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Nov 29, 2014, 12:00 am IST
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हिन्दू धर्म मानवता मर्म

दिंनाक: 29 Nov 2014 13:47:19

राजधानी नई दिल्ली में 21 से 23 नवम्बर तक आयोजित तीन दिवसीय विश्व हिन्दू कांग्रेस एक ऐसा अवसर था जब दुनिया में विभिन्न क्षेत्रों में हिन्दुत्व के बढ़ते प्रभाव का साक्षात् दर्शन हुआ। इस आयोजन ने आतंकवाद और मजहबी उन्माद से त्रस्त विश्व को उस हिन्दू विचार से परिचित कराया जो इन व्याधियों से राहत दिला सकता है। इसका मंत्र था- 'संगच्छध्वं संवदध्वं'। उद्देश्य था आध्यात्मिक एवं भौतिक विरासत के पुनरोत्थान के लिए एकाग्रता से काम करने की जरूरत को रेखांकित करना और विभिन्न चुनौतियों के संदर्भ में विचार-विमर्श और सूत्रबद्घ तरीके से समाधान तैयार करना। विशिष्टजन यथा सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवत, परम पावन दलाई लामा, श्री अशोक सिंहल और श्री भैया जी जोशी सहित दुनिया भर से हिन्दुत्व की साधना में रत अनेक विद्वज्जन की उपस्थिति ने आयोजन को गरिमामय बना दिया। कांग्रेस के दौरान विश्व हिन्दू आर्थिक मंच द्वारा हिन्दू आर्थिक सम्मेलन, हिंदू शिक्षा बोर्ड द्वारा हिंदू शैक्षिक सम्मेलन, हिंदू छात्र-युवा नेटवर्क द्वारा हिन्दू युवा सम्मेलन, हिन्दू मीडिया मंच द्वारा हिन्दू मीडिया सम्मेलन, हिन्दू महिला मंच द्वारा हिन्दू महिला सम्मेलन, हिन्दू संगठन, मंदिरों और संघों द्वारा हिन्दू संगठनात्मक सम्मेलन और विश्व हिन्दू लोकतात्रिंक मंच द्वारा हिंदू राजनीतिक सम्मेलन का आयोजन किया गया। प्रस्तुत है विश्व हिन्दू कांग्रेस की विशेष रपट।

अनिल सौमित्र

21 नवम्बर की सुबह अशोक होटल में वर्ल्ड हिन्दू कांग्रेस का शुभारम्भ रा.स्व.संघ के सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवत ने किया। इस सत्र में पूज्य दलाई लामा और विश्व हिन्दू परिषद् के संरक्षक श्री अशोक सिंहल विशेष रूप से उपस्थित थे। प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए श्री भागवत ने कहा कि आने वाले वक्त में भारत को दुनिया का नेतृत्व करने का अवसर मिलेगा। परंपरा से समस्त संसार को मानवता का पाठ पढ़ाने का दायित्व भारत का रहा है, जिसकी आवश्यकता संसार को सदा रही है और रहेगी। दुनिया को संतुलन न तो जड़वादी एवं कोरे पांथिक विचारों से मिला, न ही पूर्ण समाजवादी या पूर्ण व्यक्तिवादी विचार से मिला। इसलिये संपूर्ण दुनिया के चिंतक 2000 वर्ष तक प्रयोग करने के बाद थक कर किसी तीसरे पक्ष की प्रतीक्षा कर रहे हैं। वे सोच रहे हैं कि यह समाधान अब सिर्फ हिन्दू ज्ञान एवं परम्परा में ही मिलेगा। उन्होंने कहा कि आज हिन्दुओं को संगठित करने का सही समय आ गया है। दुनियाभर के हिन्दुओं को संगठित करने का जो यह प्रयास किया गया है वह बड़ा ही सराहनीय है। दुनिया में आज जितनी भी समस्याएं हैं, उन समस्याओं से बाहर निकलने का एकमात्र मार्ग सिर्फ हिन्दू दर्शन में ही सन्निहित है। इसलिए हिन्दू समाज को आज तैयार रहना होगा, क्योंकि आने वाले दिनों में कई क्षेत्रों में दुनिया का नेतृत्व करने का अवसर उसे प्राप्त होगा। उन्होंने कहा कि जहां तक उपयुक्त समय की बात है तो समय को तो पकड़ना पड़ता है। हां, यह हो सकता है कि आपके कार्य में कई समस्याएं आएं क्योंकि जीवन में समस्या रहना स्वाभाविक बात है। अच्छी-बुरी स्थिति का धूप-छांव का खेल तो चलता रहेगा, लेकिन इन सब के बीच भी हम अपना कार्य सुचारू रूप से करते रहें, क्योंकि किसी काम का कोई उपयुक्त समय नहीं होता। उपयुक्त समय वही है जब हम काम शुरू कर दें। श्री भागवत ने आगे कहा कि दया और मानवता की आवश्यकता तो संसार को सदा थी, सदा है, सदा रहेगी और उसकी पूर्ति का काम हिन्दू समाज को करना है। एक समाज, एक राष्ट्र के नाते भारत के अस्तित्व का यही प्रयोजन है।
सत्र में विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित विश्व हिन्दू परिषद के संरक्षक श्री अशोक सिंहल ने अजेय हिन्दू निर्माण के विश्व हिन्दू परिषद के संकल्प पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा कि भारत को 15 अगस्त, 1947 को स्वतंत्रता प्राप्त हुई, उस दिन महर्षि अरविंद का जन्मदिन था। महर्षि अरविंद ने कहा था कि यह केवल राजनीतिक स्वतंत्रता प्राप्त हुई है। अपनी धार्मिक, सांस्कृतिक स्वाधीनता के लिये स्वतंत्रता आंदोलन से भी बड़ा संघर्ष करना पड़ेगा। विहिप उसी दिशा में गोरक्षा, गंगा, एकल विद्यालय और श्री राम जन्मभूमि आंदोलन के माध्यम से अजेय हिन्दू शक्ति के निर्माण में सतत् जुटी है। उन्होंने सगर्व कहा कि पृथ्वीराज चौहान के 800 वर्ष बाद आज स्वाभिमानी हिन्दुओं के हाथ में सत्ता आई है। हिन्दू शक्ति ने संसार में कभी हिंसक रूप नहीं लिया और न कभी लेगी।
इस अवसर पर प्रमुख अतिथि के रूप में उपस्थित परम पावन दलाई लामा ने कहा कि हिन्दू और बौद्ध आध्यात्मिक दृष्टि से भाई-भाई हैं। जिन मूल्यों पर पूरे विश्व को चलना चाहिए, वे प्राचीन मूल्य हिन्दुत्व में हैं और वह पूर्ण रूप से शांति का संदेश देने में सक्षम हैं। उन्होंने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि दुर्भाग्य से, आज भारत में एक बड़े वर्ग की भी सोच पश्चिमी हो गई है। भारत को जरूरत है कि वह अपने प्राचीन ज्ञान को संरक्षित करे ताकि वह आने वाले समय में वह काम में आ सके।
विश्व हिन्दू परिषद के संयुक्त महासचिव स्वामी विज्ञानानंद ने विश्व हिन्दू कांग्रेस के आयोजन की आवश्यकता पर विस्तार से प्रकाश डाला। उत्तरी प्रांत, श्रीलंका के मुख्यमंत्री श्री सी.वी. विघ्नेश्वरन ने भी भारत के आध्यात्मिक ज्ञान को विश्व भर में फैलाने पर जोर दिया।
सम्मेलन में विभिन्न वक्ताओं ने दुनिया के विभिन्न भागों में हिंदुओं के उत्पीड़न के खिलाफ एकजुट होकर आवाज उठाने की बात कही और इस संबंध में एक निर्णय लिया गया। इसके लिए अगले वर्ष हेग में 'ग्लोबल हिंदू ह्यूमन राइट कांफ्रंेस' का आयोजन होगा। साथ ही हिंदू उद्योगपतियों को एकजुट करने और युवाओं में उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए हर साल 'ग्लोबल हिंदू इकोनॉमिक फोरम' का आयोजन किया जाएगा। चार साल बाद अगली विश्व हिंदू कांग्रेस अमरीका में और विश्व हिन्दू आर्थिक मंच का आयोजन लन्दन में होगा।
कांग्रेस में दुनियाभर से आये सैकड़ों प्रतिनिधियों ने तीन दिन विश्व में हिन्दुओं की स्थिति और उनकी बेहतरी के उपायों पर गंभीर चर्चा की। प्रतिनिधियों ने चिंता जाहिर की कि किस तरह मलेशिया, इंडोनेशिया और श्रीलंका में हिंदुओं के साथ भेदभाव हो रहा है। वहीं पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बंगलादेश से आए प्रतिनिधियों ने उत्पीड़न और दमन की करुण गाथाएं सुनाईं। अनेक प्रतिनिधियों, खासकर युवाओं और महिलाओं की ओर से आवाज उठी कि ईसाइयों और मुसलमानों के साथ उत्पीड़न होने पर पूरी दुनिया में हंगामा होता है और मीडिया में भी उसे बढ़ा-चढ़ा कर बताया जाता है, लेकिन अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बंगलादेश में हिंदुओं के उत्पीड़न की चर्चा तक नहीं होती है। सम्मेलन में हिंदुओं के मानवाधिकारों की रक्षा के लिए प्रयास करने का निर्णय लिया गया। इसके लिए अमरीका और हेग सम्मेलनों में दबाव समूह तैयार किया जाएगा।
कांग्रेस में विशेष सत्र के दौरान हिंदू युवाओं में उद्यमिता बढ़ाने के लिए विशेष प्रयास करने पर बल दिया गया। कुछ प्रतिनिधियों ने इसके लिए हिंदू वर्ल्ड बैंक बनाने का सुझाव भी दिया, जबकि कई लोगों ने हिंदू उद्यमियों के लिए अलग से हिंदू उद्योग चैंबर बनाने की मांग भी उठाई। शिक्षा सत्र में हिंदुओं को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराने की जरूरत जताई गई। अशिक्षा और निरक्षरता को हिन्दुओं की गरीबी की मूल वजह बताते हुए आधुनिक शिक्षा के साथ-साथ उसमें हिंदू मूल्यों को भी शामिल करने पर बल दिया गया। इसके लिए अलग से 'हिंदू एजुकेशन बोर्ड' के गठन की घोषणा की गई। यह सहमति बनी कि शिक्षा के क्षेत्र में आगे के प्रयासों में बोर्ड अहम भूमिका अदा करेगा।
एक अन्य सत्र में केन्द्रीय वाणिज्य राज्यमंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि 'हिन्दू विकास दर' के नाम पर हिन्दुओं की कार्य क्षमता का मजाक उड़ाया जाता रहा है, परंतु अब पूरा विश्व विकास के लिए उन्हीं हिन्दुओं की ओर निहार रहा है। भारत में तीन से चार फीसद की विकास दर को साठ के दशक से ही दुनिया भर के अर्थशास्त्री हिन्दू विकास दर के रूप में परिभाषित करते रहे हैं।
विश्व हिन्दू कांग्रेस में दुनिया भर से जुटे अधिकांश हिन्दू पेशेवरों और व्यवसायियों का मानना था कि हिन्दू उद्यमिता कभी सरकार की मोहताज नहीं रही। आजादी के बाद एक के बाद एक आईं सरकारों ने इसकी धार को कुंद किया है। यदि सरकार की बाधा हट जाए तो भारतीय अर्थव्यवस्था को आठ फीसद की सतत् विकास दर हासिल करने से कोई नहीं रोक सकता है। सौभाग्य से नई दिल्ली में पहली बार ऐसी सरकार आई है जो उद्यमिता में बाधक नहीं बल्कि साधक है। हिन्दू कांग्रेस में पचास से अधिक देशों से आए हिन्दू संगठनों, नेताओं, महिलाओं एवं मीडिया विशेषज्ञों ने जहां हिन्दू युवाओं से हिन्दुत्व के पुनरुत्थान के लिए आगे आने और नेतृत्व की जिम्मेदारी संभालने का आह्वान किया, वहीं आर्थिक विशेषज्ञों ने देश के विकास में बाधक तत्वों एवं इसे नई ऊंचाइयों तक ले जाने के लिए आवश्यक घटकों पर विचार-विमर्श किया। सभी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के 'मेक इन इंडिया' अभियान को सही कदम बताया।
अर्थशास्त्री बिबेक देबराय का कहना था कि 1960 से 1970 के दशक में भारत ने अवसर खोया। उस दौरान गैरजरूरी सरकारी दखल के कारण लोगों को अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, जबकि सरकार के कठोर रवैये के कारण 2004 के बाद विकास लगभग अवरुद्घ ही हो गया। देबराय के अनुसार यदि महाभारत और कौटिल्य को पढ़ें तो पता चलता है कि हिन्दू उद्यमी कभी भी सरकार पर निर्भर नहीं रहे। यदि यह सुनिश्चित हो कि सरकार का दखल नहीं होगा तो भारतीय अर्थव्यवस्था शानदार प्रदर्शन कर सकती है। सम्मेलन में दुनियाभर में युवा हिन्दू उद्यमियों को तैयार करने, उनके लिए पूंजी का इंतजाम करने के अलावा सोशल मीडिया, मीडिया और मनोरंजन उद्योग में पैठ के जरिये विरोधी समाजों से संपर्क बढ़ाकर हिन्दुत्व को मजबूत करने की आवश्यकता पर बल दिया गया।
इस तीन दिवसीय पहली विश्व हिन्दू कांग्रेस का समापन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह श्री भैयाजी जोशी के इस आह्वान के साथ हुआ कि भारत की सभ्यता और संस्कृति को विश्वभर में सुरक्षित रखते हुए सारे विश्व के समक्ष अपनी पहचान बनाये रखने की चुनौती का डटकर मुकाबला किया जाये। सरकार्यवाह ने विश्वास व्यक्त किया कि संसार के कोने-कोने से भारत की राजधानी नई दिल्ली में आये प्रतिनिधियों के माध्यम से सारा विश्व हिन्दुत्व को समझेगा और वह हिन्दुत्व के साथ खड़ा होगा। उन्होंने कहा कि हमारी पहचान सभ्यता एवं संस्कृति- इन दो शब्दों से होती है, इसलिये आज अगर कोई चुनौती है तो यह कि इस सभ्यता और संस्कृति को सुरक्षित रखते हुए सारे विश्व के सामने हम अपनी पहचान कैसे बनाये रखें। हमने विश्व को एक संदेश दिया है-दुर्बलों की रक्षा करना। ऐसे दुर्बलों की रक्षा करने के लिये हिन्दू समाज है। केवल दुर्बलों की रक्षा ही नहीं, प्रकृति की रक्षा भी सारे विश्व को भारत का संदेश है। प्रकृति को बचाकर रखना है। पूरी दुनिया में अगर कोई चुनौती है, कोई प्रश्न है तो यही है कि शेष विश्व शांति के मार्ग पर कैसे चलेगा।
भैयाजी ने कहा कि अगर कुछ संकट है तो वह यही है कि दुनिया भर में अपनी पहचान को सुरक्षित कैसे रखा जाये। उन्होंने हिन्दू कांग्रेस में भाग लेने वाले प्रतिनिधियों का हिन्दू समाज का प्रतिनिधि बताते हुए पशुता की ओर बढ़ती विश्व-प्रवृत्ति को मानवता का और संकीर्णता के बजाय उदार व व्यापक हिंन्दू विचार का संदेश पूरे विश्व को देने का आह्वान किया, क्योंकि यही विश्व शांति और कल्याण का रास्ता है।
भैयाजी ने पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी की एक कविता की यह पंक्ति उद्धृत की- 'कभी एक थे, हम हुए आज इतने, नहीं तब डरे थे तो अब क्या डरेंगे। वंदन करते हैं भविष्य का, वर्तमान है अपना,' और कहा, इस देश की और हिन्दू समाज की स्थिति को बदलने के लिये ही यह काम शुरू हुआ है। उन्होंने आगे कहा, हिन्दू समाज का सतत् उन्नयन ही इसकी नियति है, यही इसके भाग्य में है।
समापन सत्र में विश्व हिन्दू परिषद के अंतरराष्ट्रीय कार्याध्यक्ष डॉ. प्रवीण भाई तोगडि़या ने कहा कि शिक्षा, चिकित्सा और बिछड़े बंधुओं को पुन: अपने साथ लाने के काम पर ध्यान केन्द्रित करना समय की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि न केवल भारत में बल्कि सारी दुनिया में बहुत बड़ी संख्या में हिंदुओं को भय, लालच और दबाव में ईसाई और इस्लाम मजहब में मतांतरित किया गया है। परिषद ऐसी कार्य योजना बना रही है जिससे हर कस्बे और नगर में हिंदुओं को पूरी सुरक्षा हासिल हो।
इस हिन्दू कांग्रेस में कुल 45 सत्र हुए, जिसमें 200 से अधिक वक्ताओं ने अपने विचार साझा किये। सम्मेलन को केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री श्रीमती स्मृति ईरानी, प्रख्यात वैज्ञानिक जी. माधवन नायर, डॉ. विजय भाटकर, शिक्षाविद् प्रो. एस. बी. मजूमदार, फिल्म निर्माता प्रियदर्शन के अतिरिक्त विश्व हिन्दू परिषद के अध्यक्ष श्री राघव रेड्डी, रा.स्व.संघ के सह सरकार्यवाह श्री दत्तात्रेय होसबाले, सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी श्रीमती किरण बेदी, के. पी. एस. गिल, वरिष्ठ पत्रकार एम. डी. नालापाट, टी.वी. 18 समूह के अध्यक्ष उमेश उपाध्याय आदि ने भी संबोधित किया।

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