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विकास में सहभागी हों वरिष्ठ नागरिक

by
Oct 18, 2014, 12:00 am IST
in Archive
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दिंनाक: 18 Oct 2014 12:50:25

बैजनाथ राय
धीरे-धीरे कर सेवानिवृत्त या वरिष्ठ नागरिकों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। 2011 के सर्वे के अनुसार वर्ष 1991 में 60 वर्ष या उससे थोड़े अधिक आयु वाले लोगों की संख्या अपने देश में 5.7 करोड़ की थी। जो 2001 में बढ़कर 7.9 करोड़ और 2011 में बढ़कर 10.4 करोड़ की हो गई। इस प्रकार विगत दो दशकों में वृद्धों की संख्या में 35 प्रतिशत की औसत वृद्धि हुई है। अंतरराष्ट्रीय संगठन (यूएनओ) के अनुसार विश्व भर में वर्ष 2000 से लेकर 2050 में इस संख्या में लगभग 700 प्रतिशत की वृद्धि होने की संभावना है। जानकारों के अनुसार अपने देश में सेवानिवृत्त व वरिष्ठ नागरिकों की संख्या वर्तमान में 15.9 करोड़ या कुल आबादी का 12.4 प्रतिशत भाग है। विश्वभर में वृद्धों की संख्या का 1/6 भाग भारत में रहता है। इस वृद्धि का मूल कारण जीवनचर्या में परिवर्तन, जीवन पोषण व रक्षा के विभिन्न प्रकार के सटीक कदम हैं।
संख्या वृद्धि को ध्यान में रखते हुए तथा अन्य कारणों से भारत सरकार ने सेवानिवृत्त व वरिष्ठ नागरिकों के लिए एक राष्ट्रीय नीति के साथ कुछ कानून बनाए तथा आवश्यक कदम उठाए-
1. कंपनी कानून में पहले से ही इसके लिए सामाजिक दायित्व का प्रावधान है।
2. वृद्ध माता पिता व वरिष्ठ नागरिक के पालन व कल्याण के लिए 'मेंटीनेंस एंड वेलफेयर ऑफ पैरेंट्स एंड सीनियर सिटीजन एक्ट-2007'
3. खाद्य सुरक्षा कानून 2013 में इनके लिए विशेष सुविधा
4. इस निमित व्यापक राष्ट्रीय नीति बनाने हेतु डॉ. मोहिनी गिरी की अध्यक्षता में सरकार द्वारा एक विशेष समिति का गठन किया गया, जिसने मार्च 2011 में अपनी रपट सरकार को सौंप दी।
इस संबंध में डॉ. मोहिनी गिरी समिति ने वरिष्ठ नागरिकों के हितों के लिए कुछ सुझाव दिए हैं, जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं।
1. पेंशन मुहैया कराना
2. आयकर में छूट देना
3. चिकित्सा लाभ दिलाना
4. बचत पर बैंक व डाकघर द्वारा अतिरिक्त सूद लाभ दिलाना
5. सुरक्षा
6. मकान बनाने के लिए विशेष अनुदान देना
8. सामाजिक सुरक्षा जैसे भविष्य निधि पेंशन व ग्रेच्युटी मुहैया कराना आदि।
अनेक और हित लाभ प्राप्त हो सकते हैं, यदि उपरोक्त हित लाभों को अधिकार के रूप में चाहे तो उन्हें अपने लिए कुछ कर्तव्यों का भी दायित्व वहन करने की उत्सुकता होनी चाहिए।
कर्तव्य बोध और उसके प्रामाणिक कार्य से उनके प्रति सम्मान में एक नया उत्साह या नई चेतना को प्रेरित करेगा। उदाहरण के लिए निम्न कुछ कार्य उनके कर्त्तव्य को सार्थक कर सकते हैं-
1. परिवार के बच्चों को केवल खिलाना ही नहीं अपितु उनके लिए नव चेतना जागृत करना
2. स्थानीय असहाय व कमजोर बच्चों को शिक्षित करने का प्रयास
3. समाज में पीडि़तों की मदद करना
4. सरकारी योजनाओं का लाभ स्वयं लेना व अन्य को दिलवाना
6. विभिन्न प्रकार के सामाजिक कार्यों में तत्परता से सहयोग करना
7. कुटुम्ब प्रबोधन जैसे कार्यक्रमों को चलाना
8. दूसरे को उचित पेंशन, ग्रेच्युटी व भविष्य निधि दिलवाने में सहयोगी बनना
9. नि:शुल्क चिकित्सा केंद्र चलवाना
10. विभिन्न प्रकार के स्थानीय सेवा कार्यों को बढ़ाना व उनकी मदद करना
11. वरिष्ठ नागरिक को जनसंपर्क व जनसूचना अधिकारी जैसे भूमिका का निर्वाह
12. बचत पर जोर देना और सटीक जगह पर निवेश करना
13. शारीरिक, बौद्धिक व आध्यात्मिक केंद्र चलवाना एवं नेतृत्व करना
14. प्राकृतिक आपदा में स्वयंसेवक की तरह सहयोग करना
15. संगठन सरकार व समाज के सामने समय-समय पर शक्ति प्रदर्शन कर संबंधित कानून व योजना में सुधार करवा सके
16. इस संबंध में डॉ.मोहिनी गिरी व राष्ट्रीय नीति में दिए गए सुझावों को लागू करना।

राष्ट्रीय नीति के कुछ प्रमुख सुझाव निम्नवत हैं-
1 कार्यस्थल जहां से सेवानिवृत्ति हुई है वहां ऐसे लोगों के रोजगार का संवर्द्धन करना
2 रोजगार केंद्रों में वरिष्ठ नागरिक हेतु एक विशेष निदेशकमंडल बनाना जो ऐसे लोगों के रोजगार के बारे में विचार कर उसे कारगर करवाए।
3. जीवन आयु बढ़ने के कारण सेवानिवृत्ति की आयु पर पुनर्विवेचन करना
4. राष्ट्र प्रेम की भावना का सशक्तिकरण व प्रचार प्रसार आदि
समिति ने कल्याण निधि कोष को निम्न प्रकार से बनाने का सुझाव दिया है
1. एक जनकल्याण निधि कोष का गठन जिसमें विभिन्न प्रकार के समाजिक सुरक्षा कार्यक्रमों पर, कर द्वारा कोष निर्माण करना
2. वरिष्ठ नागरिकों के लिए बजट में विशेष प्रावधान करना।
3. आधार कार्ड के अंतर्गत वरिष्ठ नागरिकों का एक विशेष पहचान पत्र बनवाना जिससे वे सभी हित लाभों को सहजता से प्राप्त कर सकें। आज आवश्यकता है कि केंद्र व राज्य सरकार राष्ट्रीय समिति का गठन करे जिसमें निम्नवत् प्रतिनिधित्व हो-
1. संबंधित मंत्रालयों का प्रतिनिधित्व
2. वरिष्ठ नागरिकों व केंद्रीय श्रमिक संगठनों का प्रतिनिधित्व आदि।
इस प्रकार से सेवानिवृत्त व वरिष्ठ नागरिकों के लिए कुछ सक्रियता से करने के दिन आए गए हैं। देश में बहुत से पेंशनर्स एसोसिएशन बनी हैं, लेकिन उनकी सोच का दायरा बहुत सीमित है वे केवल पेंशन में वृद्धि या पेंशन दिलवाने का प्रयास करते हैं, ऐसे संगठनों से कोई आपत्ति नहीं है लेकिन इनके कार्य का आयाम बढ़ाना चाहिए। हम सभी जानते हैं कि समाज या सरकार उसी देश के बारे में सोचती या निर्णय लेती है जिनकी अपनी शक्ति है। इसलिए हमें देशभर में कम से कम जिला स्तर पर सेवा निवृत्त वरिष्ठ नागरिक संगठन बनाने चाहिए और उसी के माध्यम से कार्य करना चाहिए। यह संगठन जितना शक्तिशाली होगा समाज का यह बहुमूल्य तबका उतना ही सक्रिय होगा तथा सरकार को नीतियों में आवश्यक परिवर्तन तथा सहयोग दे सकेगा। ल्ल

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