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पिछले दिनों भोपाल में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्व सरसंघचालक स्वर्गीय कुप्. सी़ सुदर्शन पर केन्द्रित पुस्तक 'सुदर्शन स्मृति' का लोकार्पण हुआ। समारोह की मुख्य अतिथि थीं गोवा की राज्यपाल श्रीमती मृदुला सिन्हा और मुख्य वक्ता थे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह-सरकार्यवाह डॉ. कृष्ण गोपाल। समारोह को सम्बोधित करते हुए डॉ़ कृष्ण गोपाल ने कहा कि सुदर्शन जी हर विषय का बारीकी से अध्ययन कर उसके विशेषज्ञों के बीच जाते थे। वे विशेषज्ञ भी सुदर्शन जी के ज्ञान का लोहा मानते थे। इसी कारण वे मुसलमानों, सिखों और ईसाइयों का राष्ट्रवादी संगठन बनाने में सफल रहे। पूवार्ेत्तर की समस्याओं का श्री सुदर्शन जी ने गहन अध्ययन किया था। यही कारण है कि वे असम के उग्रवाद को समझ कर असम आन्दोलन को सही परिप्रेक्ष्य में समझाने में सफल रहे थे।
श्रीमती मृदुला सिन्हा ने कहा कि सुदर्शन जी प्रत्येेक व्यक्ति के गुणों को पहचान कर उनका विकास कर उसे ऊपर उठाने की कला में पारंगत थे। वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के ही नहीं, ऐसे गुणवान लोगों के भी प्रचारक थे। समारोह की अध्यक्षता करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री श्री कैलाश जोशी ने कहा कि अधिकांश लोग एक या दो विषयों के जानकार होते हैं, जबकि सुदर्शन जी विविध विषयों के ज्ञाता थे। जैविक खेती हो या अन्य विषय, सबकी बारीकियों को वे जानते थे और उनको अपनाने के लिए दूसरों को प्रेरित करते थे।
समारोह के प्रारंभ में स्वागत भाषण करते हुए 'स्वदेश भोपाल-रायपुर समाचारपत्र समूह' के अध्यक्ष एवं प्रधान सम्पादक श्री राजेन्द्र शर्मा ने कहा कि सुदर्शन जी स्वदेश के जन्मदाता थे। उनके प्रयासों से 'स्वदेश' प्रारंभ हुआ। उन दिनों जनसंघ और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के समाचारों को समाचारपत्रों में स्थान नहीं मिलता था, लेकिन स्वदेश के प्रकाशन से जो दबाव बना उसके कारण इनकी खबरें छपने लगीं। स्वदेश आज भी राष्ट्रवादी विचारों व समाचारों के प्रचार-प्रसार में यही भूमिका सफलतापूर्वक निभा रहा है। प्रारंभ में सामाजिक कार्यकर्ता हेमंत मुक्तिबोध ने विशेषांक की समीक्षा रखी। कार्यक्रम के अंत में स्वदेश के संचालक एवं प्रबंध सम्पादक अक्षत शर्मा ने आभार व्यक्त किया।
-अनिल सौमित्र
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