी तरह की राय भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के सचिव संजय पटेल की भी थी। पटेल ने कहा, बीसीसीआई को धोनी से किसी तरह की परेशानी नहीं थी। वह बड़े ही व्यावहारिक क्रिकेटर हैं। उन्होंने सिर्फ बेहतरी के लिए टेस्ट क्रिकेट छोड़ने की बात कही। यह वाकई आश्चर्यचकित करने वाला फैसला है, क्योंकि उनके टेस्ट करियर या कप्तानी पर कोई खतरा नहीं था।
जाहिर है, भारतीय क्रिकेट से काफी करीब से जुड़े गावस्कर और संजय पटेल कप्तान महेंद्र सिंह धोनी के टेस्ट क्रिकेट से अचानक संन्यास लेने के फैसले से हैरान हैं। उनकी यह हैरानगी भी जायज है क्योंकि बिना कुछ कहे धोनी ने अचानक संन्यास का जो फैसला किया, वह काफी कुछ संकेत देता है। उनका संन्यास लेना कई सवाल खड़े कर गया, जिस पर लंबे समय तक चर्चा होने की पूरी संभावना है। दूसरे शब्दों में आप इसे यूं कह सकते हैं कि धोनी ने बिना कुछ कहे अचानक जो धमाका किया है, उसकी गूंज दूर तक ही नहीं बल्कि देर तक सुनाई देगी।
भारत के महानतम कप्तान महेंद्र सिंह धोनी के क्रिकेट करियर और कप्तानी पर चर्चा चंद शब्दों में नहीं समेटी जा सकती है, लेकिन कैप्टन कूल का अचानक से टेस्ट क्रिकेट को अलविदा कह देना संकेत देता है कि भारतीय क्रिकेट में सबकुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा है। टेस्ट क्रिकेट से उनकी अनकही विदाई ने साफ कर दिया कि पिछले कुछ समय से भारतीय क्रिकेट में जो उथल-पुथल का दौर चल रहा है, उससे वह व्यथित थे। आईपीएल स्पॉट फिक्सिंग को लेकर चल रही जांच की आंच धोनी को पहले से ही परेशान कर रही थी। उसके बाद विराट कोहली और शिखर धवन जैसे आक्रामक खिलाडि़यों की मौजूदगी से भी वह काफी हद तक सहज नहीं लगे। हालांकि धोनी के रुख और फैसले को लेकर कोई भी दावा नहीं कर सकता है कि उनका अगला कदम क्या होगा। वह हैरतअंगेज फैसले करने के लिए मशहूर रहे हैं। उसके अलावा टीम ड्रेसिंग रूम के अंदर की बात इतनी आसानी से बाहर नहीं आ सकती। इसलिए धोनी के संन्यास के फैसले पर कोई भी दावा करना इतना आसान नहीं होगा। लेकिन ब्रिस्बेन (दूसरा) टेस्ट हारने से पहले शिखर धवन का नेट प्रैक्टिस के दौरान चोटिल होना और अगले दिन विराट कोहली को आनन-फानन में शिखर की जगह क्रीज पर भेजने को लेकर एक विवाद ने जन्म तो ले ही लिया था। इसे धोनी भले ही स्वीकार न करें, लेकिन उनके संन्यास के फैसले ने काफी हद तक इसकी पुष्टि कर दी है।
महेंद्र सिंह धोनी के पूरे क्रिकेट करियर पर गौर करें तो किसी भी हिन्दुस्थानी को उन पर गर्व होगा। सबसे ज्यादा मैचों में भारत की कप्तानी करने से लेकर सबसे ज्यादा जीत हासिल करना, कप्तान के तौर पर सबसे ज्यादा रन बनाना, विकेट के पीछे सबसे ज्यादा शिकार करना और टी-20 व एकदिवसीय क्रिकेट का विश्व कप भारत की झोली में डालना। ऐसे कारनामंे अब तक किसी भारतीय कप्तान ने नहीं किए थे। यही नहीं, धोनी के नेतृत्व में भारतीय टीम विश्व की नंबर एक टेस्ट व वनडे टीम भी बनी। इतनी उपलब्धियां हासिल करने के दौरान धोनी ने कई मौकों पर हैरतअंगेज फैसले किए और टीम के चयन में उनकी मर्जी भी खूब चली। धोनी को अगर लगा कि जैसे यह वरिष्ठ खिलाड़ी टीम में फिट नहीं बैठता है तो उसका रिकॉर्ड चाहे कितना ही शानदार क्यों न रहा हो, उसे टीम से बाहर जाना पड़ा। इसी तरह, अगर किसी जूनियर खिलाड़ी में दम दिखा तो धोनी ने उस पर आंख मूंदकर भरोसा किया और लाख असफलता के बावजूद वह टीम में बना रहा। चूंकि धोनी की चालें ज्यादातर मौकांे पर सफल रहीं इसलिए उनके खिलाफ बोलने की कोई हिम्मत नहीं जुटा पाया। इस दौरान, धोनी कई बार ठीक उसी तरह व्यवहार करते नजर आए जैसे बीसीसीआई के निर्वासित अध्यक्ष एन.श्रीनिवासन अपने पद पर बने रहने के लिए तानाशाही रवैया अपनाते दिखते थे।
धोनी का एक खिलाड़ी और कप्तान के रूप में कद काफी बड़ा हो गया था। इसलिए संभव है कि वह ड्रेसिंग रूम में अपने मन के मुताबिक माहौल चाहते हों। यह गलत भी नहीं है क्योंकि टीम में अनुशासन होना जरूरी है। लेकिन टीम हित में अगर कोई खिलाड़ी अचानक से क्रीज पर भेजे जाने के कप्तान के फैसले का विरोध करता हो तो इसमें गलत क्या है? इसी तरह यह भी संभव है कि उनके कनिष्ठ खिलाड़ी ड्रेसिंग रूम में जुबान चलाने की हिम्मत करें, धोनी को यह बर्दाश्त न हो। लेकिन टेस्ट क्रिकेट से संन्यास लेने से पहले इस सीरीज में धोनी का हर फैसला हैरान करने वाला रहा। लंबे अवकाश के बावजूद वह पहले टेस्ट में खेलने नहीं उतरे। फिर दूसरे टेस्ट की पहली पारी में 4 से ज्यादा रन बनाने के बावजूद मैच चौथे दिन ही हार गए। इसके बाद तीसरे टेस्ट में टीम संघर्ष करते हुुए मैच ड्रॉ कराने में सफल रही तो साथी खिलाडि़यों व मीडिया को पहले से जानकारी दिए बगैर अचानक संन्यास की घोषणा कर दी। इस समय क्रिकेट के तीनों प्रारूपों में खेलने का भार न उठा पाने का धोनी का बयान आसानी से स्वीकार नहीं किया जा सकता है। उनका बल्ला जिस तरह से चल रहा है या विकेट के पीछे वह जितने चपल हैं, उसे देखते हुए ऐसा तो नहीं लगता है कि धोनी को टेस्ट क्रिकेट से संन्यास ले लेना चाहिए।
धोनी के फैसले के पीछे उन्हीं का एक बयान याद आता है,जो उन्होंने ढाई साल पहले दिया था कि यदि वह 2015 आईसीसी विश्व कप में टीम की कप्तानी करते हैं तो वह क्रिकेट के किसी एक प्रारूप में कप्तानी छोड़ सकते हैं। उन्हीं के संकेत को ध्यान में रखते हुए अगर क्रिकेट आकाओं ने धोनी को संकेत दिया हो कि टेस्ट टीम के अगले कप्तान विराट कोहली होंगे और उन्हें अनुभव हासिल करने का मौका मिलना चाहिए तो इसमें हर्ज ही क्या है? चूंकि इस साल भारत को अपनी धरती पर टेस्ट मैच नहीं खेलना है और धोनी का विदेशी धरती पर कप्तानी का रिकॉर्ड काफी खराब रहा है, तो विराट को अभी से कप्तानी सौंप देने में उन्हें क्या परेशानी थी? धोनी शायद यह भूल गए कि उनके नेतृत्व में सचिन तेंदुलकर, राहुल द्रविड़ और वीवीएस लक्ष्मण जैसे महान खिलाड़ी खेल चुके हैं। उन्हें कभी कोई परेशानी नहीं हुई। उनका कोई अहं सामने नहीं आया। धोनी का अपना एक अलग अंदाज है और वह काफी सफल भी साबित हुए, लेकिन उनके लिए इस सवाल का जवाब देना काफी मुश्किल होगा कि क्या वह अपने जूनियर खिलाड़ी के नेतृत्व में उतनी ही सहजता से खेल सकेंगे जितनी सहजता से सचिन, द्रविड़ और लक्ष्मण खेल गए।
इसके अलावा आईपीएल स्पॉट फिक्सिंग मामले की जांच के दौरान सुनवाई में धोनी ने सट्टेबाजी में संलिप्तता के आरोपी चेन्नई सुपर किंग्स के टीम प्रमुख गुरुनाथ मयप्पन को टीम का अधिकारी नहीं, एक उत्साही क्रिकेट प्रशंसक बताकर बवाल खड़ा कर दिया था। सर्वोच्च न्यायालय ने इस बावत स्पष्ट कर दिया कि मयप्पन टीम से एक अधिकारी के तौर पर जुड़ा हुआ था और उसकी हरकतें एक क्रिकेटप्रेमी की नहीं बल्कि संदिग्ध थीं। चूंकि मामले की जांच चल रही है इसलिए किसी नतीजे पर नहीं पहुंचा जा सकता है, लेकिन अगर जांच प्रक्रिया की वजह से महेंद्र सिंह धोनी परेशान हों तो कोई बड़ा आश्चर्य नहीं होगा। -प्रवीण सिन्हा
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