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शुरुआत 1988 में 'अडानी एक्सपोर्ट' शुरु की
बड़ी छलांग
2013 में देश के 10 सबसे
अमीरों की कतार में शामिल
संदेश
कड़ी मेहनत, ऊंचे इरादे से हासिल होती है मंजिल
देश के पहली पीढ़ी के उद्यमियों की बात हो और गौतम अडानी का जिक्र ना हो, यह तो नामुमकिन है। उन्होंने कारोबार की दुनिया में नई इबारत लिखी है। गौतम अडानी ने अमदाबाद में अपने पिता के कारोबार से न जुड़कर मुंबई में अपनी किस्मत आजमाने का फैसला किया। पहले उन्होंने महिंद्रा बंधु के साथ काम करने का फैसला किया। इसके बाद उन्होंने खुद का डायमंड ब्रोकरेज का व्यवसाय शुरू किया। गौतम यहीं नहीं रुके, पहले उन्होंने अपने भाई महासुख अडानी के साथ काम किया और वर्ष 1988 में अपनी खुद की कंपनी अडानी एक्सपोर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड की स्थापना की। आज अडानी ग्रुप पोर्ट, पावर और कोल इंडस्ट्री में सक्रिय है। अमदाबाद के गौतम अडानी के पुराने मित्र बताते हैं कि 1980 के दौर में वे अपने ग्रे कलर के बजाज सुपर स्कूटर पर अपने बचपन के दोस्त मलय महादेविया के साथ कैसे घूमा करते थे। मूल रूप से पेशे से डेंटिस्ट रहे मलय अब अडानी ग्रुप के साथ अडानी पोर्ट में निदेशक की हैसियत से जुड़े हुए हैं। अडानी की बात करनी है तो हमें 1990 के दशक के आखिरी दौर में जाना होगा। अडानी एक्सपोर्ट कंपनी के एक कर्मचारी ने शुगर ट्रेडिंग के सिलसिले में एक गलत फैसला लिया जिसके कारण कंपनी को 20 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। खुद को नौकरी से निकाले जाने के डर से इस कर्मी ने पहले ही अपनी गलती के लिए माफी मांग ली और अपने इस्तीफे का पत्र भी दे दिया। उस वक्त करीब 30 की उम्र के रहे गौतम अडानी ने इस कर्मी के त्यागपत्र को फाड़ दिया और उससे मुस्कुराते हुए कहा- मुझे पता है कि आपको इस घटना से जो सीख मिली है उससे आप भविष्य में ऐसी गलती फिर कभी नहीं करेंगे। ऐसे में मैं आपके अगले समवाय को आपकी इस सीख का फायदा क्यों उठाने दूं, जबकि इसके लिए घाटा तो मैंने उठाया है। एक ताजा रपट के मुताबिक, गौतम अडानी देश के सबसे अमीर भारतीयों के क्लब में शामिल हो गए हैं। रपट के मुताबिक गौतम अडानी की संपत्ति में 152 फीसद की बढ़ोत्तरी हुई है, जिसके बाद अडानी ने सारे रिकार्ड तोड़ते हुए देश के दस सबसे अमीर लोगों के क्लब में अपना स्थान पक्का कर लिया है। बिल गेट्स की तरह कालेज बीच में छोड़ देने वाले गौतम अडानी ने मारुति-800 से अपना सफर शुरू किया था जो अब बीएमडब्ल्यू गाडि़यों के बेड़े और एक फरारी पर पहुंच चुका है। इसके अलावा उनके पास 3 हेलिकाप्टरों के साथ-साथ 3 बोम्बार्डियर और बीचक्राफ्ट विमान भी हैं जिनकी सीटों की क्षमता 8, 37 और 50 है।
अडानी ने हालांकि नरेन्द्र मोदी से अपनी नजदीकियों को कभी छिपाने की कोशिश नहीं की, तब भी नहीं जब वर्ष 2004 में राजग सरकार सत्ता से बाहर हो गई थी। लेकिन, सच्चाई यह है कि वह उन पर ज्यादा निर्भर नहीं रहे। यहां तक कि हरियाणा, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और राजस्थान में अपने बिजली कारोबार को बढ़ाने और ओडिशा में बंदरगाहों के लिए निविदाओं के वास्ते अडानी ने संप्रग सरकार में भी अपने कई दोस्त बनाए हैं। वैसे उनके मित्रों में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कमलनाथ और राकांपा नेता शरद पवार भी हैं। पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल उन पर नरेन्द्र मोदी के साथ करीबी संबंधों के आरोप लगाते रहे। जवाब में गौतम अडानी ने स्वीकार किया कि हमारे विमानों का इस्तेमाल करने वालों को अडानी ग्रुप विमान उन्हें मुफ्त में उपलब्ध नहीं कराता, बल्कि पार्टी और राज्य सरकार इसका किराया देती रही है। गौतम अडानी ने अपने ऊपर लग रहे आरोपों पर सफाई देते हुए कहा कि गुजरात सरकार ने उन्हें अलग से कोई फायदा नहीं पहुंचाया है और नरेंद्र मोदी से उनके निजी नहीं, बल्कि सिर्फ पेशेवर रिश्ते हैं। उन्होंने गुजरात में बेहद सस्ती दर पर जमीन मिलने की बात को भी खारिज करते हुए कहा कि जब उन्होंने मूंदड़ा की जमीन ली थी, तब वह बिल्कुल बंजर और बेकार थी। अडानी का यह भी दावा है कि उन्हें चिमन भाई पटेल और केशुभाई पटेल की सरकारों के समय जितनी सस्ती जमीन मिली उतनी इस दौर में नहीं मिली। बहरहाल,गौतम अडानी की काबिलियत सिर्फ देश की सीमाओं तक सीमित नहीं है। उन्होंने आस्ट्रेलिया के शीर्ष राजनीतिक हलकों में भी लोगों से अपने बेहतरीन रिश्ते बनाए हैं, जहां अडानी ग्रुप का कोयला खदान और ब्रिस्बेन के पास एक पोर्ट में कुल 6 अरब डॉलर के निवेश की योजना है। गौतम पूरी तरह से पारिवारिक इंसान हैं। गौतम के 7 भाई-बहन हैं। उनकी पत्नी का नाम प्रीति है। गौतम और प्रीति के दो बेटे करन और जीत अडानी हैं। उम्मीद करनी चाहिए कि वे आगे भी कारोबार की दुनिया में अपने लिए नई बुलंदियों को छूते रहेंगे। ल्ल
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