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गत 7 सितम्बर को गुड़गांव में ह्यस्वदेशी संगोष्ठीह्ण का आयोजन किया गया। गोष्ठी की अध्यक्षता प्रसिद्ध पर्यावरणविद् डॉ़ सर्वदानन्द आर्य ने की। संगोष्ठी में स्वदेशी जागरण मंच के राष्ट्रीय सह संयोजक डॉ़ अश्विनी कुमार महाजन ने कहा कि स्वदेशी की विचारधारा भारत को जड़ांे से जोड़ने वाली विचारधारा है। अगर आज स्वदेशी जागरण मंच के नेतृत्व में भारत की आम जनता विदेशी कम्पनियों के षड्यंत्रों के खिलाफ एकजुट नहीं हुई तो भारत एक बार फिर से विदेशी ताकतों का गुलाम हो सकता है।
कृषि वैज्ञानिक डॉ. कृष्णवीर चौधरी ने कहा कि रासायनिक खाद और कीटनाशकों के प्रभाव से भारतीय पद्धति से कृषि करने का ज्ञान क्षीण हो रहा है। आज आवश्यकता इस बात की है कि किसान भारतीय परम्परा से बनने वाली देशी खाद और देशी कीटनाशकांे का पुन: प्रयोग करें। वरिष्ठ अधिवक्ता श्री योगेश सक्सेना ने कहा कि आज की शिक्षा गरीब और अमीर का अन्तर बढ़ा रही है। गुरुकुल पद्धति वाली शिक्षा ही भारतीयों का हित कर सकती है। विशिष्ट अतिथि और सुरक्षा प्रबन्धन वैज्ञानिक डॉ़ अरुण श्रीवास्तव ने कहा कि भारत के किसानों के पास बीजों के संकलन की सर्वोत्तम परम्परा रही है, लेकिन सरकारों ने इस क्षेत्र में विदेशी कम्पनियों को आमंत्रित कर किसानों का बड़ा नुकसान किया है। डॉ. सर्वदानन्द आर्य ने स्वदेशी को भारत की आत्मा बताया। 50 वर्ष पहले तक मौलिक रूप से स्वदेशी को जानते थे, मानते थे लेकिन कुछ भ्रष्ट राजनेताओं ने आजादी के बाद से ही विदेश का अन्धानुकरण किया और देश के आम व्यक्ति को देश का इस अवसर पर स्वदेशी जागरण मंच की गुड़गांव महानगर इकाई का औपचारिक गठन भी हुआ। -प्रतिनिधि
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