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अंक संदर्भ: 14 दिसम्बर,2014
आवरण कथा 'जकड़ी हुई जिंदगी' उस व्यथा की ओर इशारा कर रही है,जो दुनिया में हर जगह व्यथित है। भारत के अंदर हो या फिर बाहर हिन्दुओं के साथ जो व्यवहार हो रहा है वह आज किसी से भी छिपा नहीं है। हद तो तब हो जाती है जब भारत एवं पड़ोसी देशों में हिन्दुओं के साथ हो रहे बर्ताव पर सेकुलर दल और उनके तथाकथित नेता ऐसे चुप्पी साध जाते हैं, जैसे उनका मुंह सिल दिया गया हो। लेकिन जैसे ही हिन्दू को छोड़कर ईसाई या फिर मुसलमानों की बात आती है तो यही दल और नेता रुदन शुरू कर देते हैं। सवाल है कि क्या उन्हें हिन्दुओं के मानवाधिकार नहीं दिखाई देते? या फिर वे समाज के �
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