इंचियोन एशियाई खेल दावे में है दम
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प्रवीण सिन्हा
इंतजार की घडि़यां समाप्त हुईं। दक्षिण कोरिया के इंचियोन शहर में 17वें एशियाई खेलों का आगाज हो चुका है। इसके साथ ही एशियाई खेल शक्ति के रूप में स्थापित हो रहे भारत की कड़ी परीक्षा का दौर भी शुरू हो गया। इस बात में कोई शक नहीं है कि भारत को खेल के सुपर पावर चीन, जापान और दक्षिण कोरिया से कड़ी चुनौती मिलेगी। इतिहास गवाह है, 1951 में एशियाई खेलों के पदार्पण वर्ष में भारत ने अपनी मेजबानी में 15 स्वर्ण सहित कुल 51 पदक जीतते हुए सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया था। दिल्ली में हुए उस पहले एशियाई खेल की पदक तालिका में भारत दूसरे स्थान पर रहा था। उसके बाद 63 वषोंर् के लम्बे अंतराल में भारत अपने उस प्रदर्शन को कभी दोहरा नहीं पाया। हां, पिछले 21वें ग्वांगझू एशियाई खेलों में 14 स्वर्ण सहित कुल 65 पदक जीत भारत जरूर सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के बेहद करीब पहुंच गया था। लेकिन, बढ़ती प्रतिद्वंद्विता के बीच पदक तालिका में भारत छठे स्थान पर पिछड़ गया। जाहिर है, भारत इस बार इंचियोन में न केवल 15 स्वर्ण पदकों के आंकड़े को पार करने की कोशिश करेगा, बल्कि कुल पदकों के मामले में भी पिछले एशियाड को पीछे छोड़ना चाहेगा। भारत के लिए अच्छी बात यह है कि इंचियोन एशियाई खेलों से पहले खिलाडि़यों को पिछले महीने ग्लासगो कॉमनवेल्थ गेम्स में अपनी तैयारियों को आंकने का अच्छा मौका मिला था। हालांकि राष्ट्रमण्डल खेलों की तुलना में एशियाई खेलों में कहीं ज्यादा कड़ी प्रतिद्वंद्विता होती है। लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर की किसी प्रतियोगिता में भाग लेते हुए खिलाड़ी अपनी तैयारी का बेहतर आकलन कर सकते हैं। ग्लासगो में भारतीय पहलवानों सहित निशानेबाजों, भारोत्तोलकों, मुक्केबाजों और बैडमिंटन खिलाडि़यों ने अच्छा प्रदर्शन किया था। बीजिंग ओलंपिक के स्वर्ण पदक विजेता अभिनव बिंद्रा एशियाई खेलों में अब तक व्यक्तिगत स्पर्द्धा का स्वर्ण पदक नहीं जीत पाए हैं, जबकि कुश्ती में हर तरफ धमाल मचा रहे भारत को एशियाई खेलों का अंतिम स्वर्ण पदक 28 साल पहले 1986 सियोल एशियाड में करतार सिंह ने दिलाया था। जाहिर है, अभिनव इंचियोन में अपनी टीस को दूर करने को आतुर होंगे जहां उनकी ताकत साबित हो सकती है।
जोर के झटके
भारत की ओर से दो बार के ओलंपिक पदक विजेता स्टार पहलवान सुशील कुमार, दिग्गज टेनिस स्टार लिएंडर पेस व रोहन बोपन्ना, महिला युगल विशेषज्ञ बैडमिंटन खिलाड़ी ज्वाला गुट्टा और स्टार मुक्केबाज विजेंदर सिंह विभिन्न कारणों से इंचियोन एशियाई खेलों में भाग नहीं ले रहे हैं। एशियाई खेलों को ओलंपिक के बाद दूसरी सबसे प्रतिष्ठित और कड़ी प्रतिद्वंद्विता वाली प्रतियोगिता माना जाता है। इस स्थिति में चंद बेहद अनुभवी खिलाडि़यों के न होने से भारत के पदकों की उम्मीदों को निश्चित तौर पर करारा झटका लगा है, लेकिन अभियान पर नहीं।
फिर भी है दम
अभिनव बिंद्रा, गगन नारंग, हीना सिद्घू, सायना नेहवाल, पी कश्यप, पी वी सिंधू, सानिया मिर्जा, योगेश्वर दत्त, अमित कुमार, जोशना चिनप्पा, दीपिका पल्लीकल, एल देवेंद्रो सिंह, दीपिका कुमारी, विकास गौड़ा, प्रीजाश्रीधरन और भारोत्तोलक रवि कुमार व सतीश शिवालंगम जैसे प्रतिभाशाली खिलाड़ी भारतीय परचम लहराने में सक्षम हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ये सभी खिलाड़ी अपनी पहचान बना चुके हैं और अगर कोई भारी उलटफेर नहीं हुआ तो इन सभी से पदक जीतने की उम्मीद की जा सकती है। इसके अलावा सबसे अच्छी बात यह है कि ग्लासगो राष्ट्रमण्डल खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाले 15 भारतीय खिलाडि़यों में से सुशील कुमार को छोड़ सभी 14 खिलाड़ी इंंचियोन में चुनौती पेश करेंगे।
स्वर्ण पर निशाना
भारतीय निशानेबाजों ने तमाम अंतरराष्ट्रीय स्पर्द्धाओं में परचम लहराए है। हालांकि चीन और कोरिया जैसे सशक्त प्र्रतिद्वंद्वियों के आगे एशियाई खेलों में भारत आशा के अनुरूप दमदार प्रदर्शन नहीं कर पाया है। लेकिन इस बार भारतीय निशानेबाज असफलताओं को पीछेे छोड़ स्वर्ण पर निशाने साधने को दृढ़ प्रतिज्ञ नजर आ रहे हैं। एशियाई खेलों में भारत अब तक छह स्वर्ण सहित कुल 4 पदक जीत चुका है जिसमें पिछली बार एक स्वर्ण सहित आठ पदक भारत की झोली में आए थे। भारत ग्वांगझू एशियाड से बेहतर प्रदर्शन करने का माद्दा रखता है। ओलंपिक पदक विजेता अभिनव बिंद्रा और गगन नारंग जैसे अनुभवी राइफल शूटर इन दिनों काफी अच्छी फर्म में चल रहे हैं, जबकि उनके साथ लंदन ओलंपिक के रजत पदक विजेता विजय कुमार और पिछले दिनों विश्व चौंपियनशिप में रजत जीत 216 रियो ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करने वाले भारत के पहले शूटर जीतू राय पिस्टल स्पर्द्धाओं में पदक के प्रबल दावेदार हैं। ग्लासगो राष्ट्रमण्डल खेल में अभिनव बिंद्रा और जीतू राय स्वर्ण पर निशाने साध चुके हैं, जबकि महिला वर्ग में उनके साथ स्वर्ण जीत चुकीं युवा अपूर्वी चंदेला और राही सरनोबत के दावे को भी कतई नकारा नहीं जा सकता है। यही नहीं, टीम की ताकत बढ़ाने के लिए अंजलि भागवत, समरेश जंग, मनशेर सिंह और जयदीप करमाकर जैसे धुरंधर शूटर मौजूद हैं। इस स्थिति में हम भारतीय निशानेबाजों से इस बार सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन की उम्मीद कर सकते हैं।
कुश्ती में नहीं हैं कम
एशियाई खेलों में भारत की ओर से 28 साल पहले 1986 के सियोल एशियाई खेलों में करतार सिंह ने कुश्ती का अंतिम स्वर्ण पदक जीता था। इसके बाद कुश्ती में भारत को कोई विशेष सफलता नहीं मिल सकी। 26 दोहा एशियाड में भारतीय पहलवानों ने जहां छह पदक जीते थे, वहीं 21वें ग्वांगझू में पदकों की संख्या घटकर तीन रह गईं। जाहिर है, कुश्ती में एक पावरहाउस के रूप में स्थापित हो चुके भारतीय पहलवान इस बार इंचियोन में असफलता का दौर समाप्त करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। सुशील कंधे में चोट के कारण इंचियोन एशियाड में भाग नहीं ले रहे हैं, इसलिए भारत का दारोमदार काफी हद तक 2012 लंदन ओलंपिक के कांस्य पदक विजेता योगेश्वर दत्त पर रहेगा। योगेश्वर ने इंचियोन रवाना होने से पहले कहा, हालांकि हमें सुशील की कमी काफी खलेगी, लेकिन इंचियोन में हम फ्रीस्टाइल वर्ग में कुछेक स्वर्ण सहित कम से कम चार-पांच पदक जीतने की उम्मीद कर रहे हैं। वैसे भी, एशियाई खेलों में पदक जीतने का मतलब है जैसे विश्व चैंपियनशिप का पदक जीतना।
योगेश्वर के अलावा ग्लासगो राष्ट्रमण्डल खेलों के स्वर्ण पदक विजेता और विश्व चौंपियनशिप के कांस्य पदक विजेता अमित कुमार भी 57 किलोग्राम फ्रीस्टाइल वर्ग में स्वर्ण पदक के प्रबल दावेदार माने जा रहे हैं। छत्रसाल अखाड़े के प्रमुख महाबली सतपाल का मानना है कि अमित में ताकत के साथ जबरदस्त फुर्ती है जिसके बल पर वह अपने प्रतिद्वंद्वियों को बड़ी जल्दी परास्त कर देता है। हालांकि अमित को विश्व के नंबर एक पहलवान ईरान के हसन रहीमी से कड़ी चुनौती मिलेगी। इसी तरह नरसिंह यादव, प्रवीण राणा और पवन कुमार जैसे प्रतिभाशाली पहलवानों से भारत को काफी उम्मीदें हैं। दूसरी ओर, ग्रीको रोमन वर्ग में भारत परंपरागत रूप से एक मजबूत दावेदार माना जाता है। इंचियोन में रवींद्र और गुरप्रीत सहित सात पहलवान भारत की ओर से चुनौती पेश करेंगे। इसी तरह महिला वर्ग में ग्लासगो राष्ट्रमण्डल खेल की स्वर्ण पदक विजेता विनेश सहित बबीता कुमारी और गीतिका जाखड़ जैसी अनुभवी पहलवान पदक की दावेदारी पेश करेंगी।
मुक्के में है दम
कुश्ती की ही तरह भारतीय मुक्केबाज भी अब किसी प्रतियोगिता में महज भागीदारी के लिए नहीं, बल्कि पदक जीतने के इरादे से उतरते हैं। विजेंदर सिंह के 28वें बीजिंग ओलंपिक में पदक जीतने के बाद देश में मुक्केबाजी में जबरदस्त सुधार देखने को मिला। कई युवा प्रतिभाशाली मुक्केबाज अंतरराष्ट्रीय स्तर पर धमाकेदार प्रदर्शन करने लगे। इसी विश्वास का नतीजा है कि शिव थापा और एल देवेंद्रो सिंह जैसे आक्रामक युवा भारतीय मुक्केबाजों के आगे प्रतिद्वंद्वी कभी सहज महसूस नहीं करते। पिछले एशियाई खेलों के स्वर्ण पदक विजेता विकास कृष्णन और ग्लासगो में रजत पदक जीत चुके मनदीप जांगड़ा से इस बार काफी उम्मीदें हैं। इसी तरह महिला वर्ग में पांच बार की पूर्व विश्व चौंपियन एम सी मैरीकॉम और ग्लासगो में रजत पदक जीतकर लौटीं एल सरिता देवी स्वर्णिम पंच लगाने में सक्षम हैं।
चीनी दीवार में लगाई है सेंध
लंदन ओलंपिक की कांस्य पदक विजेता साइना नेहवाल ने सबसे पहले चीनी महिला खिलाडि़यों का वर्चस्व तोड़ते हुए न केवल उन्हें शिकस्त दी, बल्कि विश्व रैंकिंग में भी नंबर दो पर काबिज हो गईं। इसके बाद युवा सनसनी पी.वी. सिंधू ने भी एक के बाद एक चीनी खिलाडि़यों को मात देते हुए कई खिताब जीते। जाहिर है, इंचियोन में चीनी खिलाडि़यों के अलावा जिन पर सबकी निगाहें रहेंगी उनमें सायना नेहवाल और पी. वी. सिंधू भी शामिल रहेंगी। वैसे भी, लगातार दो विश्व कप में पदक जीतने वाली एकमात्र भारतीय महिला खिलाड़ी सिंधू ने ग्लासगो में कांस्य पदक जीत अपनी फार्म का परिचय दे दिया है। टीम में ग्लासगो राष्ट्रमंडल के स्वर्ण पदक विजेता पी कश्यप भी मौजूद हैं जिससे भारत का दावा काफी मजबूत नजर आ रहा है।
इन खेलों के अलावा एशियाई खेलों में एथलेटिक्स में भारत का प्रदर्शन अच्छा रहा है। इस बार डिस्कस थ्रोअर विकास गौड़ा व सीमा पुनिया सहित महिलाओं की लंबी दूरी की दौड़ में प्रीजा श्रीधरन से काफी उम्मीदें रहेंगी। अश्विनी अकुंजी की प्रतिबंध से वापसी के बाद महिलाओं की चार गुणा 4 मीटर रिले टीम का दावा भी मजबूत हुआ है, जबकि पैदल चाल में भारतीय एथलीट काफी अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं। कमोबेश यही स्थिति दीपिका कुमारी के नेतृत्व में तीरंदाजी टीम की भी है। टेनिस में सानिया मिर्जा को छोड़ करीबन सारे स्टार खिलाड़ी इस बार इंचियोन एशियाड में भाग नहीं ले रहे हैं। लेकिन पिछले दिनों यूएस ओपन मिश्रित युगल का खिताब जीतने वाली सानिया मिर्जा में युवा खिलाडि़यों को प्रेरित करने की क्षमता है। इसी तरह स्क्वैश में सौरव घोषाल सहित ग्लासगो में स्वर्ण पदक जीत चुकीं जोशना चिनप्पा व दीपिका पल्लीकल से भी पदकों की उम्मीद की जा रही है। इस स्पर्द्धा में हालांकि भारत को हांगकांग और मलेशिया से कड़ी चुनौती जरूर मिलेगी, लेकिन भारतीय टीम पोडियम तक पहुंचने की प्रबल दावेदार है।
19 सितम्बर से चार अक्तूबर तक होगा खेलों का आयोजन
भारत ने एशियाई खेलों के लिए 679 सदस्यीय भारी-भरकम दल भेजा है
भारतीय खिलाड़ी कुल 23 स्पर्द्धाओं में भाग लेंगे
एशियाई खेलों में कुल 36 खेलों को शामिल किया गया है
इसमें कुल 439 स्वर्ण पदक दांव पर लगे होंगे
चीन का 900 सदस्यीय सबसे बड़ा दल होगा, जबकि ब्रूनेई का सबसे छोटा 11 सदस्यीय दल
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