बिहार से जुड़ते गोतस्करी के तार
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बिहार से जुड़ते गोतस्करी के तार

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Sep 13, 2014, 12:00 am IST
in Archive
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दिंनाक: 13 Sep 2014 14:35:11

बिहार में इन दिनों अत्यधिक मात्रा में गोतस्करी खुलेआम हो रही है। राज्य के औरंगाबाद के सोननगर(बारुन) व गया जिले के शेरघाटी हिमजा से बरही बाईपास होते हुए गोतस्कर झारखंड में प्रवेश करते है और फिर तेतरिया मोड़,निरसा,चिरकुंडा और धनबाद,हिरनपुर के पाकुड़ जिले के रास्ते गोवंश बंगाल जाता है। पाकुड़ गोतस्करी का प्रमुख अड्डा है। यह वही स्थान है जिसके बाद बंगाल शुरू हो जाता है। जिससे बंगलादेशियों ने इस स्थान को अपना अड्डा बना रखा है। अगर हम यहां से बंगलादेश की दूरी देखंे तो महज 400 किमी. के लगभग ही है और कोलकाता यहां से 200 किमी. ही है। जिसके कारण बंगलादेश के अधिकतर मुसलमानों ने इस जिले को अवैध काम करने के लिए ठिकाना बना रखा है।

पाञ्चजन्य पहले ही कर चुका है खुलासा
पाञ्चजन्य 22 जून,2014 के अंक में 'क्या गोतस्करी पर कसेगा शिंकजा' रपट में पूरे नक्शे के साथ गोतस्करी के रास्तों को बता चुका है। उसमें स्पष्ट है कि झारखंड का धनबाद इसका प्रमुख केन्द्र है और यही रास्ता पडंवा होते हुए वाया बंगाल और फिर बंगलादेश के बूचड़खानों तक जाता है। उस रपट में नक्शे के माध्यम से बताया गया है कि गोतस्कर उ.प्र. के आगरा से इटावा, कानपुर, फतेहपुर व दूसरा रास्ता मुरादाबाद, हरदोई, उन्नाव, रायबरेली, वाराणसी, मुगलसराय, गया, पटना और फिर धनबाद से होते हुए पडंवा के रास्ते बंगाल और बंगलादेश को जाता है। पाञ्चजन्य समय-समय पर गोतस्करी के नए-नए रास्तों को बताता रहता है,जिनसे गोतस्करी होती रहती है।

'ये कोई नई बात नहीं'
ऐसा नहीं है कि प्रशासन को गोतस्करी के विषय में पता नहीं है। कई बार आमजन को लगता है कि प्रशासन को इस प्रकार की घटनाओं के विषय में पता नहीं रहता है। लेकिन ऐसा नहीं है,प्रशासन को सब पता होने के बाद भी वह ऐसी घटनाओं से अंजान बना रहता है। जब इस बावत धनबाद के पुलिस अधीक्षक हेमन्त टोप्पो से पाञ्चजन्य ने बात की तो उनका कहना था कि 'गोतस्करी की घटना यहां कोई नई बात नहीं है। बिहार से कोलकाता के लिए जो राजमार्ग जाता है उस पर प्रतिदिन लाखों ट्रकों का आना-जाना लगा रहता है। ऐसे में पुलिस कैसे पहचान करे कि किन ट्रकों में गोवंश भरा हुआ है। यह प्रशासन के लिए बड़ी ही मुसीबत व चुनौती का विषय बन जाता है।'गोतस्करी का गोरखधंधा इस राजमार्ग पर लम्बे समय से चला आ रहा है। यह रास्ता गोतस्करों के लिए बड़ा ही सुगम होता है जिसका वह बड़ीे ही आसानी के साथ फायदा उठाते हैं और तस्करी को अंजाम देते रहते हैं। गोतस्करी रोकने की चुनौती पर उन्होंने कहा कि हम किसी प्रकार उन्हें पकड़ भी लेते हैं तो हमारे पास ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है कि इतनी भारी संख्या में पकड़े गए गोवंश को तत्काल कहां रखा जाए? यह एक बड़ा विषय है। कुछ लोग गोवंश पकड़े जाने पर तत्काल तो रखने के लिए हां कर देते हैं पर बाद में वह भी मुकर जाते हैं जिससे हमारे सामने संकट खड़ा हो जाता है। अगर गोवंश की तस्करी को रोकना है तो गोशालाओं को पुनर्जीवित करना होगा। लोगों को जागरूक किया जाए कि वह अपने पशुओं को कसाइयों के हाथों न बेचें। इससे काफी हद तक गोवंश की तस्करी पर नियंत्रण लग जायेगा।

पुलिस संरक्षण में होती गोतस्करी
उ.प्र, बिहार,राजस्थान,म.प्र. एवं पजाब से लगातर इसी रास्ते से गोतस्कर गोवंश को पश्चिम बंगाल एवं कोलकाता ले जा रहे हैं। कई बार पुलिस के आला अधिकारियों की ओर से जिले की पुलिस को गोतस्करी रोकने के लिए पत्र लिखे गए ,लेकिन फिर भी कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। गोतस्कर राजमार्ग पर पड़ने वाले सभी थानों तक किसी न किसी रूप में अपनी पहुंच बनाए हुए हैं। जून माह में इस बात का खुलासा सीआइडी एसपी के एक पत्र से हुआ । सीआइडी एसपी ने धनबाद एसपी को लिखे पत्र में कहा कि उ.प्र. और बिहार से गोतस्कर धनबाद के तोपचांची,राजगंज,गोविंदपुर और मैथन होते हुए गोवंश को कोलकाता एवं बंगलादेश ले जाते हैं। कई बार प्रदेश के आला अधिकारियों द्वारा धनबाद जिले को इस बावत पत्र लिखा गया लेकिन थानेदार इसको लेकर गंभीर नहीं हैं जिसके चलते गोतस्करी निरंतर जारी है।

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