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गोरक्षपीठाधीश्वर महंत अवैद्यनाथ जी महाराज 12 सितम्बर को गोरखपुर में ब्रह्मलीन हो गए। वे 97 वर्ष के थे। महंत जी एक महीने से गुड़गांव के मेदान्ता अस्पताल में भर्ती थे। 12 सितम्बर को महंत जी के स्वास्थ्य में तेजी से गिरावट होने लगी तो उन्हें विशेष विमान से गोरखपुर लाया गया। वहीं उन्होंने इस नश्वर शरीर को त्यागा। 13 सितम्बर को वरिष्ठ भाजपा नेता श्री लालकृष्ण आडवाणी, केन्द्रीय गृहमंत्री श्री राजनाथ सिंह सहित अनेक वरिष्ठ सन्तों और श्रद्धालुओं ने गोरखपुर पहंुचकर उन्हें श्रद्धांजलि दी। श्री लालकृष्ण आडवाणी ने उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए कहा, ह्यसन्त के रूप में वे जहां समाज को नई दिशा देते थे, वहीं सांसद के नाते विकास के काम करवाते थे।ह्ण
14 सितम्बर को विधि-विधान से गोरक्षपीठ परिसर में ही उन्हें समाधि दी गई। इस अवसर पर देश के अनेक वरिष्ठ सन्त-महात्मा और हजारों भक्त उपस्थित थे।
विश्व हिन्दू परिषद् के संरक्षक श्री अशोक सिंहल ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर उन्हें श्रद्घांजलि देते हुए कहा, ह्यपूज्य अवैद्यनाथ जी श्रीराम जन्मभूमि आन्दोलन के प्राण थे। 1984 में उन्होंने इस आन्दोलन का नेतृत्व संभाला था। सबको साथ लेकर चलने की उनमें विलक्षण प्रतिभा थी। उसी के परिणामस्वरूप श्रीराम जन्मभूमि मुक्ति आन्दोलन के साथ सभी सम्प्रदायों, दार्शनिक परम्पराओं के जगद्गुरु, आचार्य, श्रीमहंत, महंत, महामण्डलेश्वर एवं अन्य सन्त महापुरुष जुड़ते चले गए। 1989 के प्रयाग महाकुम्भ के अवसर पर जब श्रीराम शिलापूजन कार्यक्रम का निर्णय हो रहा था तो उस समय सारा कुम्भ जन्मभूमि आन्दोलन के साथ जुड़ गया था।
हिन्दू समाज की एकता को बनाए रखने तथा समाज से छुआछूत जैसी बुराई को मिटाने के कार्य को उन्होंने अपने जीवन का ध्येय बना लिया था। उन्हीं के प्रयत्नों से काशी में धर्म संसद के अवसर पर वे सन्त-महापुरुषों को अपने साथ लेकर डोम राजा के घर गए थे। वहां प्रसाद ग्रहण किया था। उन्हीं के आग्रह पर डोम राजा धर्म संसद में पधारे थे। महंत अवैद्यनाथ जी महाराज द्वारा छुआछूत जैसी सामाजिक बुराई को दूर करने के लिए किया गया प्रयास सभी सन्तों के लिए अनुकरणीय है। देश में हिन्दुत्व अभिमानी सरकार बने, इसके लिए वे राजनीतिक क्षेत्र में भी प्रयत्नशील रहे और उनके जीवन काल में ही हिन्दुत्व अभिमानी सरकार स्थापित भी हो गई, इसका सन्तोष उन्हें अवश्य ही रहा होगा। परन्तु अयोध्या में भगवान श्रीराम की जन्मस्थली पर एक भव्य मन्दिर का निर्माण होता वे नहीं देख पाए, इसकी पीड़ा उन्हें अन्तिम समय तक थी। अयोध्या, मथुरा और काशी के पवित्र स्थानों की मुक्ति हेतु बनी ह्यधर्मस्थान मुक्ति यज्ञ समितिह्ण के वे प्रथम संस्थापक अध्यक्ष थे और अन्त तक उन्होंने ही इस समिति को जीवित रखा।
इन तीनों ही स्थानों पर बने मन्दिरों को कभी विदेशी आक्रमणकारियों ने तोड़ा था, इसलिए इन तीनों स्थानों को वापस प्राप्त करके उन पर पुन: भव्य मन्दिर का निर्माण करने से ही गुलामी का कलंक मिट सकेगा और हिन्दू समाज का मस्तक ऊंचा होगा, यह महाराजश्री का स्थिर विचार था। इसीलिए धर्मस्थान मुक्ति यज्ञ समिति बनी थी। निश्चित ही पूज्य महाराजश्री की तपस्या के परिणामस्वरूप अपना देश इन तीनों स्थानों पर भव्य मन्दिरों का निर्माण देख सकेगा। गोरक्षपीठ के माध्यम से शिक्षा, चिकित्सा, स्वावलम्बन आदि क्षेत्रों में चल रहे समाज सेवा के कार्यों को वे सदैव प्रोत्साहित करते रहे। उनके ये कार्य सारे देश के लिए उदाहरण हैं। महाराजश्री ने अपना उत्तराधिकारी भी एक ऐसे व्यक्ति को चुना जो राष्ट्र, हिन्दुत्व और हिन्दू जीवन मूल्यों के प्रति पूर्ण समर्पित है।
महाराजश्री कहा करते थे कि गोरक्षपीठ देश, धर्म और संस्कृति के प्रति सदैव समर्पित रही है और भविष्य में भी रहेगी। विश्व हिन्दू परिषद् के लिए महाराजश्री का अभाव एक अपूरणीय क्षति है। हम महाराजश्री के मार्गदर्शन से वंचित हो गए, इस कष्ट को मैं व्यक्त नहीं कर सकता। मैं अन्तिम समय में महाराजश्री के दर्शन के लिए मेदान्ता अस्पताल में भी गया। वे इतनी जल्दी चले जाएंगे, ऐसा नहीं सोचता था, परन्तु विधाता ही अपना विधान जानते हैं।ह्ण
वहीं विश्व हिन्दू परिषद् के अंतरराष्ट्रीय कार्याध्यक्ष डॉ. प्रवीण तोगडि़या ने कहा, ह्यपरम पूजनीय महंत योगी अवैद्यनाथ जी देश-विदेश में हमारे जैसे अनेक लोगों की, असीम प्रेरणा बने रहे। उन्होंने योगी आदित्यनाथ जी जैसे समर्थ, हिन्दू योद्धा संत तैयार किए। पू़ महंत जी भारत में सभी जातियों में एकता लाने के लिए कार्य करते थे। महंत जी के चले जाने से भारत ने एक ह्यसमरस हिन्दू योद्धाह्ण खोया है।ह्ण
विश्व हिन्दू परिषद् के अन्तरराष्ट्रीय संगठन मंत्री श्री दिनेश चन्द्र ने कहा, ह्यमुझे विश्वास है कि परमपिता परमेश्वर पूज्य महंत जी की आत्मा को अपने धाम में स्थान देंगे ही, साथ ही उस परमपिता से यह प्रार्थना है कि हमें भी वह शक्ति दें, जिससे उनके दिखाए मार्ग एवं आदर्शों पर चलते हुए हम अपने प्रिय सनातन हिन्दू राष्ट्र को फिर से जगद्गुरु के सिंहासन पर विराजमान कर सकें।ह्ण पाञ्चजन्य परिवार की ओर से भी स्व. महंत अवैद्यनाथ जी को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित है।
14 सितम्बर को महंत जी को समाधि देने से पूर्व योगी आदित्यनाथ को गोरक्षपीठ का महंत बनाया गया। इस अवसर पर नाथ सम्प्रदाय के अनेक सन्त उपस्थित थे। -प्रतिनिधि
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