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दिल्ली के कॉन्स्टीट्यूशन क्लब में 24 दिसम्बर को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के चतुर्थ सरसंघचालक श्री रज्जू भैया के जीवन पर आधारित पुस्तक 'हमारे रज्जू भैया' का लोकार्पण सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवत ने किया। प्रभात प्रकाशन द्वारा प्रकाशित इस पुस्तक में संपादकद्वय श्री देवेन्द्र स्वरूप एवं श्री ब्रजकिशोर शर्मा ने रज्जू भैया के जीवन से जुड़ी महत्वपूर्ण कडि़यों और अपने संस्मरणों को संजोकर जीवंत बनाया है। इस अवसर पर पूर्व उप प्रधानमंत्री श्री लालकृष्ण आडवाणी एवं विश्व हिन्दू परिषद् के संरक्षक श्री अशोक सिंहल मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे।
समारोह को सम्बोधित करते हुए श्री मोहनराव भागवत ने कहा कि स्वयंसेवक से सरसंघचालक तक पहंुचे रज्जू भैया में कला-कुशलता के साथ-साथ मन की गहराई तक जाने का गुण विद्यमान था। रज्जू भैया सादगी का जीवंत उदाहरण थे। कभी रेलवे स्टेशन पर कोई उन्हें लेने नहीं पहंुचता था तो वे स्वयं ही अपना सामान उठाकर स्टेशन से बाहर निकल आते थे। श्री अशोक सिंहल ने कहा कि रज्जू भैया बचपन से ही मेधावी थे।
वे एक आदर्श शिक्षक थे और सरलता से अपनी बात छात्रों को समझाते थे। इस मौके पर श्री देवेन्द्र स्वरूप ने वर्ष 1946 में प्रयाग में श्री श्याम संुदर शर्मा और रज्जू भैया के संपर्क में आने का वर्णन कर बताया कि किस तरह से श्याम जी ने श्री ब्रजकिशोर शर्मा के साथ उनके पास जाकर इस पुस्तक को लिखने का आग्रह किया और फिर सभी के सहयोग से यह पुस्तक तैयार हो सकी। कार्यक्रम में केन्द्रीय मंत्री डॉ. हर्षवर्धन, श्री विष्णु हरि डालमिया और कई गणमान्यजन उपस्थित थे। ल्ल प्रतिनिधि
तिरोहित न हो हित का भाव
राजस्थान के श्रीगंगानगर में अखिल भारतीय साहित्य परिषद् के तत्वावधान में दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी 13 व 14 दिसम्बर को आयोजित हुई। इस संगोष्ठी में देशभर से 200 से अधिकसाहित्यकार पहुंचे। साहित्यकारों ने 'भारतीय साहित्य और कुटुम्ब' विषय पर विचार-विमर्श किया। उद्घाटन समारोह में मुख्य अतिथि महर्षि पाणिनि संस्कृत विश्वविद्यालय, उज्जैन के कुलपति प्रो. मिथिला प्रसाद त्रिपाठी ने कहा कि जो व्यक्ति का, समाज का, राष्ट्र का तथा विश्व का हित करे, वह साहित्य है। लेकिन यह मूल भाव आज साहित्य से तिरोहित हो गया है।
अखिल भारतीय साहित्य परिषद् के राष्ट्रीय संगठन मंत्री श्रीधर पराडकर ने कहा कि पिछले 50-60 वर्षों से भारतीय साहित्य की दिशा व वातावरण बदल दिया गया है। स्वामी ब्रह्मदेव ने कहा कि साहित्यकार सदैव समाजहित की चिन्ता करता है। उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता प्रो. त्रिभुवन नाथ शुक्ल ने की। समारोह में साहित्य परिषद् की ओर से प्रकाशित स्मारिका का लोकार्पण अतिथियों ने किया। ल्ल प्रतिनिधि
'अटल जी हम सबके आदर्श हैं'
'हम सबके आदरणीय और प्रेरक श्री अटल बिहारी वाजपेयी को भारतरत्न मिलने से मुझे अपार हर्ष हो रहा है। वे इसकी पात्रता कई कारणों से रखते हैं। अब तक के 14 प्रधानमंत्रियों के कार्यों की समीक्षा की जाए तो अटल जी का कार्यकाल उपलब्धियों से भरा रहा है। अन्य प्रधानमंत्रियों ने भी कई उपलब्धियां हासिल तो कीं, लेकिन उनके समय में राष्ट्र को भारी क्षति भी हुई। अटल जी के समय ऐसा कुछ भी नहीं हुआ।' ये विचार हैं वरिष्ठ भाजपा नेता श्री लालकृष्ण आडवाणी के। श्री आडवाणी 25 दिसम्बर को नई दिल्ली में अटल जी पर लिखी पुस्तक 'हमारे अटलजी' का लोकार्पण करने के बाद अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह अपने कार्यकाल में अटल जी को भारतरत्न देते तो इसमें उन्हीं का मान बढ़ता। 2008 में मैंने श्री मनमोहन सिंह को पत्र लिखकर मांग की थी कि अटल जी को भारतरत्न से विभूषित किया जाए। श्री आडवाणी ने यह भी कहा कि अटल जी से मैंने जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा ली और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से बहुत कुछ सीखा।
समारोह को भाजपा के संगठन महामंत्री श्री रामलाल ने सम्बोधित करते हुए कहा कि अटल जी अभाव और प्रभाव दोनों में प्रसन्नचित्त रहते थे, यही उनकी सबसे बड़ी विशेषता थी। पुस्तक के सम्पादक और राज्यसभा सदस्य श्री प्रभात झा ने कहा कि पुस्तक में अटल जी से जुड़े कुछ अनछुए पहलुओं को समाहित किया गया है। इस इस अवसर पर अटल जी की कविताओं पर आधारित अंग्रेजी पुस्तक 'सलेक्टिड पोयम्स' का भी लोकार्पण हुआ। इसमें अटल जी की कविताओं का अंग्रेजी अनुवाद प्रकाशित किया गया है। अनुवाद किया है लेखक श्री अरविन्द शाह ने।
– प्रतिनिधि
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