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सशक्त नेतृत्व हो तो झुकते हैं सब!

by
Oct 18, 2014, 12:00 am IST
in Archive
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दिंनाक: 18 Oct 2014 15:04:08

अंक संदर्भ : 28 सितम्बर, 2014

आवरण कथा 'साथ चलेंगे, एक सीमा तक' से प्रतीत होता है कि अगर आपका नेतृत्व अच्छा और सशक्त हो तो अच्छे-अच्छों को झुकना पड़ता है। चीन के राष्ट्रपति का भारत आगमन संपूर्ण एशिया के लिए एक शुभ संकेत है क्योंकि यही दो देश विश्व में उभरते हुए महाशक्तिशाली देश हैं। साथ ही पूरे देश को भी अब अपने प्रधानमंत्री पर गर्व है कि उनकी कूटनीति और रणनीति के चलते यह संभव हो रहा है। दस साल से रही संप्रग शासन ने कुछ देशों को छोड़कर सभी के साथ दुश्मनी ही की है, जिसके परिणाम भी हम भुगत भी रहे हैं।
आशीष शुक्ला,रतलाम(म.प्र.)
० भारत और चीन के संबंध वैसे तो पौराणिक हैं। पर इसमें हमेशा संदेहास्पद स्थिति बरकरार रही है। भारत-चीन के बीच हुए युद्धों और लगातार सीमा पर चीन की ओर से होती घुसपैठ से यह शंका और भी बलवती होती है। चीन हमेशा प्रर्तिशपर्धा व प्रतिष्ठा के फेर में ही उलझा रहता है,जिस कारण उसके कई देशों से सीमा विवाद कायम हैं। भारत को हाल ही में मिले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के रूप में एक सशक्त नेतृत्व से अब चीन का दिल बैठने लगा है और वह जान चुका है कि यह सरकार न तो झुकने वाली है और न ही किसी प्रकार के दबाव को मानने वाली है। जिसका उदाहरण सामने है कि चीन के राष्ट्रपति भारत की यात्रा कर चुके हैं।
उमेदुलाल 'उमंग'
ग्राम-पटूड़ी,जिला-टिहरीगढ़वाल(उत्तराखंड)
० अभी भारत के प्रधानमंत्री को बने चार महीने ही हुए हैं,इस छोटे से समय में चीन-जापान एवं अमरीका मोदी के सम्मान में उनका स्वागत कर रहे हैं। जिस प्रकार से चीन के राष्ट्रपति का भारत आगमन अपने आप में अनूठा और सोचने पर मजबूर करता है । वैसे ही कभी वीजा के नाम पर राजनीति करने वाला अमरीका आज नरेन्द्र मोदी के गुणगान करते नहीं थक रहा है। अमरीका में मोदी का हुआ भव्य स्वागत सम्पूर्ण विश्व को अचंभित करता है। नरेन्द्र मोदी की विकास नीति एवं अदम्य आत्मविश्वास ऐसे ही बना रहे हमारी ओर से शुभकामनाएं हैं।
कल्याण मरली
जिला-बागलकोट(कर्नाटक)
० चीन के आस-पास ऐसे अनेक प्रमाणित व पौराणिक स्थल हैं, जो हिमालय के उत्तरी क्षेत्र में स्थित हैं तथा भारत की संस्कृति व सभ्यता के शिखर स्तंभ हैं। चीन के समक्ष आज महत्वपूर्ण ढंग से इन्हें प्रस्तुत करने की महती आवश्यकता है। नरेन्द्र मोदी द्वारा चीन के राष्ट्रपति को भारत में बुलाना इस बात का प्रमाण है कि वह सभी मामलों पर बहुत ही गंभीर हैं।
डॉ.रामचन्द्र सिंह
मिश्रा पोखर,वाराणसी(उ.प्र.)
संघ,सेना और शासन की निष्ठा
कश्मीर में जिस प्रकार प्रकृति ने अपना कोप दिखाया कहीं न कहीं उसके पीछे कुछ है जो सोचने पर मजबूर करता है कि आखिर प्रकृति ने अपने ही स्वर्ग को इस हालत में क्यों पहुंचा दिया? साथ ही घाटी में आई भयंकर आपदा के समय सेना,रा.स्व.संघ एवं केन्द्र में विराजमान नरेन्द्र मोदी सरकार ने तत्काल जिस प्रकार से स्थिति को नियंत्रित किया वह बेहद की अभूतपूर्व है। साथ ही इस आपदा में उन लोगों की भी पोल-पट्टी खुल गई जो कश्मीर के आवाम को अपना बताकर उनका प्रयोग देश विरोधी कार्य में करते रहे हैं। इस आपदा में वह बिलों में दुबके नजर आए और बात-बात पर ट्विटर पर अपनी भड़ास निकालने वाले उमर लगभग गायब ही नजर आए। अब सवाल है कि क्या घाटी के बाशिंदे अब भी अलगाववादियों का शिकार होते रहेंगे? और सेना एवं देश के खिलाफ षड्यंत्र में लिप्त रहेंगे।
डॉ.सुभाष चन्द्र शर्मा
मुजफ्फरनगर(उ.प्र.)
० भाजपा को इस लोकसभा चुनाव में जो प्रचण्ड बहुमत प्राप्त हुआ है उसके पीछे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की 89 वर्षों से चली आ रही सतत तपस्या है। आजादी के बाद से देश का हिन्दू समान कानून की बात करता आया है। लेकिन बार-बार कहने के बाद भी आज तक इस क्षेत्र में कोई ठोस कदम नहीं उठ सका। साथ ही शिक्षा में पाश्चात्य सभ्यता और मुगलों के विध्वंसकारी कारमुजारियों को पढ़ाया जाना चाहिए उसके बदले उनको महिमामंडित किया जा रहा है। अपनों को भुलाकर दुश्मनों को पालना घातक होता है। यह किसी से भी छिपा नहीं है।
नन्दलाल चौरसिया
शान्ति निकेतन-खारघर(नवी मुम्बई)
नहीं समझा किसी ने मां का दर्द
स्वतंत्रता के बाद से देश में अनेक सरकारें आईं और चलती बनी। पर किसी ने भारत मां की पीड़ा को नहीं समझा। भारत के स्वभाव के साथ पार्टियों ने अपना हित आगे रखकर देश के हित को नगण्य ही घोषित कर दिया। जिसका परिणाम है कि देश में आतंकवाद,नक्सलवाद,आपराधिक धंधे,जुआ जैसे अपराध चरम पर हैं। आज जरूरत है कि भारत को उसका खोया हुआ स्वाभिामान और वैदिक परंपरा वापस दिलाने के लिए सतत प्रयास किया जाए, ताकि हमारे देश का जो सम्मान रहा है वह पुन: स्थापित होकर विश्व में मान बढ़ाये।
गोविन्द दास अग्रवाल
गांधी चौक,जिला-राजगढ़(म.प्र.)
बदलें परिपाटी
हम अपने आप को गौरवान्वित महसूस करते हैं, जब हम पढ़ते व देखते हैं-रानी झांसी अस्पताल,महात्मा गांधी पार्क,डॉ. राजेन्द्र प्रसाद मेडिकल कॉलेज इत्यादि,जिन्हें देखकर निश्चित ही हमें उन देशभक्तों का देश के प्रति अमिट योगदान याद आता है। परन्तु दूसरी ओर हमें आत्म ग्लानि होती है कि देश की राजधानी दिल्ली में कुछ सड़कों के नाम अब भी उन शासकों के नाम पर हैं, जिन्होंने हमें व हमारे देश को लूटने और नष्ट करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। अब उचित समय है कि ब्रिटिश कालीन तथा मुगलकालीन लुटेरों के नाम बदलकर देश के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले भक्तों के नाम पर इन सड़कों,पार्कों के नामों पर रखा जाए।
देवराज
ग्राम कलेई जिला-चम्बा(हि.प्र.)
सामग्री बढ़ायें
पाञ्चजन्य बच्चों एवं युवाओं के लिए कुछ सामग्री और बढ़ाये, ताकि इसके माध्यम से उनका विकास हो सके।
सत्यभान अग्रवाल
उम्मानी(उ.प्र.)
विभाजनकारी भाषा
देश विभाजन का श्रेय उर्दू को है। बंगलादेश भी इसी उर्दू के कारण बना। देश के नेताओं ने इस भाषा को 8वीं अनुसूची में शामिल करके भयंकर गलती की है। इस देश का दुर्भाग्य है कि जिस देश की भाषा संस्कृत हुआ करती थी आज प्राय: वह लुप्त हो गई। आज जरूरत है कि इस भाषा को पुनर्जीवित कर उसके विकास का कार्य किया जाए तभी देश की संस्कृति बच सकती है।
इन्द्रदेव,
टीचर्स कॉलोनी,ब़ुलन्दशहर(उ.प्र.)
० अंग्र्रेज जाते समय जिन्हें शासन सौंप गए वे उपनिवेशवादियों से भी अधिक क्रूर और आततायी एवं अमानवीय निकले। पहले तो अंग्रेजों ने इस देश पर शासन करके इसको जितना विकृत कर सकते थे उसको करने का भरसक प्रयास किया और स्वतंत्रता मिलने के बाद नेहरू मंडली ने रही -सही कसर पूरी कर दी। नेहरू मंडली ने हिन्दू राष्ट्र कहने पर एक तरीके से प्रतिबंध ही लगा दिया। वोट बैंक की रोटियों के चक्कर में नेहरू ने भारत की मूल अवधारणा को ही उससे दूर करके उसको सेकुलर बना दिया। कांग्रेस की सचाई यही है कि वह वोट के लिए कुछ भी कर सकती है।
शरण, नोएडा(उ.प्र.)
देश तोड़ने का कुचक्र
स्वतंत्रता के बाद कांग्रेस ने सदैव अपने व्यक्तिगत स्वार्थ के लिए देश को बांटने की राजनीति की। कभी धर्म और मजहब के नाम पर ,कभी जाति और भाषा के नाम पर तो कभी देश और प्रदेश के नाम पर। अपने को मुसलमानों का हितैषी कहने वाली कांग्रेस ने सदैव मुसलमानों को वोट के तौर पर प्रयोग किया। और उसके बाद उनकी कौम की हालत क्या है, वे किस हालत में शिक्षा ले रहे हैं, उनका विकास हो रहा है कि नहीं जैसे तमाम विषयों पर कभी नजर ही नहीं गई। आज यह किसी से छिपा नहीं है कि देश के 80 प्रतिशत हिन्दुओं ने भाजपा को वोट देकर नरेन्द्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाया है। यह भी सभी को पता है कि इस बार मुसलमानों ने उन्हें वोट नहीं दिया लेकिन फिर भी वह 125 करोड़ लोगों के विकास की बात करते हैं। मुसलमानों को समझना चाहिए कि कांग्रेस ने उनके साथ क्या किया?
परमानंद रेड्डी
देवेन्द्र नगर,रायपुर(छ.ग.)
चले देश में देशी भाषा
मनुष्य और भाषा का रिश्ता अत्यंत गहरा है। मनुष्य के चिंतन को भाषा संवाद में बदलती है। संवाद लोकतंत्र का प्राण है। भारत में सच्चा लोकतंत्र केवल भारतीय भाषाओं के जरिये ही स्थापित और मजबूत हो सकता है,अंग्रेजी के जरिए कदापि नहीं। अंग्रेजी का ज्ञान रखना बुरा नहीं है, बुरा ये है कि इस विदेशी और मात्र दो प्रतिशत जनता को समझ में आने वाली भाषा को सार्वजनिक कामकाज की भाषा के रूप में अपनाने में गर्व महसूस करना।
इसे आजाद भारत की त्रासद बिडम्बना ही मानना होगा कि भारत में अंग्रेजी राज के खातमे के बाद भी भारत के नये कांग्रेसी हुक्मरानों ने भारतीय संविधान के अनुच्छेद 351 के जरिये अंग्रेजी भाषा के मायाजाल में फंसकर वर्ष 1965 तक के लिए भारतीय राज्य व्यवस्था का संचालन इसी विदेशी भाषा के माध्यम से करने की व्यवस्था कर दी। इस प्रपंच के पीछे अंग्रेजी भक्त कांग्रेसी हुक्मरानों की यह देश विरोधी दुर्भावना छिपी हुई थी कि यदि आजाद भारत के शुरुआती दौर में 18 सालों तक देशी भाषाओं पर अंग्रेजी भाषा की गुलामी लाद दी जाए तो फिर इतने वर्षों तक अंग्रेजी का टॉनिक पीकर बलवती हो जाने वाली अंग्रेजी भाषा हमेशा के लिए देशी भाषाओं पर इतराते हुए राज करती रहेगी। आज पूर्ण बहुमत वाली गैर कांग्रेसी सरकार एवं भारतीय सभ्यता-संस्कृति तथा जीवन दर्शन के लिए समर्पित नई भारत सरकार से हरेक देशभक्त हिन्दुस्थानी की यह अपेक्षा बिल्कुल उचित है कि वह कांग्रेसियों के कुच्रकों द्वारा लादी गई इस भाषा व तमाम क्षेत्रों मे उनके कानूनों को हटाकर भारत के मूल अस्तित्व को प्रतिष्ठित करें। आखिरकार यही वह कसौटी होगी जिस पर भारतीय गण्राज्य के नये हुक्मरानों को कसा जाए।
विनोद कोचर,लालबर्रा (म.प्र.)
पाक को कड़ा जवाब
दुष्ट पाक को मिला, ऐसा कड़ा जवाब
सूजे दोनों गाल हैं, सहला रहे जनाब।
सहला रहे जनाब, समझ करके रसगुल्ला
मचा रहे थे सीमा पर फिर हल्ला-गुल्ला।
कह 'प्रशांत' दे रहे मर अब जगत दुहाई
नहले पर जब आ दहले ने चोट लगाई॥
-प्रशान्त

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