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बच्चे बस्ता ढोते-ढोते, पढ़ते-पढ़ते या कम्प्यूटर पर खेलते-खेलते या टी.वी. देखते-देखते थक गये तो क्या करें?
बच्चों के बस्ते का वज़न इतना होता है कि यदि बच्चों के कंधों की या गर्दन की सही जांच कराई जाये तो कुछ न कुछ बीमारी निकलकर अवश्य सामने आएगी। बच्चे 8-10 किलो का बस्ता सुबह से देर दोपहर तक ढोते रहते हैं तो थकावट तो अवश्य होगी ही, साथ ही होमवर्क का मानसिक दबाव भी। समय मिला टी.वी. देखा या कम्प्यूटर पर गेम खेल लिया। अब रोज इतना सब कुछ होने के बाद वे बीमार तो होंगे ही। खेल के नाम पर कम्प्यूटर या टी.वी. रह गया है। कोई भी शारीरिक व्यायाम नहीं है या करना नहीं चाहते। इस ओर उनके माता-पिता भी ध्यान नहीं देते, क्योंकि उनके पास भी पर्याप्त समय नहीं है। पहले समय में बच्चे मैदान में खूब खेलते थे और स्वस्थ रहते थे। मगर अब समयाभाव के कारण यह मुमकिन नहीं रहा। मगर दिन में मात्र 30 मिनट योगासन एवं प्राणायाम के अभ्यास से वे अपने आप को स्वस्थ रख सकते हैं।
विधि-धनुरासन
धनु का अर्थ धनुष है। इस आसन में शरीर की आकृति धनुष के समान बन जाती है।
ल्ल सबसे पहले किसी दरी या कम्बल पर पेट की ओट से सीधा लेट जाएं। विश्राम अवस्था में रहकर 5-6 बार लम्बे श्वासों का पूरक और रेचन करें।
ल्ल अब श्वास छोड़ते हुए घुटनों को मोड़ें, बाहों को पीछे की ओर तानें। अब दाएं हाथ से दाएं और बाएं हाथ से बाएं टखने को पकड़ें और दो-तीन बार लम्बे श्वास लें।
ल्ल अब श्वासों को निकालते हुए जमीन पर से दोनों घुटनों को ऊपर उठाते हुए दोनों टांगों को ऊपर की ओर खींचें। और उसी समय सिर और धड़ से सीना भी जमीन पर से ऊपर उठाएं। बाहें प्रत्यंचा का कार्य करती हैं।
ल्ल सिर को ऊपर उठाते हुए यथासंभव पीछे की ओर ले जाएं। पसलियों को भी ऊपर उठाएं। शरीर का पूरा भार उदर पर ही रहेगा।
ल्ल ध्यान रखें कि दोनों ओर ऊपर उठते समय कोहनियां सीधी रहेंगी। यदि कोहनी मुड़ती है तो घुटने सही प्रकार से ऊपर नहीं उठ पायेंगे।
ल्ल सामान्य श्वासों के साथ इसी अवस्था में 34 सेकण्ड से एक मिनट तक रुकें।
ल्ल वापस आने के लिए श्वास छोड़ते हुए एक-एक रखने को छोड़ें और सामान्य श्वासों के साथ विश्राम करें।
प्राणायाम
नाड़ी शोधन प्राणायाम, कपालभाति प्राणायाम और भ्रामरी प्राणायाम बच्चों के लिए बहुत ही उपयुक्त माना गया है। इनके नियमित अभ्यास से बच्चों में एकाग्रता आती है।
विश्राम
आसन और प्राणायाम करने के पश्चात 10 मिनट तक शवासन या योगनिद्रा का अभ्यास
अवश्य करें। विश्राम करने से तन और मन शांत होता है।
आहार
माता-पिता को बच्चों के आहार पर भी उचित ध्यान देना चाहिए। उनको फास्ट फूड, किसी भी प्रकार का,तला-भुना, बाजार का खाना, यदि बंद न कर सकें तो कम से कम आधा अवश्य कर देना चाहिए। घर पर बने खाने को प्राथमिकता दें तो बच्चों का स्वास्थ्य कुछ हद तक तो अवश्य ठीक रहेगा।
योगासन
बच्चे सभी प्रकार के आसन कर सकते हैं। ये कुछ आसन हैं जिनका वे नियमित अभ्यास कर सकते हैं- ताड़ासन, त्रिकोणासन, पादहस्तासन, पार्श्वकोणासन, परिवृत पार्श्वकोणासन, सुप्त वज्रासन, सूर्य नमस्कार, चक्रासन, धनुरासन, भुजंगासन, सिद्धासन और पद्मासन।
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