|
देश में आर्थिक उदारीकरण ने अनेक उद्यमियों को अपनी प्रतिभा को दिखाने का मौका दिया। उनमें सुनील भारती मित्तल खास हैं। देश की मोबाइल सेवा देने वाली सबसे बड़ी कंपनी भारती एयरटेल के प्रमुख सुनील भारती मित्तल ज्ञानी किस्म के इंसान हैं। वे जब किसी सवाल पर अपनी राय रखते हैं तो उसे सुना जाता है। अनसुना नहीं किया जा सकता। वे सच्चे उद्यमी हैं- पहली पीढ़ी के उद्यमी। एक बार उन्होंने कहा था कि मैंने जीवन के शुरुआती दौर में ही व्यापार के संसार में जाने का मन बना लिया था। जब पढ़ाई में मन लगता नहीं था तो दो ही विकल्प बचते थे। एक राजनीति में जाने का और दूसरा व्यापार करने का। लुधियाना शहर में व्यापार करने का अच्छा माहौल था। मैंने भी 18 साल की उम्र में व्यापार करना शुरू किया। सबसे पहले ब्रजमोहन मुंजाल साहब की हीरो साइकिल कंपनी के लिए साइकिल के पार्ट्स बनाने शुरू किए। भारती के लिए वर्ष 1982 विशेष था। वे कहते हैं उस समय में जापान से आयातित पोर्टेबल जेनरेटरों की बिक्री का मेरा भरा-पूरा व्यवसाय था। इससे मुझे विपणन और विज्ञापन जैसी गतिविधियों में शामिल होने का अवसर मिला। चीजें बिल्कुल सही तरीके से चल रही थीं, लेकिन सरकार ने जेनरेटर के आयात पर रोक लगा दी, क्योंकि दो भारतीय कंपनियों को देश में ही जेनरेटर बनाने का लाइसेंस दे दिया गया था। तब मैंने तय किया कि आगे जब भी इस तरह का अवसर आएगा, मैं उसे लपकने के लिए तैयार रहूंगा। क्रांतिकारी परिवर्तन 1992 में आया, जब सरकार पहली बार मोबाइल फोन सेवा के लिए लाइसेंस बांट रही थी। उस अवसर को मैंने लपक लिया।
सुनील भारती मित्तल को विश्व के सबसे पुराने व्यापारिक संगठनों में से एक इंटरनेशनल चैंबर ऑफ कॉमर्स (आईसीसी) का भी उपाध्यक्ष चुना जा चुका है। वे भारतीय उद्योग संगठन (सीआईआई) के साल 2008 में अध्यक्ष थे।
वे धीरू भाई अंबानी और जेआरडी टाटा को अपना आदर्श मानते हैं। वे कहते हैं कि ये सभी जमीन से जुड़े हुए ही थे, क्योंकि ये नीचे से उठे। मैंने 30-35 घंटे की रेलवे यात्रा बैठकर की है। ट्रकों में गोदी से माल उठाकर उसे बाजार में लाकर बेचा है। कुछ साल पहले भारती एयरटेल ने अफ्रीका में भी अपनी दस्तक दे दी है। अफ्रीका के एक दर्जन से ज्यादा देशों में भी भारती एयरटेल बड़ी मोबाइल सेवा देने वाली कंपनी के रूप में उभरी है। भारती एयरटेल अपना विदेशी कारोबार अपनी सहायक कंपनी भारती एयरटेल इंटरनेशनल (नीदरलैंड) बी वी (बीएआईएन) के जरिए चलाती है। स्टील की छड़ों को गर्म करके साइकिल के हिस्से बनाए जाते थे। आपके लिए सफलता की परिभाषा क्या है? भारती कहते हैं कि हर आदमी के लिए सफलता के पैमाने बदलते रहते हैं। आज जो सफलता है वह कल आपके लिए एक सामान्य घटना होती है। पहले मेरे लिए सफलता के पैमाने कुछ और थे आज कुछ और हैं। बीस हजार रुपए से मैंने व्यवसाय शुरू किया था आज मैं 20 बिलियन का लक्ष्य बना सकता हूँ लेकिन इस सबके बीच मुझे लगता है कि सफलता वह है कि जब आप शाम को अपना काम पूरा कर लें तो आपको लगे कि कुछ किया।
वे कहते हैं कि सफलता आसानी से नहीं मिलती, क्योंकि आसान सफलता जैसी कोई चीज नहीं होती। लेकिन मेरा एक मूल मंत्र है सफलता के लिए जो मैं स्कूल कॉलेज के युवाओं कोे बताता हूं। मैं उनसे कहता हूं कि अगर मौका मिले तो जो आप जिंदगी में करना चाहते हैं वही करिए। अगर ऐसा नहीं हो पाता तो कोई औसत जिंदगी तो जी सकता है लेकिन बड़ी सफलता नहीं पा सकता। बड़ी सफलता तो तभी मिलेगी जब डॉक्टर की चाहत रखने वाला डॉक्टर बने, इंजीनियर बनने की चाह रखने वाला इंजीनियर बने और व्यवसायी बनने की चाहत रखने वाला आदमी व्यवसायी बने। मेरे लिए प्रत्येक सोमवार की सुबह बहुत खूबसूरत होती है। मैं अपनी कुर्सी पर बैठकर अपना काम शुरू करता हूं। सुनील भारती मित्तल में यह भारती क्या है? वे बताते हैं कि भारती हमारे परिवार के लिए एक उपनाम बनाया गया था। दरअसल मेरे पिता जी ने उस जमाने में अपनी मर्जी से जाति से बाहर प्रेम विवाह किया था। उन्होंने ही तय किया कि उनके बच्चों के नाम के पीछे मित्तल नहीं भारती लगेगा। हमारे विद्यालय के प्रमाणपत्र, पहले के पासपोर्ट में भारती ही लिखा था। और जान लेते हैं भारती की सफलता के सूत्र।
भारती यह भी मानते हैं कि बड़े सपने देखने चाहिए। हर चीज की शुरुआत एक छोटे से कदम से होती है, लेकिन लंबी छलांग लगाने के लिए आपको बड़े सपने देखने होंगे। मैंने पंजाब विश्वविद्यालय से स्नातक किया। स्नातक के बाद 1970 के दशक में मैंने 20,000 रुपए का कर्ज लिया और अपने दोस्तों के साथ मिलकर एक छोटा-सा साइकिल व्यवसाय शुरू किया। 1979 आते-आते मुझे यह महसूस हुआ कि यह व्यवसाय ज्यादा बड़ा नहीं हो सकता। मैं लुधियाना से बाहर निकला और दूसरी चीजें करने की कोशिश की, ताकि लोग मुझे पहचान सकें। भारती अंत में नए उद्यमियों को सलाह देते हैं कि वे खुद पर भरोसा करें, उन्हें सफलता मिलेगी। ल्ल
टिप्पणियाँ