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आजकल दृष्टि-दोष की समस्या बहुत आम है,जिन्हें हम प्राकृतिक मानकर चलते हैं। किन्तु, दृष्टि दोष अपरिहार्य एवं असाध्य नहीं है और केवल चश्मा ही इसका समाधान नहीं है। योगाभ्यास तथा कुछ चक्षु व्यायाम करने से आंखों की समस्या का समाधान संभव है तथा उन्हें आजीवन निरोग रखा जा सकता है। यहां पर इसके लिए योग के दस टिप्स व सावधानियां हम आपको बता रहे हैं-
सावधानी
जिन्हें उच्च रक्तचाप, हृदयरोग या स्पान्डि- लाइटिस हो, इसका अभ्यास कदापि न करें।
ल्ल इस हेतु योग की शाम्भवी मुद्रा बहुत उपयोगी है। यह प्राणिक ऊर्जा एवं आध्यात्मिक ऊर्जा को अनुप्रेषित करने का शक्तिशाली तरीका है। इसके अतिरिक्त नेत्रों को विभिन्न दिशाओं में घुमाने, निकट और दूर देखने तथा कुछ देर तक एक जगह देखें।
सूर्य नमस्कार तथा सूर्यभेदी प्राणायाम सम्पूर्ण शारीरिक तंत्र एवं चक्षुओं को सशक्त कर तनाव दूर करते हैं तथा पिंगला नाड़ी में प्रवाहवर्धन द्वारा प्राणिक ऊर्जा उत्पन्न कर आरोग्य प्रदान करते हैं।
इस हेतु हठयोग की नेति क्रिया भी बहुत उपयोगी है। इसका दृष्टि एवं मस्तिष्कीय तंत्रिकाओं पर सीधा असर पड़ता है जो सिर के सभी अंगों पर प्रभाव डालती है।
इस हेतु पामिंग क्रिया भी बहुत लाभदायक है। हथेलियों को आपस में रगड़कर आंखों पर रखने से आवेशीय ऊर्जा उत्पन्न होती है। इस क्रिया से भी अल्फा तरंगें उत्पन्न होती है।
दृष्टि दोष वस्तुत: एक मनोकायिक व्याधि है। मानसिक तनाव, कुंठा तथा निराशा इसके मूल कारण हैं।
प्रतिदिन सुबह मुंह में ठंडा पानी भरकर आंखों पर छींटा मारने से नेत्र ज्योति बढ़ती है।
सलाह
पढ़ते समय,कंप्यूटर पर बैठते समय या कोई भी सूक्ष्म कार्य करते समय कमरा तथा वातावरण स्वच्छ एवं अनुकूल होना चाहिए। प्रकाश की मात्रा पर्याप्त होनी चाहिए।
पठन सामग्री एवं आंखों के बीच की दूरी लगभग एक से डेढ़ फीट होनी चाहिए।
यदि लम्बे समय तक पढ़ाई करनी ही तो बीच-बीच में आंखों को विश्राम दें।
आंखों को निरोग रखने के लिए शीर्षासन, सर्वांगासन, हलासन तथा सूर्य नमस्कार का अभ्यास करना चाहिए।
इनसे नेत्रों में रक्त संचरण बढ़ता है तथा प्राणिक ऊर्जा के प्रवाह में होने वाले अवरोध दूर होते हैं। यहां पर सर्वांगासन के अभ्यास की विधि हम आपको बता रहे हैं।
सर्वांगासन की विधि
जमीन पर सीधा लेट जाइए। दोनों पैरों को घुटनों से मोड़कर जमीन से ऊपर उठाइए। तत्पश्चात पैरों को 90 डिग्री पर जमीन से सीधा ऊपर उठा दीजिए। इसके पश्चात नितम्ब तथा कमर को ऊपर उठाइए।
कमर में हाथों का सहारा देते हुए पैर तथा धड़ को गर्दन के सहारे ऊपर उठा दीजिए। पैर तथा धड़ एक सीध में 90 डिग्री पर उठे हों। आरामदायक अवधि तक इस स्थिति में रुककर वापस पूर्व स्थिति में आइए। ल्ल
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