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'दीपक बन समाज का तम हरें'
बेंगलुरू के बासवनगुडी स्थित नेशनल हाई स्कूल के मैदान में 16 नवम्बर को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसमें विभिन्न क्षेत्रों में कार्य करने वाले लगभग 7000 स्वयंसेवकों ने भाग लिया। कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवत ने कहा कि संघ मुख्य रूप से दो प्रकार का कार्य करता है। पहला, दैनिक शाखाओं के जरिए स्वयंसेवकों में सामाजिक दृष्टि पैदा करना और दूसरा, समाज में सामाजिक बदलाव लाना। उन्होंने कहा कि संघ में स्वयंसेवकों के निर्माण की एक परम्परा है। संघ स्वयंसेवकों की रुचि के अनुसार उनका निर्माण करता है और उनसे संघ के कार्य में सहयोग की अपेक्षा रखता है। जैसे कोई स्वयंसेवक कहीं नौकरी करता है तो वह अपने वेतन का कुछ भाग वनवासी कल्याण परियोजना के लिए दान करता है। संघ की स्थापना के पीछे डॉ. हेडगेवार की इच्छा थी कि हिन्दू समाज को बाहरी खतरों से बचाने के लिए संगठित करना। इसके लिए संघ के स्वयंसेवक शाखा के माध्यम से कार्य कर रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि स्वयंसेवक अपने आसपास के लोगों को अनुशासन और सत्यवादिता के लिए प्रेरित करें। उन्होंने स्वयंसेवकों का आह्वान किया कि वे समाज के अन्य लोगों को संघ का साहित्य पढ़ने के लिए प्रेरित करें।
इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रान्त संघचालक श्री वेंकटरामू, बेंगलूरू महानगर संघचालक डॉ. बी.एन. गंगाधर, क्षेत्रीय कार्यवाह श्री रामकृष्ण राव, क्षेत्रीय प्रचारक श्री मंगेश भेंडे, वरिष्ठ प्रचारक श्री ना.
एच.वी. शेषाद्रि स्मृति खेल मैदान का उद्घाटन
बेंगलुरू स्थित एस. व्यास विश्वविद्यालय में 17 नवम्बर को एच.वी. शेषाद्रि स्मृति खेल मैदान का उद्घाटन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवत ने किया। उद्घाटन के बाद श्री भागवत ने विश्वविद्यालय का निरीक्षण किया और वहां शोधार्थियों से बातचीत की। इस विश्वविद्यालय की स्थापना अन्तरिक्ष वैज्ञानिक डॉ. एच. आर. नागेन्द्र ने 1986 में की थी। डॉ. नागेन्द्र ही इस विश्वविद्यालय के कुलाधिपति हैं।
सेवा बस्ती में श्री भागवत
बेंगलुरू प्रवास के दौरान 14 नवम्बर को श्री मोहनराव भागवत वहां की एक सेवा बस्ती 'होम्बेगौडानगर' गए। वहां उनका स्वागत 'डॉ. अम्बेदकर संघ' के अध्यक्ष श्री पण्ड्यन ने किया। इसके बाद सेवा बस्ती की महिलाओं ने पारम्परिक विधि से तिलक और आरती उतारकर उनका अभिनन्दन किया। तत्पश्चात् श्री भागवत ने बस्ती में स्थापित डॉ. अम्बेदकर की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित किया। उन्होंने बस्ती के अनेक घरों का दौरा किया और वहां के बच्चों, महिलाओं और पुरुषों से बातचीत की। एक वंचित महिला श्रीमती मुनियम्मा के घर उन्होंने फल का रस भी पिया। श्री भागवत बस्ती के निवासियों और अनेक संगठनों द्वारा आयोजित कार्यक्रम में भी शामिल हुए। बच्चों ने उन्हें गायत्री मंत्र, कुछ श्लोक और कबीर के दोहे गाकर सुनाए। लोगों को सम्बोधित करते हुए श्री भागवत ने कहा कि गायत्री मंत्र सूर्य को समर्पित है। सूर्य की अनुपस्थिति में दीपक अपने दायरे में रोशनी फैलाने की कोशिश करता है। दीपक से प्रेरणा लेकर हम भी अपने-अपने क्षेत्र में प्रकाश फैलाएंगे तो तो समाज का अंधेरा छटेगा। इस अवसर पर अनेक वरिष्ठ कार्यकर्ता उपस्थित थे।
प्रतिनिधि
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