मुरादाबाद में मुस्लिम उन्मादियों नेतोड़ी भगवान गणेश की प्रतिमा
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उत्तर प्रदेश में सपा सरकार के संरक्षण में हिन्दुओं की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहंुचाने का सिलसिला जारी है। मुरादाबाद में कांठ प्रकरण के बाद अब मुंडा पांडे ब्लॉक के गांव खड़गपुर-जगतपुर में मुस्लिम उन्मादियों ने मंदिर में लाउडस्पीकर बदं कराने के बहाने सभी हदें पार करते हुए भगवान गणेश की प्रतिमा तोड़ डाली। इस घटना से हिन्दुओं की भावनाएं काफी आहत हुई हैं। प्रतिमा तोड़ने के बाद हिन्दू श्रद्धालुओं की मुस्लिम उन्मादियों से झड़प भी हुई है। पुलिस ने इस संबंध में मामला दर्ज कर लिया है।
जानकारी के मुताबिक गांव में गत 3 सितम्बर की रात भंडारे का आयोजन था। इस दौरान भण्डारा संपन्न होने से पूर्व प्रसाद वितरण के लिए लाउडस्पीकर के माध्यम से श्रद्धालुओं को प्रसाद लेने हेतु बुलावा लगाया गया था। इसी बात को पड़ोस में रहने वाले मुस्लिम उन्मादियों ने मुद्दा बना दिया कि उनकी नमाज के समय मंदिर में लाउडस्पीकर से घोषणा की गई है। इसके बाद मुसलमानों ने मंदिर में जबरन घुसकर भगवान गणेश की प्रतिमा को तोड़ दिया। उन्मादियों ने विरोध करने पर हिन्दुओं के साथ भी जमकर मारपीट की। इसके बाद लाठी-डंडे चलाकर पथराव तक किया गया। पुलिस ने तोड़ी गई प्रतिमा को अपने कब्जे में लेकर इस संबंध में मामला दर्ज कर लिया है।
कुंडरकी विधानसभा सीट से भाजपा के प्रत्याशी रहे रामवीर सिंह ने बताया कि गांव में गत एक सितम्बर को अखंड रामायण के पाठ का आयोजन किया गया था। गत तीन सितम्बर को भंडारे का आयोजन जारी था। उसी दौरान गांव में ही रहने वाले मुसलमानों ने लाउडस्पीकर को मुद्दा बनाकर मंदिर में लगी भगवान गणेश की प्रतिमा को तोड़ दिया। उनका आरोप है कि नासिर नामक शख्स ने प्रतिमा को तोड़ा और वह मंदिर के चढ़ावे में रखे दो हजार रुपए भी लेकर फरार हो गया। उनका आरोप है कि थानाध्यक्ष को घटना की जानकारी देने के बाद भी एक घंटे तक पुलिस मौके पर नहीं पहंुची। इस बीच पुलिस को सूचना देने की खबर पर मुसलमानों ने जमकर उन्माद मचाया। आखिर में उन्होंने वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को सूचना दी जिसके बाद वहां पुलिस बल भेजा गया।
गौरतलब है कि श्रावण मास में भी मुरादाबाद में ही गांव अकबरपुर चैदरी में मुस्लिम विधायक के दबाव में आकर पुलिस-प्रशासन ने जबरन शिव मंदिर में घुसकर लाउडस्पीकर को उतरवा दिया था। इसके बाद पूरे जिले में तनाव व्याप्त हो गया था और महिलाएं तक पुलिस की बर्बरता का शिकार बनी थीं। आरटीआई के खुलासे में पुलिस ने यह स्वीकार किया था कि मंदिर में लाउडस्पीकर काफी पहले से लगता आया है, जबकि विधायक और पुलिस ने पहले झूठा आरोप लगाया था कि भाजपा सांसद कुंवर सर्वेश सिंह द्वारा मंदिर में लाउडस्पीकर लगवाने से विवाद पैदा हुआ। प्रतिनिधि
उत्तर प्रदेश में लगातार बिगड़ती कानून-व्यवस्था, अघोषित बिजली कटौती और गन्ना किसानों के भुगतान को लेकर सपा सरकार को घेरने के लिए भाजपा सांसदों ने लखनऊ में धरना दिया। भाजपा के 50 सांसदों ने सपा सरकार के विरुद्ध धरना देकर प्रदेश में विपक्षी राजनीति की नई शुरुआत की।
लखनऊ में गत एक सितम्बर को यह पहला मौका था कि जब किसी भी दल के सांसदों ने इतनी बड़ी संख्या में एकजुट होकर आक्रामक तेवर दिखाते हुए प्रदर्शन किया। भाजपा सांसदों ने 'बिजली दो-पानी दो, वरना गद्दी छोड़ दो, बिजली पानी दे न सके, वह सरकार निकम्मी है, जो सरकार निकम्मी है वह सरकार बदलनी है,' जैसे नारे खूब लगाए। इन सांसदों ने उत्तर प्रदेश की अखिलेश यादव सरकार को हर मोर्चे पर विफल बताते हुए मुख्यमंत्री से इस्तीफा देने की मांग की।
धरने पर बैठे सांसदों ने कहा कि जब पूरा प्रदेश बिजली संकट, बाढ़-सूखा आदि से जूझ रहा है तब मुख्यमंत्री नीदरलैंड की यात्रा कर रहे हैं। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. लक्ष्मीकांत वाजपेयी ने कहा कि प्रदेश का हर आदमी इस सरकार से त्रस्त हो चुका है। इसके बाद उनके और महामंत्री संगठन सुनील बंसल के नेतृत्व को
ज्ञापन सौंपा गया। इस अवसर पर अनेक सांसद भी उपस्थित रहे। इसके अलावा पार्टी मुख्यालयों में भी प्रदर्शन हुए।
प्रतिनिधि
पर्यावरण की अनदेखी से मालिण त्रासदी के बाद भी संकट बरकरार
पुणे जिले के मालिण गांव में त्रासदी के बाद अभी भी पश्चिमी घाट क्षेत्र में पर्यावरण को लेकर संकट बना हुआ है। यदि समय रहते संवेदनशील क्षेत्रों में उद्योग-इकाइयों को बंद नहीं किया गया तो निश्चित ही यह विशाल समस्या के रूप में उभरकर सामने आएगी।
दरअसल पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए डॉ. माधव समिति क ी रपट में एक ओर जहां पश्चिमी घाट के पर्यावरण की सुरक्षा पर जोर दिया गया था, वहीं दूसरी तरफ रपट में कुछ उद्योग विशेष राजनीतिक दलों के नेताओं के हितों को बाधा पहंुचनी तय थी। इस पर कुछ राजनीतिक नेताओं ने कड़ा विरोध जताया था। इस रुख को राजनीतिक बल मिलने के कारण राज्य के मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चह्वाण ने इस समिति क ी सिफारिशों को अनदेखा कर दोबारा से समिति को रपट देने पर विवश कर दिया था। इसके बाद यह जिम्मा कस्तूरीरंजन समिति को सौंप दिया गया था। कस्तूरीरंजन समिति ने अपनी नई रपट में प्रमुखता से डॉ. माधव समिति द्वारा पर्यावरण सुरक्षा की दृष्टि से उद्योग-इकाइयों पर पाबंदी लगाने के लिए निहित क्षेत्र से केवल सीमित क्षेत्र को ही पर्यावरण सुरक्षा के लिए उद्योग मुक्त रखने की सिफारिश करने वाली रपट केन्द्र सरकार को 2013 में प्रस्तुत की थी। इस पर केन्द्र सरकार ने भी संवेदनशील मामले में राजनीति को परोक्ष रूप से बढ़ावा देने का काम किया। इसके बाद महाराष्ट्र सरकार ने विशेष आदेश देकर राज्य के 9 जिलों के 2159 गांवों को पर्यावरण सुरक्षा के तहत सुरक्षा के तौर पर आरक्षित घोषित कर दिया। राज्य के इस अध्यादेश के बाद से इन गांवों में उद्योग-इकाइयों से लेकर निर्माण कार्य जैसी गतिविधियों को प्रतिबंधित कर दिया गया। इसके पीछे पश्चिमी घाट की पर्यावरणीय स्थिति कम से कम यथावत बनाए रखने का प्रयास था। मालिण में जो कुछ भी हुआ, वह भविष्य में आने वाले खतरों की चेतावनी है। मालिण में पहाड़ी पर जबरन पानी को रोककर वहां खेती की गई। गांव के जंगल में ही बने बांध परियोजना के कारण और बरसात के कारण पहाड़ी धंस गई। वहीं मालिण के पास भीमाशंकर की पहाडि़यों पर पवन चक्कियों के निर्माण कार्य और पेड़ों की कटाई अभी जारी है। इससे भविष्य में अन्य दुर्घटनाएं होने की पूरी आशंका है।
द. वा. आंबुलकर
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