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हाल ही में कोलकाता के नजदीक स्वामी निगमानन्द मठ में दस दिवसीय आवासीय संस्कृत प्रशिक्षण शिविर आयोजित हुआ। इसमें पश्चिम बंगाल के 18 जिलों के 102 प्रशिक्षणार्थियों ने भाग लिया। प्रशिक्षणार्थियों को संस्कृत बोलने का प्रशिक्षण दिया गया। यह इस वर्ष का सातवां शिविर था। शिविर का समापन समारोह बहुत ही भव्य रहा। इसके मुख्य वक्ता थे संस्कृत भारती के अखिल भारतीय महामंत्री डॉ. नन्द कुमार। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि संस्कृत भारती संस्कृत को बोलचाल की भाषा बनाने के लिए कार्य कर रही है। इस तरह के प्रशिक्षण वर्गों का उद्देश्य है संस्कृत के प्रचार-प्रसार के लिए शिक्षक तैयार करना। मुख्य अतिथि और आई.आई. टी, खड़गपुर के प्राध्यापक डॉ. वी. आर. देसाई ने कहा कि संस्कृत सभी भारतीय भाषाओं की जननी है और संस्कृत के मातर:, पितर: भ्रातर: शब्द से ही क्रमश: अंग्रेजी के 'फादर', 'मदर', 'ब्रदर' शब्द बने हैं। विशिष्ट अतिथि थे विश्व भारती विश्वविद्यालय के पूर्व प्राध्यापक डॉ. प्रदीप मजूमदार। इस अवसर पर संस्कृत भारती के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख श्री श्रीशदेव पुजारी, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, दक्षिण बंग प्रान्त के प्रान्त प्रचारक श्री रमापद पाल सहित अनेक वरिष्ठ जन उपस्थित थे। -बासुदेब पाल
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