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उपलब्धि-विश्व की शक्तिशाली वैश्विक व्यवसायी
भारत से नाता-भारत -प्रारम्भिक संघर्ष ने देश के प्रति अटूट भाव जगाए रखा है
भविष्य का सपना-निरन्तर सीखते हुए कर्म में लीन रहकर श्रेष्ठ कार्य निष्पादन
सीखना यानी सफलता
तमिलनाडु के चेन्नै में 27 अक्तूबर, 1955 में जन्मी इन्द्रा नूयी की प्रारंभिक शिक्षा होली एंजिल्स एंग्लो इंडियन हायर सेकेण्ड्री स्कूल चेन्नै से हुई। 1974 में मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज से विज्ञान स्नातक की उपाधि प्राप्त की। इसके पश्चात् आईआईएम, कोलकाता से प्रबंधन में स्नातकोत्तर उपाधि ली। शुरू का जीवन संघर्षपूर्ण रहा। इसके बाद नूयी ने अमरीका के येल विश्वविद्यालय से प्रबंधन का अध्ययन किया। 1980 में स्नातक करने के बाद बोस्टन कन्सल्टिंग ग्रुप (बीसीजी) से जुड़ गईं। वर्ष 1986-90 में मोटोरोला कंपनी में उपाध्यक्ष रही और 1994 में पेप्सिको से जुड़ीं। 2001 में कम्पनी की अध्यक्ष और मुख्य कार्यकारी बनीं। वर्ष 2009 में फोर्ब्स सर्वेक्षण में विश्व की तीसरी सबसे शक्तिशाली महिला बनीं। 2014 में उनका वेतन 28.6 मिलियन डॉलर था। वे अमरीका की दूसरी सबसे बड़ी कम्पनी की महिला प्रमुख रहीं। 2001 में भारत सरकार ने उन्हें पद्मभूषण सम्मान प्रदान किया। यह भी संयोग है कि भारतीय मूल की पेप्सिको प्रमुख इन्द्रा नूयी की कम्पनी ने भारत में इतना लाभ अर्जित किया कि कम्पनी ने भारत को 'उच्च प्राथमिकता बाजार' की श्रेणी में रख दिया। पेप्सिको के सभी 8 ब्रांड उत्पादों-पेप्सी, 7 अप, मिरिंडा, स्लाइस, माउंटेन ड्यू, एक्वाफिन, लेज और कुरकुरे ने आकलित वार्षिक ब्रिक्री में 1,000 करोड़ से अधिक कमाए। प्रतिभा और सशक्त भूमिका ही ठोस मुकाम तक पहुंचाती है, यह नूयी ने सिद्ध किया। कठिन परिश्रम, लगन और क्षमता के बल पर उन्होंने स्वयं को शीर्ष पर पहुंचाया है। भारत में जॉनसन एण्ड जॉनसन में उत्पाद प्रबंधक के रूप में अपना कैरियर प्रारंभ किया। पेप्सिको में उन्होंने चाहे वित्तीय मामले हों, व्यूह रचना, व्यावसायिक संवर्द्धन प्रक्रिया अथवा नवोन्मेश के अभियान, सभी का नेतृत्व किया। सफलता के विषय में नूयी का मानना है कि सफलता का मूल मंत्र यह है कि आप सीखना कभी बन्द न करें। 2006 और 2007 में फोर्च्यून पत्रिका ने इन्हीं गुणों के कारण उन्हें विश्व की प्रथम शक्तिशाली व्यावसायिक महिला बनाया।
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