|
पाञ्चजन्य के सम्पादक रहे श्री गिरीशचन्द्र मिश्र का निधन 17 सितम्बर की प्रात: ह्दय गति रुक जाने से हो गया। वे इन दिनों विवेकानन्दपुरी,सीविल लाइंस,सीतापुर(उ. ़प्ऱ) में रह रहे थे। 10 अप्रैल, 1928 को महमूदाबाद में जन्मे श्री मिश्र एक मेधावी छात्र, सफल अंग्रेजी शिक्षक एवं पत्रकार के अतिरिक्त सिद्धहस्त लेखक तो थे ही, निष्ठावान् स्वयंसेवक तथा समाज-सेवा के क्षेत्र में भी सक्रिय रहते थे। गिरीश जी ग्वालियर के क्वीन विक्टोरिया कॉलेज (वर्तमान रानी लक्ष्मीबाई महाविद्यालय) में श्री अटल बिहारी वाजपेयी के सहपाठी रहे थे। उनका यह परस्पर सख्य-भाव सतत बना रहा। अपनी एक दर्जन पुस्तकों में से अन्तिम 'कुछ मोती कुछ सीप' जब लोकहित प्रकाशन से प्रकाशित होने को थी, तो पुस्तक का मुद्रण-पूर्व वाचन के साथ ही उसके नामकरण का दायित्व भी उन्होंने 'राष्ट्रधर्म' के सम्पादक को सस्नेह सौंप दिया। अकस्मात् 'कुछ मोती कुछ सीप' दिमाग में कौंधा, तो उसे सुनकर उछल पड़े। बोले, इसीलिए तो मैंने कहा था कि आप इस पुस्तक का नामकरण करें। इसका लोकार्पण सीतापुर की प्राचीन प्रसिद्ध हिन्दी संस्था 'हिन्दी सभा' के सभागार में 'राष्ट्रधर्म' के वर्तमान सम्पादक व पूर्व सम्पादक स्व़ पं़ वचनेश त्रिपाठी द्वारा एक भव्य-समारोह में किया गया था। अपनी विचारपरक ऐसी सभी पुस्तकों का प्रकाशन लोकहित प्रकाशन लखनऊ से उन्होंने कराया।
पत्रकारिता के क्षेत्र में उनका प्रवेश 'क्राइसिस' अंग्रेजी साप्ताहिक से सन् 1948 में हुआ। फिर वे साप्ताहिक 'उत्थान' (कानपुर), साप्ताहिक 'युगधर्म' (नागपुर), 1952 से 1956 तक 'पाञ्चजन्य' (तब लखनऊ से प्रकाशित) के सम्पादक रहे। 1952 में 'स्वदेश' (दैनिक) लखनऊ में तत्कालीन सम्पादक श्री अटल बिहारी वाजपेयी के साथ सहायक सम्पादक भी रहे। आपातकाल में वे लगभग ढाई मास तक डी़आई़आऱ में जिला कारागार में बन्दी रहे। श्री मिश्र मार्च, 1994 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के तत्कालीन सरसंघचालक प्रो़ राजेन्द्र सिंह 'रज्जू भैया' द्वारा 'पाञ्चजन्य' के पूर्व सम्पादक के रूप में सम्मान तथा 23 मार्च, 2001 को दिल्ली में तत्कालीन सरसंघचालक श्री कुप़् सी़ सुदर्शन एवं प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा 'पाञ्चजन्य विशिष्ट नचिकेता सम्मान' से विभूषित किए गए थे।'पाञ्चजन्य' परिवार की ओर से स्व. मिश्र को भावभीनी श्रद्धाञ्जलि अर्पित है। आनन्द मिश्र 'अभय'
टिप्पणियाँ