स्वदेशी हित चिंता के लिए शिवाजी सी सतर्कता
July 16, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

स्वदेशी हित चिंता के लिए शिवाजी सी सतर्कता

by
Sep 20, 2014, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

दिंनाक: 20 Sep 2014 17:06:07

 

 

 

.

अयोध्या प्रसाद गुप्त 'कुमुद'

सामने खंजर है तने हैं तब बचें कैसे?
हम स्वयं के बुद्धि कौशल, चौकसी से
इतिहास का एक प्रसंग है, छत्रपति शिवाजी और मुगलसरदार अफजल खां का। उसने शिवाजी को संधि का प्रस्ताव भेजा, लेकिन उसने बिल्कुल नि:शस्त्र, बिना सहयोगी या सेना के एकांत में वार्ता करने की शर्त रखी। शिवाजी सतर्क थे तो बघनखा धारण करके चले गए। जैसे ही अफजल खां ने आलिंगन भेंट करके कटार खींचकर शिवाजी पर आक्रमण किया, शिवाजी ने उसे बघनखे से चीर डाला। उसकी जीवनलीला समाप्त हो गई। इससे शिक्षा मिलती है कि शत्रु से हर स्तर पर सावधानी तथा शत्रुता अपेक्षित है। आज भारतीय और स्वदेशी के जो आस्तीनी सांप हैं, उनसे सतर्क रहना भी आवश्यक है।
कुछ और ऐतिहासिक घटनाक्रम का विहंगावलोकन करें। इंग्लैंड में 1599 ई. में ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना हुई। उसका प्रमुख उद्देश्य व्यापार की आड़ में साम्राज्यवादी विस्तारवाद था। उन दिनों सूरत भारत में प्रमुख निर्यात केंद्र था। यहां से मसाले, कपास, नील, वानस्पतिक रंग पूरे संसार में जाते थे। इसलिए उस कंपनी ने मुगल बादशाह जहांगीर के दरबार में सर टामस रो नामक अंग्रेज को भेजकर वहां व्यापार की अनुमति मांगी। विदित हो कि उन दिनों भारत को इसी समृद्धि के कारण ' सोने की चिडि़या'कहा जाता था।
यहां पर उस कालखंड में विश्व-व्यापार की पूर्व-पीठिका समझना आवश्यक है। उन दिनों व्यापार समुद्री मार्ग से होते थे तथा जल दस्युओं के भय से नौसेना भी उनके साथ रहती थी। समुद्र में नौसेना के वर्चस्व तथा प्रभुत्व का संघर्ष था। कई देशों ने अपने-अपने प्रतिनिधियों को भेजकर समुद्री मार्ग खोजे, उनमें कोलंबस तथा वास्कोडीगामा प्रमुख थे। परवर्ती ने 1498 में भारत का मार्ग खोजा। इस क्षेत्र में उस समय स्पेन, डच, पुर्तगाल, इंग्लैंड की जबरदस्त प्रतिस्पर्द्धा में इंग्लैंड ने स्पेन को हराकर अपना वर्चस्व स्थापित कर लिया। उन्होंने यह भी पता किया कि भारत के ऋषियों, मुनियों तथा प्राच्य वैज्ञानिकों ने वानस्पतिक अनुसंधान करके उनके औषधीय उपयोग एवं आरोग्यता के लिए नित्य भोजन में मसालों के उपयोग भारतीय जीवन शैली में परंपरा के रूप में पोषित किया था। इससे सभी देशों की निगाह भारत के मसालों पर थी। उनका प्रवेश मार्ग सूरत अंग्रेजों के व्यापार पर कब्जा करने का केंद्र बन गया। बताते हैं कि एक अंग्रेज डॉक्टर से जहांगीर ने इलाज कराया था। बादशाह को राहत मिली। उसने जहांगीर को विश्वास में लेकर अन्य क्षेत्रों में व्यापार का विस्तार कर लिया।
ईस्ट इंडिया कंपनी का एक प्राइवेट प्रतिष्ठान था, उसका निदेशक मंडल था। वह कर के रूप में इंग्लैंड को राजस्व भेजती थी। कंपनी ने अपनी व्यापारिक सुरक्षा के लिए सेना रखने की अनुमति मांगी। देश में उस समय सैकड़ों देसी रियासतें थीं। वहां होकर देश के अन्य भागों में जाने के लिए कंपनी ने संधियां कीं। उन राज्यों को समझाया कि वे अपनी सेना से उन राज्यों की रक्षा करेंगे। कुछ राज्यों ने संधि से इंकार तथा उनसे युद्ध लड़े। सबसे पहले 1757 में प्लासी के मैदान में नवाब सिराजुद्दौला को परास्त करके बंगाल का राज्य कब्जा किया। 1764 में बक्सर के मैदान में मुगल बादशाह को पराजित कर उत्तर तथा मध्यभारत पर कब्जा किया। 1798 में दक्षिण भारत में टीपू सुल्तान, 1802में बेसिन में मराठे, पंजाब के रंजीत सिंह सबके राज्य अंग्रेजों के कब्जे में आ गए। लार्ड डलहौजी ने संधि में एक और शर्त बढ़ा दी कि उत्तराधिकार का कोई विवाद तय करने अथवा निसंतान को गोद लेने की अनुमति कंपनी देगी, अन्यथा राज्य जब्त कर लिया जाएगा। इस राज्य हड़पो नीति, राजस्व की कठोर एवं अपमानजनक वसूली नीति से राज्यों-रियासतों में विद्रोह खड़ा हुआ। जो 1857 की क्रांति के रूप में सामने आया। इन विद्रोहों की शिकायत 'ब्रिटेन क्राउन'से की गई। जांच बैठी, गलत तरीकों से सत्ता हथियाने, राजस्व बढ़ाने अत्याचार करने के कारण ईस्ट इंडिया कंपनी का व्यापार लाइसेंस रद्द करके वापस इंग्लैंड बुला लिया गया। सत्ता पर ब्रिटिश क्राउन का वर्चस्व हो गया। उन अत्याचारों के खिलाफ नब्बे वर्ष तक संघर्ष करना पड़ा। तब कहीं 1947 में देश को स्वाधीनता मिली। 'फूट डालो शासन करो ' के सूत्रधार अंग्रेज जाते-जाते इस देश के टुकड़े कर गए। आज फिर अनेक देश भारत में व्यापारिक संधियों के माध्यम से प्रवेश का मार्ग ढूंढ रहे हैं। विश्व व्यापार संगठन की संधियां भी उसी दुश्चक्र की भूमिका है। अपने मुक्तक उद्धृत करना यहां प्रासंगिक है।
अर्थ के आकाश पर कुहरा घना है।
अब उजाले का सहारा अनमना है।
जो तिजारत से सियासत खेलता है,
फिर उसी इतिहास की संभावना है।
यहां कुहासा तो क्षणिक है,
इसे छंटना ही पड़ेगा।
सूर्य चमकेगा प्रखर तब, मार्ग से हटना पड़ेगा।
पक्ष बदल देते स्वयं इतिहास का, भूगोल का उस सतेजस शक्ति सम्मुख,
तमस को कटना पड़ेगा।
इस सिंहावलोकन का संदेश है कि हम विश्व-व्यापार को बढ़ावा दें, लेकिन सतर्कता के साथ ताकि उनका प्रवेश और निवेश इतिहास की पुनरावृत्ति न कर सके। खतरा केवल कृषि-व्यापार के क्षेत्र में ही नहीं है। मैकाले-मार्क्स तथा मदरसों के मकार ने अपने अनुयायियों की फौज खड़ी कर दी है। इनमें से अनेक अवांछनीय तत्व, आस्तीन के सांप बनकर घात लगाए हैं। इन अनुयायियों ने कला, संस्कृति, शिक्षा, परंपरा, जीवन शैली की जड़ों में मट्ठा डालकर भारतवासियों की एक बड़ी संख्या का मस्तिष्क प्रक्षालन किया है। अपनी समृद्ध परंपराओं को हीन बताने का उपक्रम किया। हमारे संघर्षपूर्ण तेवर, दांव रहित नियोजन तथा कार्य संस्कृति से ही स्वदेशी भावना को बल मिलेगा। कविवर जयशंकर प्रसाद के शब्दों में- 'कर्मयज्ञ से जीवन के सपने का स्वर्ग मिलेगा। इसी विपिन में मानस की आशा का कुसुम खिलेगा।' ल्ल

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

ए जयशंकर, भारत के विदेश मंत्री

पाकिस्तान ने भारत के 3 राफेल विमान मार गिराए, जानें क्या है एस जयशंकर के वायरल वीडियो की सच्चाई

Uttarakhand court sentenced 20 years of imprisonment to Love jihad criminal

जालंधर : मिशनरी स्कूल में बच्ची का यौन शोषण, तोबियस मसीह को 20 साल की कैद

पिथौरागढ़ में सड़क हादसा : 8 की मौत 5 घायल, सीएम धामी ने जताया दुःख

अमृतसर : स्वर्ण मंदिर को लगातार दूसरे दिन RDX से उड़ाने की धमकी, SGPC ने की कार्रवाई मांगी

राहुल गांधी ने किया आत्मसमर्पण, जमानत पर हुए रिहा

लखनऊ : अंतरिक्ष से लौटा लखनऊ का लाल, सीएम योगी ने जताया हर्ष

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

ए जयशंकर, भारत के विदेश मंत्री

पाकिस्तान ने भारत के 3 राफेल विमान मार गिराए, जानें क्या है एस जयशंकर के वायरल वीडियो की सच्चाई

Uttarakhand court sentenced 20 years of imprisonment to Love jihad criminal

जालंधर : मिशनरी स्कूल में बच्ची का यौन शोषण, तोबियस मसीह को 20 साल की कैद

पिथौरागढ़ में सड़क हादसा : 8 की मौत 5 घायल, सीएम धामी ने जताया दुःख

अमृतसर : स्वर्ण मंदिर को लगातार दूसरे दिन RDX से उड़ाने की धमकी, SGPC ने की कार्रवाई मांगी

राहुल गांधी ने किया आत्मसमर्पण, जमानत पर हुए रिहा

लखनऊ : अंतरिक्ष से लौटा लखनऊ का लाल, सीएम योगी ने जताया हर्ष

छत्रपति शिवाजी महाराज

रायगढ़ का किला, छत्रपति शिवाजी महाराज और हिंदवी स्वराज्य

शुभांशु की ऐतिहासिक यात्रा और भारत की अंतरिक्ष रणनीति का नया युग : ‘स्पेस लीडर’ बनने की दिशा में अग्रसर भारत

सीएम धामी का पर्यटन से रोजगार पर फोकस, कहा- ‘मुझे पर्यटन में रोजगार की बढ़ती संख्या चाहिए’

बांग्लादेश से घुसपैठ : धुबरी रहा घुसपैठियों की पसंद, कांग्रेस ने दिया राजनीतिक संरक्षण

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies