हिंदुत्व कहिए या भारतीयता कहिएल्ल
July 19, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • ऑपरेशन सिंदूर
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • जनजातीय नायक
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • ऑपरेशन सिंदूर
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • जनजातीय नायक
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

हिंदुत्व कहिए या भारतीयता कहिएल्ल

by
Dec 27, 2014, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

दिंनाक: 27 Dec 2014 13:47:09

प्रशांत बाजपेई
संत राबिया के बारे में प्रसिद्घ है कि एक दिन वह एक हाथ में आग और एक हाथ में पानी लेकर गलियों में दौड़ रही थी। जब लोगों ने उससे इसका कारण पूछा तो उसने कहा कि इस आग से मैं स्वर्ग को जला दूंगी और इस पानी से जहन्नुम की आग को ठंडा कर दूंगी ताकि लोग बिना किसी लालच और बिना किसी भय के ईश्वर को ईश्वर के लिए ही प्रेम करें। वास्तव में सच ऐसे ही खोजा जाता है। बिना किसी लालच के, बिना किसी डर के और सत्य से आंखें मिलाने के साहस के साथ। मतांतरण के मामले पर जिस प्रकार का कोहराम संसद में मचाया जा रहा है उसमें ईमानदारी का कतरा भी ढूंढ पाना मुश्किल जान पड़ता है। भारत में मतांतरण पर सार्वजनिक चर्चा का इतिहास स्वतंत्रता प्राप्ति के भी बहुत पीछे तक जाता है, और कई दशकों से ये मामले उठाए जा रहे हैं लेकिन तथाकथित सेकुलर दल अचानक नींद से जाग पड़े हैं। वे सिर्फ आगरा वाले मामले पर हुड़दंग करना चाहते हैं। मतांतरण पर कोई देशव्यापी कानून बने इसके भी वे खिलाफ हैं। और तो और महात्मा गांधी के नाम पर सत्ता के पायदान पर पहला कदम रखने वाली कांग्रेस भी गांधीजी के उन वक्तव्यों की ओर नजर तक नहीं डालना चाहती जिनमें उन्होंने ईसाई मिशनरियों के तथाकथित सेवा कायार्ें की कठोर आलोचना करते हुए हिन्दुओं को ईसाई बनाने के लिए बाहर से भेजे जा रहे अकूत धन को शैतान द्वारा भेजा गया पैसा कहा था। गांधीजी की आवाजें़ अनसुनी रह गईं।
विश्व के ईसाईकरण के लिए चर्च के द्वारा किए जा रहे वैश्विक प्रयासों पर लिखी गई किताब 'सैवन हंड्रेड प्लान्स टू इवैन्जलाइज़ दि वर्ल्ड : दि राईज़ ऑफ ग्लोबल इवैन्जेलाइज़ेशन मूवमंेट' में विस्तार से बताया गया है कि किस प्रकार सारी दुनिया में 2 लाख 62 हजार 3 सौ मिशनरी कार्यरत हैं। 41 लाख पूर्णकालिक कार्यकर्ता इसके लिए लगे हैं। 13 हजार विशाल पुस्तकालय काम कर रहे हैं। हर साल करोड़ों पुस्तकें छापी जा रही हैं। 1800 ईसाई टीवी और रेडियो स्टेशन दिन रात काम कर रहे हैं। वैश्विक ईसाइयत का सालाना बजट 145 बिलियन डॉलर है। भारत में शीर्ष 15 ईसाई मिशनरी हर साल सवा छ: अरब रुपए विदेशों से (एफ सी आर ए 2012 के अंतर्गत) प्राप्त कर रहे हैं । दूसरी ओर इस्लामी संस्थाओं के पास भी हिंदुओं को इस्लाम में दीक्षित करने के लिए पश्चिम एशिया से पैट्रो-डॉलर की अथाह संपदा भेजी जा रही है। लेकिन यह तय है कि अरबों रुपए इस्लाम में मतांतरण के लिए, लव जिहाद के लिए, मस्जिदों और मदरसों के निर्माण के लिए भारत में झोंके जा रहे हैं। दर्जनों इस्लामी संस्थाएं भी मतांतरण में लगी हुुई हैं। ये कारोबार इतना एकतरफा है कि साल दर साल, रेड़ के रेड़, गरीब, अनपढ़ और अबोध हिंदुओं के रीति रिवाजो, परंपराओं और पूजा पद्घति का नाश किया जा रहा है। लेकिन आगरा में कुछ मुट्ठीभर मुस्लिमांे की घर वापसी से मानो कयामत टूट पड़ी है। विडंबना ही है कि अपने सेवाकायार्ें के नाम पर लाखों लोगों को ईसाई बनाने वाली और अपने इस उद्देश्य को सार्वजनिक रूप से स्वीकार करने वाली मदर टेरेसा को पद्मश्री और भारत रत्न से सम्मानित किया जाता है लेकिन ''छल, कपट, भय अथवा लालच से जिन हिंदुओं का मतांतरण किया गया है उन्हें समझाबुझाकर वापस अपने पुरखों की परंपरा में लौटा लेना चाहिए'' जैसे बयान से 'सेकुलरिज़्म' की नींव हिलने लगती है। धर्मनिरपेक्षता के ढोंग का ही कमाल है कि मदर टेरेसा के व्यक्तित्व और कायोंर् के स्याह पक्ष को उजागर करने वाले कनाडा के सार्ज लैरीवी और जैनेवीब कैनार्ड के आरोपों पर कोई चर्चा नहीं होती लेकिन घर वापसी की बात करने वाले खलनायक बना दिए जाते हैं।
मतांतरण की चर्चा और भी व्यापक संदभार्ेंं में होनी चाहिए। आजादी मिलने के साथ ही भारत की धरती खंडित हो गई। एकता के नाम पर घर के कचरे को गलीचे के नीचे छिपाने की कवायद ही होती रही है। अशांति का मूल कारण अस्वीकार्यता है। सैमेटिक पंथों की ऐतिहासिक असहिष्णुता से नजरें चुराते हुए पकते हुए घाव पर पट्टी रखने की कोशिशें बंद गली के मुहाने तक पहुंच रही हैं। 'मेरा मज़हब, मेरा मसीहा और मेरी किताब ही एकमात्र सही' इस विभाजनकारी मानसिकता को दूर करने के लिए प्रयास करना तो दूर, विचार तक नहीं किया गया। इन सुलगते सवालों पर चर्चा क्यों नहीं हो सकती? 'आत्माओं की फसल काटने वालों' से क्यों नहीं पूछा जा सकता कि आपका ही रास्ता एकमात्र श्रेष्ठ कैसे है? तालिबान और इस्लामिक स्टेट जो कर रहे हैं उसका औचित्य वे कुरान और हदीस के आधार पर सिद्घ करते हैं। वहाबी भी जहर फैलाते घूम रहे हैं। मामला यदि व्याख्याओं का है तो सही व्याख्या कौन करेगा? भारत के मुस्लिम बच्चों को अबू-बकर अल बगदादी, मुल्ला उमर और मौलाना मौदूदी से कैसे बचाएंगे? यदि इस्लामिक देश तुर्की काल सुसंगतता के आधार पर हदीसों की कांट-छांट का काम शुरू कर सकता है तो भारत जैसे उदार देश में यह संभव क्यों नहीं है?
ध्यान रहे कि मिली-जुली संस्कृति के नाम पर दाराशिकोह और औरंगजेब को नहीं मिलाया जा सकता। अशफाक़ उल्ला खाँ और जिन्ना को एक नज़र से नहीं देखा जा सकता। औरंगजेब और गुरु तेगबहादुर में से किसी एक को ही चुना जा सकता है। यदि औरंगजेब के नाम पर सड़कें और अत्याचारी जेवियर के नाम पर शिक्षण संस्थाएं होंगी तो फरीद, राबिया और बुल्लेशाह के लिए कोई जगह नहीं बचेगी। महात्मा गांधी ने 1909 में हिन्द स्वराज लिखी जिसमें उन्होंने कहा कि मुस्लिमों का भारतीय समाज में समरस हो जाना ही हिन्दू-मुस्लिम प्रश्न का समाधान है। इस पुस्तक के लिखने के तीन दशक बाद जब उनसे इस विषय पर दोबारा पूछा गया तो उन्होंने कहा कि वे हलन्त, पूर्ण विराम सहित अपनी उस बात पर कायम है।
भारत में समरस समाज का सूत्र यही हो सकता है। हर भारतवासी तक इस भाव को पहुंचाने के लिए अथक प्रयास करने हांेगे। अब इसे हिंदुत्व कह लीजिए या भारतीयता कह लीजिए। गंगा जमुनी तहजीब का मुहावरा भी अक्सर कहा-सुना जाता है। उसका अर्थ भी यही होना चाहिए। और यदि ऐसा नहीं है तो कहना होगा कि सवेरा अभी दूर है। ल्ल

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

ज्ञान सभा 2025 : विकसित भारत हेतु शिक्षा पर राष्ट्रीय सम्मेलन, केरल के कालड़ी में होगा आयोजन

सीबी गंज थाना

बरेली: खेत को बना दिया कब्रिस्तान, जुम्मा शाह ने बिना अनुमति दफनाया नाती का शव, जमीन के मालिक ने की थाने में शिकायत

प्रतीकात्मक चित्र

छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ में सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में छह नक्सली ढेर

पन्हाला दुर्ग

‘छत्रपति’ की दुर्ग धरोहर : सशक्त स्वराज्य के छ सशक्त शिल्पकार

जहां कोई न पहुंचे, वहां पहुंचेगा ‘INS निस्तार’ : जहाज नहीं, समंदर में चलती-फिरती रेस्क्यू यूनिवर्सिटी

जमानत मिलते ही करने लगा तस्करी : अमृतसर में पाकिस्तानी हथियार तस्करी मॉड्यूल का पर्दाफाश

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

ज्ञान सभा 2025 : विकसित भारत हेतु शिक्षा पर राष्ट्रीय सम्मेलन, केरल के कालड़ी में होगा आयोजन

सीबी गंज थाना

बरेली: खेत को बना दिया कब्रिस्तान, जुम्मा शाह ने बिना अनुमति दफनाया नाती का शव, जमीन के मालिक ने की थाने में शिकायत

प्रतीकात्मक चित्र

छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ में सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में छह नक्सली ढेर

पन्हाला दुर्ग

‘छत्रपति’ की दुर्ग धरोहर : सशक्त स्वराज्य के छ सशक्त शिल्पकार

जहां कोई न पहुंचे, वहां पहुंचेगा ‘INS निस्तार’ : जहाज नहीं, समंदर में चलती-फिरती रेस्क्यू यूनिवर्सिटी

जमानत मिलते ही करने लगा तस्करी : अमृतसर में पाकिस्तानी हथियार तस्करी मॉड्यूल का पर्दाफाश

Pahalgam terror attack

घुसपैठियों पर जारी रहेगी कार्रवाई, बंगाल में गरजे PM मोदी, बोले- TMC सरकार में अस्पताल तक महिलाओं के लिए सुरक्षित नहीं

अमृतसर में BSF ने पकड़े 6 पाकिस्तानी ड्रोन, 2.34 किलो हेरोइन बरामद

भारतीय वैज्ञानिकों की सफलता : पश्चिमी घाट में लाइकेन की नई प्रजाति ‘Allographa effusosoredica’ की खोज

डोनाल्ड ट्रंप, राष्ट्रपति, अमेरिका

डोनाल्ड ट्रंप को नसों की बीमारी, अमेरिकी राष्ट्रपति के पैरों में आने लगी सूजन

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • जीवनशैली
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies