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पाकिस्तान द्वारा भारत की सीमा पर बसे गांवों में लगातार गोलीबारी की जा रही है, वहीं पश्चिम बंगाल में गत 2 अक्तूबर को हुए विस्फोट में बंगलादेशियों की नापाक करतूत सामने आयी है, जो कि पश्चिम बंगाल को धमाके कर दहलाना चाहते थे। ऐसे में देश की सीमा पर दुश्मन से सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) और भारतीय सेना लोहा ले रही है। भारत-पाक सीमा पर बने हालात और बंगलादेशी घुसपैठियों के सम्बंध में बीएसएफ के पूर्व महानिदेशक अजयराज शर्मा से बातचीत की पाञ्चजन्य संवाददाता राहुल शर्मा ने, प्रस्तुत हैं उनसे हुई बातचीत के प्रमुख अंश :
इस समय पाकिस्तान द्वारा भारत की सीमा पर बसे गांवों में लगातार गोलीबारी की जा रही है। पाक की इस हरकत के पीछे क्या वजह हो सकती है?
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी की दिनों-दिन बढ़ती लोकप्रियता से पाकिस्तान बौखला गया है। इससे पूर्व भारत के साथ पाकिस्तान की सचिव स्तर की वार्ता भी रद्द हो चुकी है और मोदी जी के अमरीका दौरे पर उन्हें मिले सम्मान से पाक को गहरा आघात लगा है। पाक में सेना का सरकार पर हस्तक्षेप अधिक है। सभी जानते हैं किस तरह से परवेज मुशर्रफ सेना में रहते हुए अचानक सरकार का तख्तापलट कर खुद सत्ता मंे काबिज हो गए थे। पाकिस्तान के आंतरिक हालात इस समय बहुत खराब चल रहे हैं। उनके प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के लिए भी प्रतिकूल स्थिति बनी हुई है और वे बेबस हैं। यही वजह है कि वहां की सेना इस समय आईएसआई के इशारे पर भारतीय सीमा पर गोलाबारी कर रही है। पाक इस समय दुस्साहस कर भारत के धैर्य की परीक्षा ले रहा है, लेकिन भारत सरकार और सेना किसी भी परिस्थिति में उसका मुंहतोड़ जवाब देने में सक्षम है।
सीमा पर घुसपैठ को रोकने के लिए क्या रणनीति अपनायी जा सकती है?
बंगलादेश की सीमा पर सुरक्षा का जिम्मा बीएसएफ के हवाले है। बंगलादेश के मुकाबले पाक सीमा से घुसपैठ की संभावना कम रहती है क्योंकि पाक सीमा पर बीएसएफ और सेना दोनों तैनात हैं। कई बार कवर फायर का लाभ उठाकर घुसपैठिये भारत की सीमा में घुस आते हैं, लेकिन वर्तमान स्थिति ऐसी नहीं है। घुसपैठ रोकने के लिए खासकर बंगलादेश की सीमा पर हमें चौकी पर गश्त को बढ़ाने के साथ-साथ, गश्त के अंतराल को कम करना होगा। दरअसल गश्त करने वाली एक बटालियन के जाने के बाद घुसपैठिये उनके दोबारा वहां लौटने का समय नोट करते रहते हैं। फिर सुनियोजित तरीके से घुसपैठिये सीमा पर क टीले तार काटना शुरू कर देते हैं और मौका मिलने पर भारत की सीमा मंे घुस आते हैं। सीमा पर गश्त बढ़ाने और गश्त के अंतराल को कम करने से निश्चित ही घुसपैठ पर रोक लगाई जा सक ती है।
यदि पश्चिम बंगाल की बात करें तो क्या क्षेत्रीय राजनीतिक समीकरण घुसपैठ को बढ़ावा देने के लिए उत्तरदायी हैं, बर्द्धमान जिले में हुए विस्फोट में मारा गया आतंकी बंगलादेशी ही था, जिसने पश्चिम बंगाल के पते पर मतदाता पहचानपत्र भी बनवाया हुआ था?
बंगाल की बात करें तो साफ है कि वहां पर निरंतर बंगलादेशी अवैध रूप से घुसते हैं और बाद में राशन कार्ड या मतदाता पहचानपत्र बनवाकर भारत के निवासी बन जाते हैं। इन्हीं लोगों के माध्यम से बंगलादेश या पाक आतंकी मंसूबों में कामयाब हो जाता है। राज्य सरकार घुसपैठियों को केवल वोट बैंक के रूप में देखती है जिसके कारण देश की सुरक्षा को खतरा पैदा होता है। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि बंगलादेश भारत में पश्चिम बंगाल के रास्ते आतंकी गतिविधियां चलाने का षड्यंत्र रचता रहता है, लेकिन पश्चिम बंगाल में कांग्रेस व गैर हिन्दू राजनीतिक दल अपने वोट बैंक के लालच में घुसपैठियों को नजरअंदाज करते आ रहे हैं। हालत यह है कि दिल्ली या दूसरे राज्यों की पुलिस जब अवैध रूप से भारत में रहने वाले बंगलादेशियों को पकड़कर पश्चिम बंगाल के रास्ते उन्हें छोड़ने जाती है तो वहां राज्य सरकार व पुलिस के परस्पर सहयोग का अभाव रहता है। देश की सुरक्षा को सर्वापरि मानते हुए हुए घुसपैठियों के प्रति किसी भी राज्य सरकार को वोट बैंक के लालच में संवेदना नहीं रखनी चाहिए।
राज्यों की सीमा से होकर देश में घुसपैठ करने वालों को रोकने में क्या केन्द्र सरकार सक्षम है?
देखिए जहां तक केन्द्र सरकार की बात है तो वह राज्यों को आवश्यकता पड़ने पर हरसंभव मदद करती है, लेकिन केन्द्र के साथ-साथ राज्य सरकारों को भी अपना दायित्व निभाना होगा। पड़ोसी देशों की सीमा से सटे राज्यों में बीएसएफ और सेना के अलावा राज्य पुलिस का भी जिम्मा बनता है कि वह अपने गुप्तचर विभाग के तंत्र को मजबूत रखे। राज्य में आतंकी या किसी प्रकार की राष्ट्र विरोधी गतिविधि को रोकने के लिए राज्य सरकार और वहां की पुलिस को इच्छा शक्ति मजबूत कर कार्य करना चाहिए। इस उद्देश्य से कार्य करने पर हम आतंकी व राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में लिप्त संगठनों की कमर तोड़ सकते हैं।
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