संस्कृति सत्य - मतांतरण सिर्फ चीन नहीं, पूरी दुनिया में बना नासूर
July 15, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

संस्कृति सत्य – मतांतरण सिर्फ चीन नहीं, पूरी दुनिया में बना नासूर

by
Sep 6, 2014, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

दिंनाक: 06 Sep 2014 15:23:47

 

विश्व की कुल जनसंख्या की आधी को अगले कुछ वषोंर् में ईसाई बनाने के प्रयास जारी हैं। चीन में मतांतरण के बहाने उसके अनेक पहलू सामने आए हैं। जहां अनेक सदियों से ईसाइयों के वर्चस्व वाले अमरीका एवं यूरोप जैसे देशों में ईसाइयों की संख्या घट रही हो तब पूरे विश्व में ईसाइयों की संख्या बढ़ते जाने का कारण क्या है, इस विषय पर चीन में बढ़ते ईसाईकरण के मामलों के बहानेे चर्चा शुरू हो चुकी है। इस समस्या को केवल संख्या वृद्घि के तौर पर देखने से नहीं चलेगा, क्योंकि पिछली पांच सदियों में ईसाई संख्या वृद्घि का खास परिणाम हुआ है। यूरोपीय देशों ने दुनिया को गुलाम बनाने के लिए अपने अच्छे और बुरे तरीके भी तय किए हैं। आज यूरोपीय देशों की स्थिति अन्य स्थानों पर जाकर गुलाम बनाने वाली नहीं है, लेकिन घटने वाली घटनाओं के प्रवाह में इस तरह का कोई अवसर यूरोपीय देश नहीं छोडें़गे। इसलिए विश्व में ईसाई जनसंख्या आधे से अधिक करने के उनके प्रयासों की ओर सचेत होकर देखना आवश्यक है।
चीन में पिछले दो महीनों के दौरान ईसाई मतांतरण करने वालों की बड़े पैमाने पर गिरफ्तारियां हुई हैं। पिछले सप्ताह वहां ऐसे एक हजार लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इसका कारण यह है कि ग्रामीण इलाकों में जाकर वहां के लोगों को पंथ के बारे में तरह तरह के लालच देकर बड़े पैमाने पर उनका मतांतरण किया जा रहा है। पिछले अनेक वषोंर् से वहां ये पड्यंत्र चल रहा था लेकिन वहां की सरकार उसकी ओर ध्यान नहीं दे रही थी। लेकिन अभी दो महीने पहले इस मतांतरण का एक अलग ही वैश्विक पहलू आगे आया़, वह यह कि अगले कुछ वषोंर् में चीन की ईसाई जनसंख्या अमरीका की ईसाई जनसंख्या से अधिक करने का प्रयास जोरशोर से जारी है। यह मामला जिस पैमाने पर चल रहा है वह अतिगंभीर है। इस तरह की टिप्पणी वहां की सरकार ने की है। इसका अगला परिणाम यह हुआ कि मतांतरण के लिए लोग तैयार होते हैं तो असल में उसके पीछे होता क्या है, इसका भी निरीक्षण शुरू हो चुका है। इसके लिए कारण बनने वालों की भी बड़े पैमाने पर गिरफ्तारियां चल रही हैं। इससे पहले इस मामले में गिरफ्तारियां सन् 1986 में हुईं थीं।
आज तक दुनिया में चीन की छवि पंथ को अफीम मानने की ही रही है। वहां की कम्युनिस्ट सरकार का यही मूल मंत्र था, इसलिए वह मत-पंथ के मामलों पर ज्यादा गौर नहीं करती थी। लेकिन विदेशी मिशनरी तेजी से वहां के लोगों की पांथिक भावना का दोहन कर उनका मतांतरण कर रहे हंै। उनका उद्देश्य वहां विश्व में सबसे बड़ा मतांतरण करवाना है। यह बात आज उस तरह की घटनाओं की गंभीरता बढ़ने के कारण ज्यादा गौर से देखी जा रही है। वैश्विक स्तर पर मीडिया में इस चिंता की झलक दिख रही है। इस मतांतरण के कारण क्या हो सकते हैं और उसके परिणाम क्या हो सकते हंै, इस पर स्वाभाविक रूप से चर्चा जारी है।
चीन में चर्च द्वारा अगले 15 वर्ष में होने वाले मतांतरण के लक्ष्य का आंकड़ा जब पिछले महीने सामने आया तब पूरे विश्व में इसका क्या लक्ष्य रखा गया होगा, इसकी थाह लेने की कोशिश लोगों ने शुरू की है। यह बात सामने आई कि 20वीं सदी के दूसरे चरण में शुरू की गई इस मुहिम के अंतर्गत वर्तमान दो अरब की जनसंख्या तीन से साढ़े तीन अरब तक ले जाने का लक्ष्य पूरा हो चुका है। पिछले 30-40 वषोंर् में अफ्रीका के कुछ देशों में 70 से 100 प्रतिशत मतांतरण किया गया है। इनमें अंगोला में 90 प्रतिशत, मध्य अफ्रीका में 82 प्रतिशत, पूर्वी तिमोर में 92 प्रतिशत, गुयाना में 94 प्रतिशत, फिलिपीन्स में 84 प्रतिशत, जायरे में 90 प्रतिशत, बुरुंडी में 78 प्रतिशत, गबोन में 79 प्रतिशत, रवांडा में 69 प्रतिशत, युगांडा में 70 प्रतिशत तथा दक्षिण अफ्रीका में 78 प्रतिशत मतांतरण किया जा चुका है। पिछले कुछ वषोंर् में अफ्रीका में हुए इस मतांतरण के साथ ही आज पूरे विश्व में जिन देशों में सबसे तेज गति से मतांतरण जारी है,उन देशों की सूची ग्लोबल क्रिश्चिएनिटी संगठन ने जारी की है। इसमें सबसे अधिक मतांतरण नेपाल में चल रहा है।
सन् 1970 में नेपाल में एक प्रतिशत ईसाई थे जो आज तेजी से बढ़ते हुए दिखते हैं। उसके बाद चीन का स्थान आता है। मुस्लिम देशों में से युनाइटेड अरब एमिरेट्स, सउदी अरब, कतर, ओमान, यमन में पिछले 40 वषोंर् में आठ से साढ़े नौ प्रतिशत लोग ईसाई बने हैं। मंगोलिया जैसे बौद्घ बहुमत वाले देश में भी यह संख्या छह प्रतिशत पर जा चुकी है।
भारत में मतांतरण को लेकर चर्च की भूमिका काफी आक्रामक है। उन्हें कौन सा लक्ष्य प्राप्त करना है, यह विषय उनकी दृष्टी से भी खुली चर्चा करने योग्य नहीं होगा, लेकिन एक बात सच है कि 'इंडिया विल बी क्राइस्ट लैंड', यह उनकी पुरानी घोषणा है। भारत में मतांतरण के प्रयासों को लेकर इससे पूर्व इस स्तंभ में चर्चा हो चुकी है। लेकिन आज चीन में मतांतरण एवं उसी पद्घति से विश्व में ईसाई जनसंख्या में वृद्घि, इसके बारे में आवश्यक संदर्भ यह है कि पिछले 20 वषोंर् में देश के हर गांव एवं हर बस्ती तक ये ईसाई प्रसारक पहुंच चुके हैं। आम व्यक्ति किसी ना किसी कारण से मजबूर होता है और ये लोग उसकी इस असहायता का लाभ लेते दिखते हैं। अर्थात् देश के हर प्रांत में मतांतरण का स्वरूप भिन्न है। नागालैंड, मिजोरम में उग्रवाद की वजह से इसमें वृद्घि हुई है। झारखंड में वही प्रयास हुआ लेकिन स्थानीय कार्यकर्ताओं द्वारा उसका विरोध होने के कारण वह नियंत्रित हुआ। ओडिशा में सबसे पहले विश्व के प्रमुख उग्रवादियों ने एकत्र आकर क्रिश्चिएनिटी का प्रसार किया। वास्तव में तो मध्य प्रांत में मतांतरण को लेकर तत्कालीन राज्य सरकार द्वारा नियुक्त न्यायमूर्ति भवानी शंकर नियोगी आयोग ने मध्य भारत में जारी इन राष्ट्रद्रोही कार्रवाइयों से आगाह किया था, लेकिन बाद के 55 वषोंर् के दौरान उस चेतावनी पर गौर नहीं किया गया। आंध्र एवं तमिलनाडु में मतांतरण काफी पहले से चला आ रहा है। महत्वपूर्ण बात यह है कि भारत में ब्रिटिशों के समय में अन्यत्र मतांतरण के मामले सीमित थे। लेकिन आंध्र एवं तमिलनाडु में ब्रिटिशों के प्रयास अलग थे। पंथ के बारे में जहां अधिक जागृति है, उस हिस्से में मतांतरण कैसे करना है एवं उसका परिणाम गहरे तक कैसे ले जाना है, चर्चा द्वारा तैयार उसके एक नमूने के तौर पर तमिलनाडु एवं आंध्र में मतांतरण की ओर देखना आवश्यक है। दक्षिण भारत के सांस्कृतिक जगत में हर चीज का सृजन बायबिल से हुआ है, यह दिखाने के लिए उन्होंने जो तरीका प्रयुक्त किया, उस पर आजतक ठीक से अध्ययन नहीं हुआ है। भारतीय उपमहाद्वीप की सभी भाषाएं संस्कृत से ही उपजी हैं, यह भारतवासियों का मानना है। लेकिन सभी भारतीय भाषाओं का सृजन बायबिल में वर्णित 'टावर ऑफ बेबल' से हुआ है, इस तरह का शोधकार्य उन्होंने करवाया। भाषा, कला, संगीत, वास्तुशास्त्र, मूर्तिनिर्माण, सभी संत परंपराएं, उपासना पद्घति बायबिल से उपजे हैं, यह दिखाने का शोधकार्य करवाया गया। तमिलनाडु में ब्रिटिशों ने यही काम किया है। भारत के पश्चिम किनारे पर ईसाइयों का प्रसार मुख्य रूप से जेवियर, डिनोबिली की परंपराओं से हुआ है। मत-प्रसार के लिए उन्होंने जो 'इंक्विजिशन' किए वह भी एक व्यापक विषय है, लेकिन इनमें सबसे महवपूर्ण विषय यह है कि इन सारी बातों का उपयोग यूरोपीय लोगों ने लूट के लिए किया।
तत्कालीन मतांतरण, उन स्थानों पर संस्कृति की हानि, ये जिस तरह से महत्वपूर्ण मुद्दे हैं उसी तरह विश्व में ईसाई जनसंख्या को इन मिशनरियों एवं यूरोपीय आक्रामकों ने एक सामर्थ्य माना तथा उसके आधार पर वे हमेशा बढ़ते रहे।
आज फिर से यह नया विषय आगे आ रहा है। आज ज्यादातर देशों में लोकतंत्र है। जहां नहीं है वहां कुछ वषोंर् में ऐसी स्थिति होने के आसार हैं। इन सब स्थानों पर जनसंख्या के आधार पर निर्णय लिए जाते हैं। इसलिए बढ़ती संख्या का असर विश्व पर होने वाला है, यह निश्चित है। वास्तव में चीन सहित सभी देशों को इस आक्रामक मतांतरण पर गंभीर दृष्टि डालनी चाहिए। आज या कल इसके विरोध में वैश्विक जागृती तो होगी ही, लेकिन तब तक काफी देर न हो जाए।  -मोरेश्वर जोशी

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

ए जयशंकर, भारत के विदेश मंत्री

पाकिस्तान ने भारत के 3 राफेल विमान मार गिराए, जानें क्या है एस जयशंकर के वायरल वीडियो की सच्चाई

Uttarakhand court sentenced 20 years of imprisonment to Love jihad criminal

जालंधर : मिशनरी स्कूल में बच्ची का यौन शोषण, तोबियस मसीह को 20 साल की कैद

पिथौरागढ़ में सड़क हादसा : 8 की मौत 5 घायल, सीएम धामी ने जताया दुःख

अमृतसर : स्वर्ण मंदिर को लगातार दूसरे दिन RDX से उड़ाने की धमकी, SGPC ने की कार्रवाई मांगी

राहुल गांधी ने किया आत्मसमर्पण, जमानत पर हुए रिहा

लखनऊ : अंतरिक्ष से लौटा लखनऊ का लाल, सीएम योगी ने जताया हर्ष

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

ए जयशंकर, भारत के विदेश मंत्री

पाकिस्तान ने भारत के 3 राफेल विमान मार गिराए, जानें क्या है एस जयशंकर के वायरल वीडियो की सच्चाई

Uttarakhand court sentenced 20 years of imprisonment to Love jihad criminal

जालंधर : मिशनरी स्कूल में बच्ची का यौन शोषण, तोबियस मसीह को 20 साल की कैद

पिथौरागढ़ में सड़क हादसा : 8 की मौत 5 घायल, सीएम धामी ने जताया दुःख

अमृतसर : स्वर्ण मंदिर को लगातार दूसरे दिन RDX से उड़ाने की धमकी, SGPC ने की कार्रवाई मांगी

राहुल गांधी ने किया आत्मसमर्पण, जमानत पर हुए रिहा

लखनऊ : अंतरिक्ष से लौटा लखनऊ का लाल, सीएम योगी ने जताया हर्ष

छत्रपति शिवाजी महाराज

रायगढ़ का किला, छत्रपति शिवाजी महाराज और हिंदवी स्वराज्य

शुभांशु की ऐतिहासिक यात्रा और भारत की अंतरिक्ष रणनीति का नया युग : ‘स्पेस लीडर’ बनने की दिशा में अग्रसर भारत

सीएम धामी का पर्यटन से रोजगार पर फोकस, कहा- ‘मुझे पर्यटन में रोजगार की बढ़ती संख्या चाहिए’

बांग्लादेश से घुसपैठ : धुबरी रहा घुसपैठियों की पसंद, कांग्रेस ने दिया राजनीतिक संरक्षण

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies