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पाठकों के पत्र- अंक संदर्भ : 7 सितम्बर, 2014
आवरण कथा 'प्यार अंधा या धंधा' लव जिहाद के नाम पर आज देश में एक घातक षड्यंत्र चल रहा है। प्यार के नाम पर न केवल मत परिवर्तन कराया जाना बल्कि उनका हिन्दू होने के कारण जमकर शोषण करना हर तरह से गैर कानूनी है। जो नेता और सेकुलर इसे नकारते हों उन्हें तारा शाहदेव को देखना चाहिए। सदियों से समाज देखता आया है कि इस्लाम ने न कभी देश और न ही समाज के हित में कुछ कार्य किया बल्कि सदैव से ही इस देश को लूटने और इसकी संस्कृति को नष्ट करने के ही प्रयास किए हैं। अफसोस है कि धर्म निरपेक्षता का डंका पीटने वालों को इस्लाम के काले कारनामंे और उसके षड्यंत्र दिखाई ही नहीं देते। – मनोहर मंजुल, पिपल्या-बुजुर्ग(म.प्र.)
जिस इस्लाम को सेकुलर शान्ति का मजहब बताते हैं,आज उसी के अनुयायी पूरे विश्व में अशान्ति का पर्याय बने हुए हैं। पूरे विश्व को इस्लामी रंग में रंगने का पागलपन लिए मुसलमान जिहाद के नाम पर मार-काट कर रहे हैं। मुल्ला-मौलवियों द्वारा इन आतंकियों को जन्नत में मिलने वाली 72 हूरों के चक्कर में ये मानवता के दुश्मन आज इस्लाम की ही शिक्षा-दीक्षा की कलई खोल रहे हैं। असल में इस्लाम ने कभी शान्ति और सौहार्द का संदेश दिया ही नहीं। अगर कुछ दिया है तो वह सिर्फ और सिर्फ आतंक और आतंकवादी। – रमेश कुमार मिश्र, कान्दीपुर (बिहार)
पाञ्चजन्य ने लव जिहाद पर 'प्यार अंधा या धंधा' आवरण कथा द्वारा हिन्दुओं में जागरण करने का एक सराहनीय कार्य किया है। दु:ख की बात है कि लव जिहाद आज पूरी तरह से हिन्दू जनमानस को अपने पाश में लेता जा रहा है। सवाल है कि आखिर ऐसा समाज में क्या हो रहा है, जिससे हिन्दू समाज को यह दिन देखना पड़ रहा है? क्या हमारे घर-परिवार सनातन संस्कृति से दूर होते जा रहे हैं,जिसका परिणाम ये है? इन प्रश्नों के उत्तर में निकलकर आता है कि इसके पीछे कहीं न कहीं हमारे समाज की ही गलती है,जो अपनी संस्कृति और सभ्यता को भूलकर दूसरों की नकल पर अमादा हंै, जिसके परिणाम हमारे सामने हैं। लव जिहाद से निपटने के लिए हमें पूरी तरह से कूटनीतिक व रणनीतिक तैयारी करनी होगी। नहीं तो वह दिन दूर नहीं जब हमारा समाज एक बड़े संकट में फंसता नजर आएगा। साथ ही समाज के प्रत्येक व्यक्ति को जिम्मेदारी लेनी होगी कि,जो भी लड़की इस प्रकार की समस्या में हो तत्काल उसको संरक्षण प्रदान करने की व्यवस्था करें – मृत्युंजय दीक्षित, फतेहगंज,लखनऊ(उ.प्र.)
दुनिया में प्रत्येक क्षेत्र में इस्लामवादी आतंक ही फैला रहे हैं। हिन्दू नाम रखकर हिन्दू परिवारों में प्रवेश पाकर हिन्दू समाज में करतूत करते हैं। यह कोई छोटा षड्यंत्र नहीं है,बल्कि इसके पीछे बहुत बड़ी साजिश है। प्रत्येक हिन्दू परिवार को जागरूक होकर मुसलमानों पर खास नजर रखनी होगी,क्योंकि यह कभी आपके मित्र और हित चिंतक नहीं हो सकते। इन्हें जब भी मौका मिलेगा ये आपको क्षति पहुंचाने का प्रयास करेंगे। इतिहास इसका गवाह है। – हरेन्द्र प्रसाद साहा, नयाटोला,कटिहार(बिहार)
आईएसआईएस जैसे मुस्लिम संगठनों द्वारा पूरी दुनिया में किया जा रहा नरसंहार वास्तव में उनकी वैचारिक परंपराओं का ही विस्तार है। इसीलिए दुनिया के सभी कट्टरपंथी मुसलमान उनके समर्थक व सहयोगी बन रहे हैं। इसको केवल कुछ लोगों का राक्षसी कार्य मानकर नकार देना हमारी भयकंर भूल होगी। – डॉ. सुशील गुप्ता , शालीमार गार्डन कालोनी,सहारनपुर (उ.प्र.)
कहां दुबके हैं अलगाववादी?
केन्द्र में भाजपा सरकार स्थापित होने के बाद से ही अलगाववादियों ने अपने राष्ट्रद्रोही चेहरे को बार-बार उजागर किया है। लेकिन अब जब जम्मू-कश्मीर पर कुदरत की मार पड़ी तब वहां की जनता को बचाने के लिए नजर तक नहीं आए। आखिर अब वह किस बिल में छिपे बैठे हैं? क्या अब उन्हें कश्मीर की जनता की बिल्कुल भी फिक्र नहीं है? ऐसे समय कश्मीर की जनता को सोचना चाहिए कि जिसे वे अपना दुश्मन समझते थे,आज वही उनकी जान को बचा रहे हैं और जिसे वे अपना हितैषी समझते थे वे आज उन्हें मरने के लिए छोड़कर बिलों में दुबके बैठे स्वयं की जान की परवाह कर रहे हैं। यह है इनका दोमु़ंहापन। केन्द्र सरकार को चाहिए कि अब इन अलगाववादियों से सख्ती से निपटे,क्योंकि इनकी असलियत आज पूरा देश जान चुका है। यह न तो देश के हैं और न ही जहां रहते हैं उनके हैं। इनका सिर्फ एक ही उद्देश्य है आतंक फैलाकर अपनी राजनीति चमकाना। – आनन्द मेहता सर्राफ बाजार,सहारनपुर(उ.प्र.)
पाञ्चजन्य ने लव जिहाद के घिनौने खेल की असलियत को सामने लाया है। मन में प्रसन्नता होती है,जब किसी समाचार की सत्यता के साथ खिलवाड़ न किया गया हो। क्योंकि आज अनेक मीडिया संस्थान इस मुद्दे को प्यार के तराजू में तौल रहे हैं और इसको एक कुतर्क की भांति प्रस्तुत करते हैं,लेकिन इसके नेपथ्य में वे जाते ही नहीं हैं। असल में यह प्यार नहीं बल्कि आतंक फैलाने का एक तरीका है,जिसको आज मुसलमान लड़के पूरी तरह पूरा कर रहे हैं। – विनीत, जालोरी गेट,जोधपुर(राज.)
विगत कई वर्षों से मुसलमान लड़कों द्वारा हिन्दू लड़कियों को प्यार के नाम पर फांसना पूरी तरह धोखे की बुनियाद पर टिका है। पहले हिन्दू नाम रखकर लड़की को पाश में लेना, बाद में उसके जीवन से खिलवाड़ करना और उसके बाद भी उसके साथ निकाह और फिर मतपरिवर्तन का खेल खेला जाता है। सेकुलर जमात के लोग इसे सियासी मुद्दा बताते हैं। लेकिन वह शायद सत्यता से काफी दूर हैं। हिन्दू समाज की लड़कियों को भी जागरूक होना होगा क्योंकि मुसलमान लड़के प्यार के नाम पर धोखा कर रहे हैं। – उमेदुलाल, ग्राम पटूड़ी,गढ़वाल(उत्तराखंड)
जिसको निष्पक्ष रूप से समाज को जाग्रत करने की जिम्मेदारी दी गई थी आज वही मीडिया न तो निष्पक्ष रह गया है और न ही अपने कर्तव्यों का सही तरीके से पालन कर रहा है। अनेक मीडिया संस्थान लव जिहाद जैसी गंभीर समस्या के प्रति हिन्दू जनता को सतर्क करने के बजाए उसे सेकुलर रंग चढ़ाकर प्यार का नाम देकर कसीदे गढ़ रहे हैं। यहां तक कि अगर कोई नेता लव जिहाद की पोल खोलने लगता है तो सेकुलर मीडिया उसे साम्प्रदायिक बताकर उसे समाज तोड़ने वाला साबित करने में देर नहीं लगाता। लेकिन अब चौथा स्तंभ कटघरे में है। सवाल है कि क्या सत्य को झूठ और झूठ को सच दिखाना ही मीडिया का काम रह गया है? – अभिषेक शास्त्री, तिलहर-शाहजहांपुर(उ.प्र.)
प्रभावी कानून बने
आज देश का ऐसा कोई भी राज्य नहीं होगा जहां गोतस्करी और गोहत्या अपने चरम पर न हो। सुबह होते ही लाखों गायों को मौत के घाट उतार दिया जाता है और हम सोते ही रहते हैं। आज बड़े पैमाने पर गोतस्करी हो रही है । शासन-प्रशासन के लोग भी इन गोतस्करों की मदद में लगे रहते हैं। केन्द्र सरकार को तत्काल एक कड़ा कानून बनाना होगा, तभी गोतस्करी और गोवध पर अंकुश लग सकेगा। – गोपाल कृष्ण पण्ड्या, नागदा उज्जैन(म.प्र.)
ठोस ढांचा तैयार हो!
पर्वतीय क्षेत्रों में फल एवं सब्जी उत्पादकों को प्रत्येक वर्ष बरसात के मौसम में कई समस्याओं से गुजरना पड़ता है। अपनी उपज को बाजार तक पहुंचाने के लिए अत्यधिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। जिसके कारण उपज मंडी में पहुंच ही नहीं पाती और रास्ते में ही गल-सड़ और खराब हो जाती है। जिसके कारण उत्पादकों को काफी नुकसान होता है। सरकार को चाहिए कि इस प्रकार की समस्याओं की ओर अपना ध्यान आकृष्ट करंे। – ओमप्रकाश उनियाल,देहरादून(उत्तराखंड)
गुणवत्तापूर्ण शिक्षा एक चुनौती
देश में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा अब भी एक चुनौती है। शिक्षा के निरन्तर गिरते स्तर,शिक्षकों के भारी मात्रा में रिक्त पड़े पद,आधारभूत संरचना की कमी और बच्चों के बीच में ही विद्यालय छोड़ने की समस्या आज किसी से भी छिपी नहीं है। आज भी लाखों बच्चे विद्यालयी शिक्षा से वंचित हैं। लेकिन संतोष इस बात का है कि अब प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने स्वयं इस ओर ध्यान दिया है। पहली बार 50 करोड़ से ज्यादा बच्चों से सीधे जुड़कर न केवल उनके विचारों को जाना बल्कि शिक्षा प्रणाली में सुधार के लिए किए जाने वाले उपायों से भी उन्हें अवगत कराया। – गिरीश चन्द्र पाण्डेय, सेक्टर-16 ,रोहिणी(दिल्ली)
संघ का ध्येय
आजकल कुछ लोग रा.स्व.संघ के बारे में जो भी मन में आता है बोलने लगते हैं। पर शायद उन अज्ञानियों को संघ के बारे में ज्ञान नहीं है। राजनीति और पूर्वाग्रह ही कहेंगे कि संघ द्वारा कोई अच्छा कार्य किया जाता है तो भी वे उसमें संघ की गलती ही ढूंढ़ने में लगे रहते हैं। इन सेकुलरों के अनेक सवाल रहते हैं कि संघ का ध्येय क्या है? संघ का एजेंडा क्या है? संघ का मिशन क्या है? मैं उन्हें बताना चाहता हूं कि संघ का ध्येय हिन्दुओं में इतना बल और उनमें इतनी आत्मशक्ति पैदा कर देना है कि भविष्य में कोई भी आततायी इनके भय से हिन्दुस्थान की पवित्र धरा पर अपने पैर रखने का दुस्साहस भी न कर सके। – श्रीचन्द्र जैन, धर्मपुरा विस्तार,गांधी नगर(दिल्ली)
पुरस्कृत पत्र
धोखे का माया जाल
भारतीय संस्कृति को नष्ट और विकृत करने के लिए अनेक आतंककारी गतिविधियों के माध्यम से षड्यंत्र जारी हंै। देश के अंदर और देश के बाहर मुल्ला-मौलवियों की आतंकी मानसिकता मुसलमान नवयुवकों को इस्लामी जनसंख्या बढ़े इसके लिए तैयार किया जा रहा है। हिन्दुओं की बहन-बेटियों को अनेक प्रकार से लालच देकर अपने पाश में लेकर उन्हें मुसलमान बनाया जा रहा है। पहले तो प्यार के नाम पर पागल लड़कियां अपने घरों के बड़ों की बात को तबज्जों नहीं देती,लेकिन जब 'तारा' से 'सारा' बनने की नौबत आ जाती है तो उनके पैरों तले जमीन खिसक जाती है। तब उन्हें प्यार का मतलब पता हो जाता है कि यह प्यार नहीं बल्कि यहां तो आतंकी बनाने की फैक्ट्री तैयार की जा रही है। लेकिन तब तक अत्यधिक देर हो चुकी होती है और महिलाएं और लड़कियां उन मुसलमानों की वंश वृद्धि की मशीन बनकर रह जाती हैं। देश के अधिकतर राज्यों में यह खेल खुलेआम चल रहा है। नेता इस कृत्य को उजागर करने के बजाए इस मुद्दे पर सियासत कर रहे हैं। शर्म आनी चाहिए भारत के ऐसे नेताओं को। जिन्हें अपनी संस्कृति और समाज की कोई चिंता नहीं। इस कठिन परिस्थिति में हिन्दू समाज की महिलाओं और लड़कियों को स्वयं जागरूक होना होगा और समझना होगा कि ये तारा से सारा बनाने के खेल के पीछे प्रेम नहीं बल्कि कुछ और है जिसका माध्यम हम हैं। – सूर्यवंशी, निम्बाखेड़ा-चित्तौड़गढ़(राज.)
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