आवरण कथा - पाकिस्तान
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आवरण कथा – पाकिस्तान

by
Dec 8, 2014, 12:00 am IST
in Archive
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दिंनाक: 08 Dec 2014 13:05:44

गत तीन वर्ष में पाकिस्तान में हिन्दुओं और ईसाइयों की लगभग 1000 लड़कियों को जबरन इस्लाम कबूल कराया गया है। इनमें 700 ईसाई और 300 हिन्दू लड़कियां थीं।
ल्ल पाकिस्तान में पीढ़ी दर पीढ़ी हिन्दुओं से गुलामी करवाई जा रही है। उनके साथ जानवरों से भी बुरा बर्ताव किया जाता है। पशुओं को तो गले में रस्सी बांधकर रखा जाता है, लेकिन गुलाम हिन्दुओं को बेडि़यों से जकड़कर रखा जाता है। जब उनसे कोई काम लेना होता है तब उन्हें खोला जाता है।
खाड़ी के देश
ल्ल खाड़ी के देशों में 40 से 60 लाख भारतीय काम करते र्है। इनमें 60 प्रतिशत हिन्दू और 40 प्रतिशत मुसलमान हैं।
ल्ल खाड़ी के देशों में किसी हिन्दू की मौत हो जाती है तो वहां उसका अन्तिम संस्कार भी नहीं हो सकता है। इस समय लगभग 1000 श्रमिकों के शव विभिन्न शव गृहों में पड़े हुए हैं। इनके परिजनों के पास इतने पैसे नहीं हैं कि वे इन शवों को भारत ला सकें।
ल्ल सऊदी अरब में कोई हिन्दू अपने पास किसी देवी-देवता का चित्र भी नहीं रख सकता है।
बंगलादेश
ल्ल 5 वर्ष में बंगलादेश में 300 से अधिक मन्दिरों को या तो आग के हवाले किया गया है या फिर ढहा दिया गया है। विभिन्न पुलिस थानों में दर्ज आंकड़ों के अनुसार एक वर्ष में 240 हिन्दू महिलाओं और लड़कियों की हत्या की गई है। करीब 450 हिन्दू महिलाओं के साथ बलात्कार हुआ है।
मलेशिया
ल्ल करीब 30 वर्ष पहले वहां की सरकारी नौकरियों में हिन्दुओं की भागीदारी 20 से 25 प्रतिशत थी। अब केवल 5 से 6 प्रतिशत हिन्दू ही सरकारी नौकरी में हैं। कुछ समय पहले एक नियम बनाया गया है , जिसके अनुसार सरकारी नौकरियों में हिन्दुओं की भर्ती बंद हो गई है।
अफगानिस्तान
ल्ल तालिबान के उभरने से पहले अफगानिस्तान में लगभग 2,00000 हिन्दू और सिख थे। वहां की अर्थव्यवस्था में इन दोनों समुदायों की अच्छी पकड़ थी। अब वहां भारतीय दूतावास में काम करने वाले ही हिन्दू हैं।
भूटान
ल्ल भूटान में 15 वर्ष पहले लगभग 1,50,000 हिन्दू थे। भूटान का हर छठा आदमी हिन्दू था, लेकिन अब वहां भी हिन्दू नाम मात्र के रह गए हैं। कुछ वर्ष पहले वहां के हिन्दुओं को निष्कासित का दिया गया है। अब वे हिन्दू नेपाल में शरणार्थी शिविरों में रह रहे हैं। इनमें से 1,20,000 हिन्दुओं को संयुक्त राष्ट्र संघ ने शरणार्थी का दर्जा दिया है।

रूमा को भी न्याय नहीं मिला
बंगलादेश की हिन्दू लड़की रूमा रानी दास को अभी तक न्याय नहीं मिला है। 15 वर्षीया रूमा 1 अक्तूबर, 2011 को वोलावो गांव (जिला-नारायणगंज) में अपने घर पर थी। उसी समय गांव के तीन लड़के दलीम, रफीकुल इस्लाम और शमीम आए। इन तीनों ने रूमा के साथ बलात्कार किया और अन्त में उसकी हत्या कर दी थी। रूमा के परिजन आज तक न्याय के लिए भटक रहे हैं।

पाकिस्तान में फरवरी, 2012 में मुसलमान बनने के लिए मजबूर की गई 19 वर्षीया हिन्दू लड़की रिंकल कुमारी ने 26 मार्च को वहां की एक अदालत में कहा था,'पाकिस्तान में सब लोग एक-दूसरे के साथ मिले हुए हैं। यहां इ़साफ सिर्फ मुसलमान के लिए है। हिन्दू के लिए कोई इंसाफ नहीं है। मुझे यहीं कोर्ट रूम में मार डालो, लेकिन दारूल-अमन मत भेजो, ये सब लोग मिले हुए हैं, ये हमें मार देंगे।' रिंकल के इस बयान से पाकिस्तान में हिन्दुओं की क्या स्थिति है, उसका अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है। रिंकल अब 'फरियाल' के नाम से जानी जाती है। वह इन दिनों जबर्दस्ती के अपने शौहर नवीद शाह के साथ रहने को मजबूर है। रिंकल का मामला अमरीका तक पहंुचा था। अमरीकी सांसद ब्रेड शरमन ने पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी को पत्र लिखकर कहा था कि सिंध में हिन्दुओं के दमन को रोकने के लिए जरूरी कदम उठाएं। लेकिन दुर्भाग्य से न तो भारत सरकार ने रिंकल को न्याय दिलाने की बात कही और न ही अन्य किसी नेता ने।

बंगलादेश की हकीकत 'लज्जा' में

बंगलादेश में हिन्दुओं के मानावाधिकारों का क्या हाल है, यह बताने के लिए प्रसिद्ध बंगलादेशी लेखिका तस्लीमा नसरीन का उपन्यास 'लज्जा' काफी है। इसमें 1992 में बंगलादेश में हुए साम्प्रदायिक दंगों के दौरान एक हिन्दू परिवार दत्ता के संघर्षों की कहानी बताई गई है। लेखिका ने बड़े ही साफ शब्दों में लिखा है कि अयोध्या में बाबरी ढांचे के विध्वंस के बाद बंगलादेश के मुसलमान वहां के हिन्दुओं पर टूट पड़े। सैकड़ों मन्दिर ढहा दिए गए और हजारों लाशें बिछा दी गईं। बंगलादेश के कट्टरवादियों ने इस उपन्यास का जमकर विरोध किया था। वह विरोध अभी भी जारी है। कट्टरवादी तस्लीमा की जान के प्यासे हैं। जान बचाने के लिए तस्लीमा को बंगलादेश छोड़ना पड़ा है। कई वर्ष तक यूरोप में रहने के बाद वह इन दिनों भारत में रह रही हैं।

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