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भोपाल में गत दिनों 'भारतीय चिन्तन, विकास और नीति निर्माण' विषय पर एक संगोष्ठी आयोजित हुई। त्रिदिवसीय इस संगोष्ठी में देशभर के अनेक विद्वानों ने अपने विचार रखे। संगोष्ठी के एक सत्र को सम्बोधित करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह श्री दत्तात्रेय होसबाले ने कहा कि दुनिया में कोई भी धर्मनिरपेक्ष नहीं हो सकता, सभी कहीं न कहीं धर्म सापेक्ष ही होते हैं।
समाज व्यवस्था में पिता-पुत्र, राजा-प्रजा, मां-बेटे सहित सभी का धर्म सुनिश्चित है, जैसे राजधर्म है प्रजाहित करना। बचपन से बच्चों को सिखाया जाता है कि विज्ञान और धर्म अलग-अलग हैं, जबकि भारत के संदर्भ में ऐसा नहीं कहा जा सकता। यहां जो अधिकांश धार्मिक मान्यताएं हैं वे धर्म-सम्मत हैं। हम दूसरे के चश्मे से दुनिया को और स्वयं को नहीं देख सकते। हमें भारत को भारतीय नजरिए से ही देखना होगा। विदेशी सोच और दृष्टि लेकर हम किसी समाधान तक नहीं पहुंच सकते हैं। गोष्ठी में चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ में राजनीति शास्त्र के प्राध्यापक संजीव शर्मा, उस्मानिया विश्वविद्यालय, हैदराबाद के प्रोफेसर गोपाल रेड्डी, पांडेचरी केंद्रीय विश्वविद्यालय में राजनीतिशास्त्र के प्रोफेसर एऩ के़ झा, प्रोफेसर सतीश सिंह, प्रोफेसर अमित ढोलकिया सहित अनेक विद्वानों ने भी अपने विचार रखे। – प्रतिनिधि
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