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कनार्टक के शिमोगा जिले में स्थित तीर्थहल्ली पवित्र स्थल प्राचीनकाल से प्रसिद्ध है, जहां महिलाओं के प्रति विशेष सम्मान रखा जाता है। इस जगह पर नि:संतान लोग संतान पाने की मनौती लेकर भी जाते हैं, लेकिन गत एक नवम्बर को यह शहर एक वीभत्स घटना का गवाह बन गया। तीर्थहल्ली में एक हिन्दू नाबालिग बच्ची से तीन मुसलमानों ने सामूहिक बलात्कार किया, बच्ची ने उपचार के दौरान दम तोड़ दिया।
जानकारी के मुताबिक गत 29 अक्तूबर को 14 वर्षीय बच्ची स्कूल जाने के लिए घर के निकट स्टैण्ड पर बस का इंतजार कर रही थी। इसी बीच उसे अकेला पाकर तीन मुसलमान युवक वहां पहंुचे और बच्ची को जबरन लाल रंग की ओमनी वैन में अपहरण कर ले गए। आनंदगिरी पहाड़ी पर ले जाकर उसके साथ सामूहिक बलात्कार किया गया। विरोध करने पर उसे बेरहमी से पीटा गया। पीडि़ता की आवाज सुनकर राहगीर जब वहां पहंुचे तो आरोपी फरार हो चुके थे।
बच्ची के स्कूली पहचानपत्र की मदद से उसके माता-पिता को बुलाया गया और उसे उपचार के लिए नजदीकी अस्पताल ले जाया गया। लेकिन डॉक्टरों की सलाह पर उसकी बिगड़ी हालत को देखते हुए उसे मनीपाल अस्पताल भेज दिया गया। वहां बच्ची ने अंतिम बार अपनी मां के कान में कुछ बोलकर हमेशा के लिए अपनी आंखें बंद कर लीं। इस घटना की सूचना मिलते ही हिन्दू संगठन भारी संख्या में अस्पताल पहंुच गए। इसके बाद तीनों आरोपियों को बचाने के लिए घिनौनी राजनीति भी शुरू हो गई। इससे पहले कि हिन्दू संगठन उचित कार्रवाई की योजना बना पाते, तीर्थहल्ली तालुक यूनाइटेड मुस्लिम एसोसिएशन (टीटीयूएमए) से कुछ मुसलमानों ने संपर्क साधा, जो कि तीनों मुस्लिम बलात्कारियों के बारे में जानकारी रखते थे। इसके बाद मुस्लिम नेताओं द्वारा एक बैठक बुलाई गई और एक निर्णय कर मुस्लिम आबादी वाले इलाकों जैसे-जामा मस्जिद और मछली बाजार में पुलिस को सुरक्षा बढ़ाने को लेकर पत्र लिखा गया।
किसी तरह से यह पत्र हिन्दू संगठनों को मिल गया जिससे तीनों बलात्कारियों की पहचान का खुलासा हो गया। इसी बीच आरोपियों के परिवार वाले भी अपने घरों पर ताले लगाकर फरार हो गए। हिन्दू संगठनों के रोष से घबराए तीनों बलात्कारियों ने एक मुस्लिम कारोबारी के बेटे से मदद मांगी। कारोबारी की राजनीतिक पकड़ होने का यह नतीजा निकला कि पुलिस ने बलात्कारियों को पकड़ने की बजाय उनकी गिरफ्तारी की मांग कर रहे हिन्दू संगठनों के 44 कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस ने बलात्कारियों को पकड़ने की बजाय प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार कर अपना पल्ला झाड़ लिया। राजनीतिक दबाव के चलते पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज भी किया।
तीर्थहल्ली में रहने वाले सूत्रों के मुताबिक पीडि़ता के पिता जब गत 31 अक्तूबर को पुलिस के पास शिकायत लेकर गए तो वहां भी उन्हें अपमानित किया गया। इस बीच मीडिया ने सच्चाई को तोड़-मरोड़ कर पेश करना शुरू कर दिया। यहां तक कहा गया कि बच्ची के एक मुस्लिम से अवैध संबंध थे और उसकी जानकारी मिलने पर माता-पिता ने बच्ची को बुरी तरह से पीटा। फिर बच्ची ने जहर खाकर अपनी जान दे दी।
हैरानी की बात यह है कि इस घटनाक्रम को किसी भी कन्नड़ मीडिया हाउस में नहीं दिखाया गया, जबकि घटना की सच्चाई, बलात्कारियों की जानकारी और उन्हें संरक्षण देने वालों की सभी को जानकारी थी। मुस्लिम गुंडागर्दी के भय और तुष्टीकरण के चलते कोई भी कुछ करने को तैयार नहीं हुआ। यह तो सोशल मीडिया और इंटरनेट का प्रभाव है जिनकी मदद से घटना की सच्चाई ज्यादा दिनों तक छिपी नहीं रह सकी।
इस घटना के बाद एक के बाद एक नई कहानी सामने आने से एक बात स्पष्ट हो गई है कि वास्तव में बच्ची के साथ तीन मुसलमानों ने नहीं, बल्कि पूरे समाज ने बलात्कार किया है। इसमें मुस्लिम कारोबारी, राजनेता और मीडिया सभी शामिल हैं। ल्ल प्रतिनिधि
सारदा घोटाले में सांसद द्वारा आत्महत्या का प्रयास या षड्यंत्र!
सारदा चिट फंड घोटाले में आए दिन चौंकाने वाले तथ्य सामने आ रहे हैं। हाल ही में तृणमूल कांगे्रस से निलंबित सांसद कुणाल घोष ने जेल में नींद की गोलियां खाकर आत्महत्या का प्रयास किया। इससे पहले सांसद असली दोषियों को गिरफ्तार नहीं करने की सूरत में आत्महत्या करने की धमकी भी दे चुके थे। सवाल इस बात का है कि उसके बाद भी उनकी धमकी को हल्के में क्यों लिया गया।
दरअसल कुणाल घोष ने ही पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का नाम सारदा घोटाले में नाम उजागर किया था। मामले की जांच में जुटी सीबीआई ने गत 10 नवम्बर को सांसद को न्यायालय में पेश किया था। तभी सांसद ने तीन दिनों के भीतर सीबीआई द्वारा असली दोषियों के नहीं पकड़े जाने पर खुदकुशी करने की धमकी दी थी। आखिरकार उन्होंने धमकी को सच में बदलकर भी दिखा दिया। हैरानी की बात यह है कि धमकी के बाद भी जेल में बंद सांसद को नींद की गोलियां किसने और कैसे मुहैया कराईं, यह जांच का विषय है। यह भी आशंका जताई जा रही है कि कहीं कुणाल घोष बड़ी मछलियों के भय से स्वयं ही खुदकुशी तो नहीं करना चाहते थे। जेल से 'स्युसाइड नोट' भी बरामद किए गए हैं।
मामले को गंभीरता से लेते हुए जेल अधीक्षक नवीन साहा, चिकित्सक गौतम दास गुप्ता और सांसद की सुरक्षा में जेल में तैनात नर्स व सुरक्षाकर्मियों को निलंबित कर दिया गया है। सीबीआई द्वारा भी जेल प्रशासन से रपट मांगी गई है। बंगाल में भाजपा के प्रभारी सिद्धार्थ नाथ सिंह ने एक षड्यंत्र के तहत कुणाल घोष तक जेल में नींद की गोलियां पहंुचाए जाने का आरोप लगाया है। ल्ल प्रतिनिधि
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