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सबसे कम खर्च में मंगलयान की सफलता का परचम लहराने के बाद अंतरिक्ष अभियान के क्षेत्र में भारत ने एक और कीर्तिमान स्थापित किया है। 18 दिसंबर की सुबह 9.30 बजे श्री हरिकोटा से भारत में बने सबसे बड़े रॉकेट जीएसएलवी मार्क-3 का सफल प्रक्षेपण किया गया। 'जिओ सिंक्रोनस लॉन्च व्हीकल' (जीएसएलवी) मार्क-3 की यह पहली परीक्षण उड़ान थी। प्रक्षेपण के पूरी तरह से सफल रहने की भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के अध्यक्ष राधाकृष्णन ने इस बात की पुष्टि की। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने इस सफलता के लिए इसरो के वैज्ञानिकों को बधाई दी।
मंगलयान के बाद अंतरिक्ष के क्षेत्र में यह भारत की दूसरी बड़ी सफलता है। इस सफलता के बाद भारत दुनिया के उन देशों की सूची में शामिल हो गया, जो अंतरिक्ष में बड़े उपग्रह भेजने की दक्षता रखते हैं। जीएसएलवी मार्क-3 को श्री हरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से प्रक्षेपित किया गया। इस रॉकेट का वजन 630 टन, ऊंचाई 42 मीटर है, जो कि 4 टन तक वजन ले जा सकता है। इस पर 160 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं। जीएसएलवी मार्क-3 रॉकेट के साथ मनुष्य को अंतरिक्ष में ले जाने वाले यान को भी प्रक्षेपित किया गया। इस यान का अभी परीक्षण किया जा रहा है। इस यान की क्षमता तीन लोगों को अंतरिक्ष में ले जाने की है। यह यान 125 किलोमीटर की ऊंचाई तक जाएगा और फिर पैराशूट के जरिए पृथ्वी पर बंगाल की खाड़ी में उतरेगा, जहां भारतीय जहाज इसे बाहर निकालने के लिए मौजूद रहेंगे।
जीएसएलवी मार्क-3 की सफलता से लाभ
इस रॉकेट को भारी संचार उपग्रह ले जाने की इसरो की स्वदेश निर्मित तकनीक को परखने के लिए बनाया गया है। इसकी सफलता से इसरो के मानव मिशन का रास्ता भी साफ हो जाएगा। अब तक के जो जीएसएलवी थे उनका वजन 400 टन हुआ करता था। 2002 से इस पर इसरो में कार्य चल रहा था। ये 2000 से 2500 किलोग्राम तक अंतरिक्ष में उपकरण भेजने की क्षमता रखते थे। जीएसएलवी मार्क-3 अंतरिक्ष में 5000 किलो वजनी उपग्रह को 36000 किलोमीटर दूर भेज सकता है। ल्ल प्रतिनिधि
कांग्रेस-राकांपा द्वारा किए गए भ्रष्टाचार पर महाराष्ट्र सरकार सख्त
महाराष्ट्र में नवगठित भाजपा की सरकार ने राज्य मंे पूर्व सरकार के मंत्रियों के भ्रष्टाचार के मामलों को गंभीरता से लेना शुरू कर दिया है। इससे कांग्रेस-राकांपा के शीर्ष नेताओं की फजीहत शुरू हो गई है। मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडनवीस की पहल पर राज्य के महाधिवक्ता सुनील मनोहर द्वारा मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ में दायर हलफनामे मंे राज्य के सिंचाई मंत्रालय में व्याप्त भ्रष्टाचार के मामलों को सार्वजनिक करने का निर्णय लिया गया है। इससे संबंधित पूर्व उप मुख्यमंत्री अजित पवार, पूर्व सिंचाई मंत्री सुनील तटकरे और सार्वजनिक निर्माण मंत्री छगन भुजबल को न्यायालय की कार्यवाही के साथ-साथ सार्वजनिक जांच का भी सामना करना पड़ेगा। राज्य सरकार द्वारा आधिकारिक तौर पर दिए गए विवरण के अनुसार पिछले 10 वर्षों में राज्य के सिंचाई विभाग द्वारा आवंटित ठेक ों के मामले में राज्य कोष की 70 हजार करोड़ रुपये में से आधी राशि भ्रष्टाचार के तरीकों में खर्च कर दी गई। यहां तक कि दिल्ली में निर्मित महाराष्ट्र भवन के निर्माण में छगन भुजबल ने अपने बेटे और भतीजे की कंपनियों को सांठगांठ के चलते कार्य दिलवा दिया। अजित पवार ने 2009 में सिंचाई परियोजनाओं के लिए सभी नियमों को ताक पर रखते हुए 20 हजार करोड़ रुपये मंजूर करने के अलावा 60 हजार करोड़ रुपया विदर्भ सिंचाई परियोजनाओं के लिए मंजूर कर दिया था। पवार के दिखाए रास्ते पर ही आगे चलते हुए सुनील तटकरे ने वर्ष 2009 से 2014 के बीच अपने निर्वाचन क्षेत्र रायगढ़ में एक परियोजना हेतु 50 करोड़ की राशि मंजूर की थी। इसे आगे बढ़ाकर 160 करोड़ रुपए कर दिया गया था। प्रतिनिधि
मतांतरण के लिए कांग्रेस ही जिम्मेदार : माजरा
संसद में कार्यवाही के दौरान गत 17 दिसम्बर को मतांतरण पर चर्चा की शुरुआत करने वाली कांग्रेस पार्टी सिख दंगों पर खुद ही फंस गई। अकाली दल ने सिख दंगा मामले पर कांग्रे्रस की भूमिका पर सवाल उठाते हुए यहां तक कहा कि मतांतरण के लिए कांग्रेस ही सबसे ज्यादा जिम्मेदार है। अकाली दल के सांसद चंदू माजरा ने गुरुतेग बहादुर का स्मरण कर धर्म परिवर्तन पर अपना पक्ष रखा। इस क्रम में उन्होंने धर्म परिवर्तन के विरुद्ध आवाज उठाने वाले गुरु गोविंद सिंह के बेटों के युद्ध और बलिदान का वर्णन किया। उन्होंने कांग्रेसी सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया द्वारा पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी के राजधर्म का जिक्र करने पर कांग्रेस को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि कांग्रेसियों को दूसरों के बजाय अपने नेताओं की बात करनी चाहिए।
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