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सर्वोच्च न्यायालय ने केरल के पथनमथिट्टा जिले में अरनमुला गांव में हवाईअड्डा बनाने वाले समूह की याचिका पर सुनवाई करने से मना कर दिया। केरल की यूडीएफ सरकार और वहां के तमाम वामपंथी दल हवाईअड्डा बनाए जाने के पक्ष में थे। इसके लिए तमाम नियमों को अनदेखा कर भूमि भी आवंटित कर दी गई थी लेकिन हिन्दू संगठनों ने इसके लिए आंदोलन किया जिसके फलस्वरूप नेशनल ग्रीन ट्राइब्यूनल (एनजीटी)ने निर्माण कार्य पर रोक लगा दी। इसी के खिलाफ हवाईअड्डे का निर्माण करने वाले केजीएस समूह ने सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी।
अरनमुला पथनमथिट्टा जिले में पवित्र नदी पम्पा के किनारे बसा हुआ एक सुंदर गांव हैं। यूनिसेफ ने इस गांव को एक वैश्विक धरोहर घोषित किया हुआ है। गांव में स्थित पार्थसारथी मंदिर केरल की संस्कृति व कला का अद्भुत उदाहरण है। यह गांव पिछले कई वर्षों से चर्चा में रहा है। दरअसल चेन्नै स्थित केजीएस समूह ने अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डा बनाने के लिए इस गांव में 700 एकड़ जमीन ली थी। केरल की तत्कालीन वामपंथी सरकार और तमाम वामपंथी दल केजीएस समूह के साथ थे। जबकि हिन्दू संगठन और पर्यावरणविद, प्रकृति प्रेमी और आसपास के सभी लोग इस ऐतिहासिक गांव में हवाई अड्डा बनाए जाने को लेकर इसका विरोध कर रहे थे। हैरानी की बात यह है कि पूर्व में रही वामपंथी अच्युतानंद और वर्तमान ओमान चांडी सरकार दोनों 10 प्रतिशत मुनाफा दिए जाने की शर्त पर इस परियोजना के लिए तैयार हो गई। केजीएस समूह के इस काम में भूमाफिया भी उसे सहयोग दे रहा था। यह सब होने के बाद हिन्दू संगठनों ने इसका विरोध करते हुए गांव की संस्कृति को बचाने के लिए आंदोलन छेड़ दिया।
'अरनमुला हैरीटेज विलेज एक्शन काउंसिल' (एएचवीएसी) के बैनर के साथ मिलकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक कुम्मनम राजशेखरन के नेतृत्व में विभिन्न हिन्दू संगठनों ने परियोजना के खिलाफ आवाज उठाई। यहां पर प्रस्तावित अंतरराष्ट्रीय हवाई-अड्डा न केवल प्रसिद्ध पार्थसारथी मंदिर के निकट था, बल्कि इसके बनने से पम्पा तट के जंगलों पर भी प्रभाव पड़ना तय था। इससे पर्यावरण की स्थिति बिगड़ जाती।
अरनमुला अपनी शिल्पकला के लिए पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। इसके अलावा यहां सैकड़ों मंदिर और प्राकृतिक छटा बिखेरती पहाडि़यां हैं। इस परियोजना को लेकर आरोप थे कि उसके लिए भूमि नियमोंं को ताक पर रखकर आवंटित की गई। केरल सरकार यह भी आरोप लगा है कि उसने हवाईअड्डे के खिलाफ विधायी समिति की रपट को नहीं माना और पर्यावरण एवं वन मंत्रालय से अनुमति लेने के लिए गलत तथ्य दिए। साथ ही केरल के मुख्यमंत्री ओमन चांडी ने केंद्र की पूर्व कांग्रेस सरकार में पर्यावरण एवं वन मंत्रालय मंत्री रहीं जयंती नटराजन को पत्र लिखकर इस परियोजना को स्वीकृति देने के लिए दबाव डाला था। सालिम अली फाउंडेशन ने अपनी रपट में दावा किया था कि यदि इस हवाईअड्डे का निर्माण किया जाता है तो इसका प्रभाव यहां के पूरे पारिस्थितिक तंत्र पर पड़ेगा, 400 एकड़ उपजाऊ भूमि खराब हो गई जाएगी और करीब 3500 एकड़ अन्य भूमि का पर इस प्रभाव पड़ेगा। इस क्षेत्र में विभिन्न वनस्पतियों और पेड़-पौधों की करीब 212 प्रजातियां पाई जाती हैं जो नष्ट हो जाएंगी। इसके अलावा पक्षियों की कई प्रजातियों के लिए यह खतरा बन जाएगा।
श्री कुम्मनम राजशेखरन ने एनजीटी के समक्ष इस संबंध में याचिका दायर की थी, जिसमें इंगित किया गया था कि इस पूरी परियोजना में पर्यावरण पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों का ध्यान नहीं रखा गया है। इसके बाद एनजीटी ने इस पर रोक लगा दी थी। उसने इस जगह पर किसी भी प्रकार के निर्माण अनुमति देने से मना कर दिया। इस संबंध में केजीएस समूह की तरफ से गत 20 नवंबर को एनजीटी के फैसले के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की गई। सर्वोच्च न्यायालय ने यह कहते हुए याचिका पर गौर करने से इंकार कर दिया था कि यहां पर हवाई अड्डे का निर्माण होने से पारिस्थितिक तंत्र पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा। श्री राजशेखरन ने इसे सच्चाई की जीत बताया है। -प्रदीप कृष्णन
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